फागोत्सव के पहले दिन फागुन मा होरी खेलैं गणपति देवा ने बांधा समां

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लखनऊ। लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा पारम्परिक फाग गीतों पर आधारित नौ दिवसीय फागोत्सव का रविवार को शुभारम्भ किया गया। जानकीपुरम के सेक्टर एच स्थित पुनर्नवा में आयोजित होली संगीत की बैठकी में हुरियारों ने ढोल-मजीरा के साथ पारम्परिक गीतों से माहौल को फागुनी बनाया।

लोक संस्कृति शोध संस्थान ने शुरु की होली बैठकी की श्रृंखला

कार्यक्रम की शुरुआत आकाशवाणी की सुप्रसिद्ध गायिका रीता पाण्डेय ने अवधी गणेश होली गीत फागुन मा होरी खेलैं गणपति देवा से की। वरिष्ठ लोक गायिका एवं नीलाक्षी लोक कला कल्याण समिति की अध्यक्ष नीलम वर्मा ने नन्दलाला मारे जायें केसर के फुलवा सनाया।

इसके बाद एक-एक कर लोगों ने गड़िगे बसन्त के ढाह बिना होरी खेलै न जाबै, बारहमासा उलारा परदेसी न आये नयन तरसे तथा फगुनवा में रंग रसे रसे बरसे जैसे गीतों की प्रस्तुति दी। भजन गायक गौरव गुप्ता ने होरी खेलैं रघुबीरा अवध मा सुनाया। ज्योति किरन रतन व सखियों ने मनमोहक नृत्य कर इसे सतरंगी स्वरुप दिया।

संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि हमारी लोक संस्कृति उत्सव प्रेमी है और प्रत्येक परिस्थिति में उत्सव को मनाती है। बाजारवादी शक्तियों के लगातार हाबी होने के चलते फगुआ गाने की परम्परा विखण्डित हो रही है।

ऐसी स्थिति में लोक संस्कृति शोध संस्थान ने महीनों तक चलने वाले भारतीय फागोत्सव के पुराने स्वरुप को जनता के बीच लाने का प्रयास आरम्भ किया है जिससे भावी पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक परम्परा में रचे बसे संस्कारों को जान व समझ सके।

अवध के पारम्परिक फाग गीतों के वैशिष्ट्य को रेखांकित करते हुए कहा कि इनमें न केवल बासन्ती उल्लास है अपितु सामाजिक विद्रूपताओं पर भी कड़ा प्रहार किया गया है पारम्परिक फाग लोक संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।

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कार्यक्रम में सर्वश्री आशुतोष कृष्ण गुप्ता, मीना श्रीवास्तव, नीलम तिवारी, रानी वर्मा, अपेक्षिता वर्मा, हर्षिता वर्मा, वन्दना जैसवार, वर्णिता सिंह, माधुरी, कुमारी एहिका, राजनारायन वर्मा, एस.के. गोपाल, शालिनी वैद्य, आरती कुशवाहा आदि मौजूद रहे।

सोमवार को विराम खण्ड में होगी बैठकी: संस्थान की ओर से आरम्भ हुए फागोत्सव के दूसरे दिन सोमवार को सायं छः बजे गोमतीनगर के विराम खण्ड एक स्थित भवन संख्या ए-42 में होली संगीत की बैठकी होगी।

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