ग्रीन बिल्डिंग बनाने वाले रियल एस्टेट डिवेलपर्स को मिलेगा प्रोत्साहन : अंजनी पाण्डेय

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लखनऊ। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) द्वारा यूपी सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव के सेकंड एडिशन की शुरुआत की गई। कार्यक्रम का पहला सेशन डीकार्बनाइजिंग उत्तर प्रदेश: पॉलिसी एंड रिगुलेटरी पाथवेज विषय पर पैनल डिस्कशन हुआ।

ओमैक्स के बिजनेस हेड अंजनी पाण्डेय ने कहा कि अन्य सेक्टर्स की तरह रियल एस्टेट सेक्टर भी पर्यावरण को लेकर विशेष ध्यान रख रहा है। इसके दो प्रमुख कारण हैं एक आमजन में जागरूकता और दूसरा पर्यावरण संरक्षण को लेकर सरकार द्वारा बनाए गए नियम।

किसी भी निर्माण के दौरान हमारी यह कोशिश होती है कि पर्यावरण को न्यूनतम हानि हो तथा ऊर्जा के कभी न समाप्त हो पाने साधनों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें। वर्तमान समय में कोई भी घर या फ्लैट खरीदने से पहले लोग यह पूछते है कि आपका कितना एरिया ग्रीन कवर्ड है।

ऐसे एक प्राइवेट बिजनेस में अपने आपको बचाए रखने के लिए जरूरी है कि जनता की मांग को पूरा किया जाए। हां, यह सच है कि सस्टेनबिलिटी को ध्यान में रखते हुए किसी भी प्रोजेक्ट के निर्माण में लागत बढ़ जाती है क्योंकि पहले के समय में जो चीजें नॉर्मल थीं वह अब लग्जरी बन गई हैं।

फिर चाहे सौर ऊर्जा के इस्तेमाल की बात हो या फिर कोई और तकनीक। शुरुआती समय में यह लागत को थोड़ा बढ़ा देती है। ऐसे में अगर सरकार ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण करने वाले डेवलपर्स को प्रोत्साहन दे तो इस दिशा में और तेजी आ सकते है।

इसके अलावा पैनल में प्रदेश सरकार के चीज टाउन एंड कंट्री प्लानर अनिल कुमार मिश्रा, यूपीएसआरटीसी के चीफ जनरल मैनेजर, टेक्निकल गौरव पाण्डेय,

मिलिटरी इंजीनियरिंग सर्विस के चीफ इंजीनियर बी.एस लसपाल, पीडब्लूडी के चीफ इंजीनियर मसर्रत नूर खान और यूपी मेट्रो के जॉइंट जनरल मैनेजर इन्वार्नमेंट एंड सोशल चेतन त्यागी ने भी अपने विचार रखे। पैनल के आखिर में आईजीबीसी लखनऊ चैप्टर के सीओओ अमित श्रीवास्तव ने सबको धन्यवाद दिया।

कॉन्फ्रेंस में एएमए हर्बल के को-फाउंडर और सीईओ व संयोजक, सीआईआई एमएसएमई पैनल यावर अली शाहने कहा की शुद्ध हवा और शुद्ध पानी हमारी जिम्मेदारी है।

हमें अपने पूर्वजों से जैसा पर्यावरण मिला है, वैसा ही पर्यावरण अपनी आने वाली पीढ़ी को देना होगा। इसके लिए सबसे पहले घरों में इस्तेमाल होने वाले पानी में कमी लानी होगी क्योंकि घरों में लगे पंप हर साल शहर के जलस्तर को तीन से छह फीट नीचे ले जा रहे हैं।

हमने अपनी फैक्ट्री में जल संचयन के लिए विशेष तौर पर इंतजाम किये हैं, जहां आधा एक घंटे की बारिश में 1 से 1.5 लाख लीटर पानी का संचयन होता है।

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