लखनऊ। छत्तीसगढ़ के रायपुर में भारत सरकार द्वारा आयोजित की जा रही रीजनल कॉन्फ्रेंस ऑन गुड गवर्नेंस में यूपी में जल जीवन मिशन की परियोजनाओं में सोलर पावर के इस्तेमाल का डंका बजेगा।
कॉन्फ्रेंस में देशभर से आए आईएएस अफसर जानेंगे कि किसी तरह से उत्तर प्रदेश जल जीवन मिशन की परियोजनाओं में सोलर पावर का इस्तेमाल कर परियोजना की लागत को कम कर रहा हैं। साथ ही साथ कॉर्बन उत्सर्जन कम करके पर्यावरण को भी सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
गुड गवर्नेंस थीम पर छत्तीसगढ़ में कॉन्फ्रेंस, इनोवेशन स्टेट के रूप में चुना गया यूपी
21 नवंबर से शुरू होने वाली दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में इनोवेशन स्टेट के तौर पर पहले सत्र में नमामि गंगे विभाग के अपर मुख्य सचिव जल जीवन मिशन में सोलर पावर के इस्तेमाल पर व्याख्यान देंगे।
इसमें दूसरे राज्यों के अफसरों को बताया जाएगा कि किस तरह से यूपी जैसे बड़े राज्य में जल जीवन मिशन को सफलता से लागू किया गया और ये परियोजनाएं लंबे समय तक कम कीमत पर चल सकें, इसके लिए सोलर पावर का इस्तेमाल किया गया।
सोलर पावर पर व्याख्यान के लिए अपर मुख्य सचिव अनुराग श्रीवास्तव को किया गया आमंत्रित
भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा गुड गवर्नेंस के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की इस योजना को चुना गया है। ये कॉन्फ्रेंस देशभर के टॉप आईएएस अफसरों के लिए आयोजित की जाती है, जिसमें देशभर में चलाई जाने वाली योजनाओं में हुए उत्कृष्ट कार्यों को शामिल किया जाता है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन की 80 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं सोलर पावर पर आधारित हैं। जल जीवन मिशन परियोजना में इतने बड़े पैमाने पर सोलर पावर का इस्तेमाल करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है।
यूपी में जल जीवन मिशन की 80 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं सोलर पावर पर आधारित
भारत सरकार की तरफ से आयोजित की जा रही इस कॉन्फ्रेंस का मकसद है कि देश के दूसरे राज्य भी इसी तरह का मॉडल अपने-अपने राज्यों में अपनाएं। जिससे बिजली की बचत हो सके और परियोजनाएं लंबे समय तक चल सकें।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत यूपी में कुल 41539 परियोजनाएं हैं। जिसमें से 33,157 जल जीवन मिशन के प्रोजेक्ट्स में सोलर एनर्जी का उपयोग किया जा रहा है। जिससे रोजाना 900 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है। ऐसा करने वाला उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है।
सोलर तकनीक से पानी निकालने के लिए बिजली का खर्च 50 प्रतिशत से भी होगा कम
सोलर तकनीक के इस्तेमाल से गांवों में की जाने वाली जलापूर्ति की लागत में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। साथ ही पानी की सप्लाई के लिए इलेक्ट्रिसिटी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।
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लो मेंटेनेंस के साथ-साथ इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की आयु 30 साल होती है। 30 साल के दौरान इन परियोजनाओं का संचालन सौर ऊर्जा के जरिए होने से करीब 1 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। इससे करीब 13 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड का इमिशन प्रतिवर्ष कम होगा।
12.50 लोगों को सोलर प्रोजेक्ट चलाने की दी गई ट्रेनिंग
जल जीवन मिशन में सोलर आधारित पंपों को चलाने के लिए ग्रामीण इलाकों में 12.50 लाख लोगों को ट्रेनिंग दी गई है। ट्रेनिंग पाने वाले ग्रामीण ही इन परियोजनाओं का संचालन और सुरक्षा करेंगे।