लखनऊ : सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ (सीडीआरआई) ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सीडीआरआई के पूर्व निदेशक डॉ. नित्यानंद के निधन पर मुख्य सभागार में एक शोक सभा का आयोजन किया।
डॉ. नित्यानंद, भारतीय औषधि अनुसंधान के पुरोधा रहे हैं जिनका 27 जनवरी को निधन हो गया। 1 जनवरी, 1925 को लायलपुर, पंजाब में जन्मे डॉ. आनंद अपने पीछे फार्मास्युटिकल विज्ञान के क्षेत्र में एक अद्वितीय विरासत छोड़ गए हैं।
सीडीआरआई के सभागार में वैज्ञानिकों, कर्मचारियों एवं अनुसंधान छात्रों नें डॉ. नित्या आनंद को श्रद्धांजलि एवं श्रुद्धा सुमन अर्पित किए।
सीडीआरआई की निदेशक डॉ. रांधा रंगराजन ने ऐसी प्रतिष्ठित शख्सियत के निधन पर पूरे सीडीआरआई समुदाय द्वारा महसूस किए गए गहरे दुख को व्यक्त करते हुए हार्दिक श्रद्धांजलि दी एवं कहा कि डॉ नित्यानंद का सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रेरणा श्रोत है।
उनका जीवन, उनकी अंतिम सांस तक विज्ञान के प्रति निष्ठा एवं लगन विज्ञान के क्षत्र मेन कार्यरत सभी लोगों के लिए सदैव प्रेरणा देती रहेगी।
सीएसआईआर-सीडीआरआई के चौथे निदेशक, डॉ. नित्यानंद को उनके महान योगदान के लिए सदैव याद किया जाएगा, विशेष रूप से भारत की पहली मौखिक गर्भनिरोधक गोली ‘सहेली’ के विकास में।
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औषधि अनुसंधान को आगे बढ़ाने के प्रति उनकी अग्रणी भावना और अटूट प्रतिबद्धता ने एक अमिट छाप छोड़ी है, वैज्ञानिकों की पीढ़ियों को प्रेरित किया है एवं भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग के परिदृश्य को आकार दिया है।
अपने शानदार करियर के दौरान, औषधि अनुसंधान में डॉ. आनंद का योगदान अद्वितीय था। कुष्ठ रोग के लिए सल्फोन और सल्फोनामाइड्स पर उनके शुरुआती काम से लेकर सिंथेटिक दवा विकास में उनकी अभूतपूर्व पहल तक, डॉ. आनंद का प्रभाव चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्रों में गूंजता है।
400 से अधिक शोध पत्रों, लगभग 130 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट एवं 90 से अधिक पीएच.डी. छात्र उनकी विशेष उपलब्धियां हैं। अपनी उत्कृष्टता के प्रति उनके समर्पण, उनकी मानवीय भावना और विनम्रता ने उन्हें उन सभी का प्रिय बना दिया, जिन्हें भी उनको जानने उनके संपर्क में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
शोकसभा में डॉ नेबेद्य चट्टीपाध्य, डॉ संजया बत्रा, डॉ नीना गोयल साहिल अनेक लोगों ने अपने संस्मरण सुनाते हुए उन्हें श्रुद्धा सुमन अर्पित किए।