लखनऊ। विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ऑनलाइन संवाद विषयक “प्लास्टिक सर्जरी : आत्मविश्वास के सूत्र” का आयोजन ट्रस्ट के राम दरबार, प्रधान कार्यालय में किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्तागण डॉ.राजीव अग्रवाल (प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ, एसजीपीजीआई, लखनऊ) व डॉअनुपम
सरन (प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ, लखनऊ) ने शिरकत की। संचालन सुश्री शैलवी शारदा (वरिष्ठ पत्रकार) ने किया।
डा.राजीव अग्रवाल ने अपने अनुभव साझा करते हुये बताया कि प्लास्टिक सर्जरी को अमूमन सुंदरता बढ़ाने और चेहरा बदलने का जरिया माना जाता है जबकि हकीकत में यह किसी दुर्घटना अथवा बीमारी के कारण चेहरा बिगड़ने से अपना आत्मविश्वास गंवा चुके लोगों के लिये किसी वरदान से कम नहीं हैं।
यह एक लम्बी व अत्यन्त जटिल प्रक्रिया है जिसमें सही परिणामों के लिये डाक्टर का अनुभवी होना अत्यन्त आवश्यक होता है । प्लास्टिक सर्जरी में सबसे ज्यादा फेसिअल रिकंसट्रक्टिव सर्जरी, नाक की सर्जरी, हेयर ट्रांस्प्लांट, प्रसव के बाद छोड़े गये निशानों की सर्जरी करवायी जाती है।
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इसके साथ 20 से 40 आयु वर्ग के लोग नाक की सर्जरी को लेकर जागरूक हो रहे हैं। हेयर ट्रान्सप्लांट के द्वारा खोये हुए बालों को दोबारा पाने की कोशिश की जा रही है। महिलाओं में प्रसव के बाद शरीर को सही शेप देने के लिये सर्जरी करवायी जा रही है।
डॉ.अनुपम सरन ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी में बहुत जटिलताओं का सामना भी करना पड़ता है। हमें रोगी को सर्जरी के साथ साथ मानसिक सुकून भी देना पड़ता है। प्लास्टिक सर्जरी कोई ऑर्गेनिक बीमारी की सर्जरी नहीं है जिसमें एक ऑपरेशन के बाद व्यक्ति रिकवर होने लगता है।
प्लास्टिक सर्जरी में कई सिटिंग्स लेनी पड़ती हैं अत: यह काफी वक्त लेता है। लोग अपने शरीर की चर्बी को कम करने के लिये भी प्लास्टिक सर्जरी की सहायता लेते हैं जिसे लिपोसक्शन कहा जाता है यह स्वस्थ व्यक्तियों में वसा के जमाव को हटा देता है तथा व्यक्ति पतला दिखने लगता है।