सदा आनन्द रहे यहि द्वारे मोहन खेलें होरी

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लखनऊ। सदा आनन्द रहे यहि द्वारे मोहन खेलें होरी के मंगल भाव के साथ लोक संस्कृति शोध संस्थान के तत्वावधान में चल रहे नौ दिवसीय फागोत्सव का समापन हुआ। गुरुवार को विभूति खण्ड स्थित पार्श्वनाथ प्लानेट में होरियारों ने फूलों की होली संग जम कर फाग गाया। मेज़बान भावना शुक्ला ने सभी का अबीर-गुलाल लगाकर स्वागत किया।

फूलों की होली संग नौ दिवसीय फागोत्सव का समापन

कार्यक्रम का शुभारंभ लोक गायिका अंजलि सिंह ने मारी गयो पिचकारी अचानक से किया। ढोल मंजीरे की थाप पर सौम्या गोयल ,अव्युक्ता, गुनाश्री, कर्णिका, अविका, आद्रिका, मीहिका ने सामूहिक रूप से खेलो कुंजन बीच होली गायी।

वरिष्ठ लोक गायिका इन्दु सारस्वत ने हां मैंने कछु न कही मोहे सांवरे ने गारी दई, रश्मि उपाध्याय ने फागुन ऐसा सलोना सिपाही छोड़ो नोकरिया घर आओ, शकुंतला श्रीवास्तव ने होरी खेलत हैं रघुनाथ, डा. अंजू भारती ने भीजत मोरी चुनरी नाहीं रंग डारो व खेलें मसाने में होरी,

अनिता मिश्रा ने कैसे खेलन जाऊं होरी सखि, कुमकुम मिश्रा ने श्याम से ऐसी होरी हुई शरम से मैं मर गई, अरुणा उपाध्याय ने मृगनयनी हो यार नवल रसिया,

शशि सिंह ने सिया निकसे अवधवा की ओर, मनु राय ने कैसी ये होरी मचाई, अनुराधा दीक्षित ने होरी खेलन आयो श्याम, सुमति मिश्रा ने मत मारो श्याम पिचकारी, पल्लवी निगम ने कन्हैया घर चलो गुईयां, आभा मिश्रा ने केदली बन अमवा बौरा रे, सौरभ कमल ने होली में रिसाय गये मोरे पिया सुनाया।

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संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि समापन होली बैठकी में निवेदिता भट्टाचार्य, गीता रवि, नीतू, पार्वती, अर्चना अग्रवाल, विद्याभूषण सोनी, आभा शुक्ला, सीमा, आशा, सेवानिवृत्त आयकर आयुक्त अनिल पाण्डे, डा. करुणा पाण्डे, अरुणा निगम, भजन गायक सत्यप्रकाश साहू, अनिल निगम सहित अन्य मौजूद रहे।

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