जैव विज्ञान में परिवर्तनकारी विकास को आगे बढ़ाने में सामूहिक प्रयासों के महत्व पर फोकस

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लखनऊ: क्षेत्रीय युवा शोधकर्ताओं की बैठक (आरवाईआईएम) 2023−2024, सीडीआरआई लखनऊ परिसर में शुरू हुई। इंडियाबायोसाइंस और स्थानीय आयोजन समिति द्वारा आयोजित यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए एक समृद्ध अनुभव प्रदान करने वाल आयोजन सिद्ध होने वाला है।

सत्र का पहला दिन आरवाईआईएम लखनऊ टीम के गर्मजोशी भरे स्वागत भाषण के साथ शुरू हुआ, जिसने आने वाले रोमांचक दिनों की रूपरेखा तैयार की।

सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने में इस तरह की सहयोगात्मक सभाओं/मंचों के महत्व पर जोर देते हुए अपना स्वागत सम्बोधन किया।

क्षेत्रीय युवा शोधकर्ताओं की बैठक सीएसआईआर-सीडीआरआई लखनऊ परिसर में शुरू 

इंडियाबायोसाइंस की ओर से डॉ. करिश्मा कौशिक ने बायोसाइंस के क्षेत्र में परिवर्तनकारी विकास को आगे बढ़ाने में सामूहिक प्रयासों के महत्व एवं उनकी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए अपना सम्बोधन “एंगेजिंग द कम्युनिटीज़, एनेबलिंग द चेंज” विषय पर दिया।

दिन की शुरुआत आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर अरुण शुक्ला के विचारोत्तेजक व्याख्यान के साथ हुई, जिन्होंने “एक लैब को सफलतापूर्वक चलाने और एक स्थानीय समुदाय के निर्माण के कौशल” पर अपने अनुभव साझा किए।

उनकी विशेषज्ञता और मार्गदर्शन ने अनुसंधान पारिस्थितिकी में प्रयोगशाला प्रबंधन एवं कम्यूनिटी बिल्डिंग (समुदाय निर्माण) की जटिलताओं पर मूलभूत दृष्टिकोण प्रदान किया।

प्रोफेसर एल.एस. शशिधर, एनसीबीएस बैंगलोर के निदेशक ने “अपनी मार्गदर्शन (मेंटोरशिप) को अगले स्तर पर ले जाना” विषय पर अपनी बात से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

उनकी चर्चा युवा शोधकर्ताओं के करियर को आकार देने और परामर्श एवं मार्गदर्शन की संस्कृति को बढ़ावा देने में मार्गदर्शकों (मेंटर्स) द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका पर आधारित थी।

सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन, “ट्रांसलेशनल रिसर्च: अंडरस्टैंडिंग द कॉन्टिनम फ्रॉम बेंच टू बेडसाइड” पर अपनी विशेषज्ञता साझा करने के लिए मंच पर पुनः प्रस्तुत हुईं।

प्रयोगशाला के बुनियादी अनुसंधान से व्यावहारिक अनुप्रयोगों तक की यात्रा के उनके अनुभव सुन कर प्रेक्षागृह में उपस्थित लोग अभिभूत थे उन्होने अनुवादी अनुसंधान (ट्रांसलेशनल रिसर्च) के महत्व पर जोर दिया गया।

तत्पश्चात, “पारस्परिक सहयोग स्थापित करने एवं उसको बनाए रखने की कला” पर एक प्रेरक समूह चर्चा और शोधकर्ताओं एवं चिकित्सकों के बीच एक क्रॉस-टॉक का आयोजन किया गया।

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इस विशिष्ट पैनल डिस्कशन में सीएसआईआर-सीडीआरआई की डॉ. राधा रंगराजन, एनसीबीएस, बैंगलोर के प्रोफेसर एल.एस. शशिधर के साथ एसजीपीजीआईएमएस के डॉ. उदय घोषाल, केजीएमयू के डॉ. सत्येन्द्र कुमार सिंह, और सीएसआईआर-सीडीआरआई के डॉ. जगवेलु कुमारवेलु, जिन्होंने मॉडरेटर के रूप में कार्य किया, आदि शामिल थे।

उनकी सामूहिक अंतर्दृष्टि एवं अनुभवों ने शोधकर्ताओं और स्वास्थ्य देखभालकर्ताओं के बीच सहयोग की आवश्यकता एवं गतिशीलता पर दृष्टि डालते हुए एक अत्यधिक महत्वपूर्ण परिचर्चा की शुरुआत की। प्रथम दिवस के कार्यक्रमों का समापन युवा अन्वेषकों (यंग इन्वेस्टिगेटर्स) की फ्लैश टाक (शोध की झलकियों) एवं पोस्टर प्रदर्शन के साथ हुआ।

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