स्वयं सेवक राम निवास जैन की स्मृति में पुस्तक “अनथक पथिक” का विमोचन

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने  इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में स्वर्गीय राम निवास जैन की स्मृति में प्रकाशित पुस्तक “अनथक पथिक” का विमोचन किया.

समाजसेवी स्वर्गीय रामनिवास जैन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित अनथक पथिक के विमोचन के माध्यम से उनके जीवन के कृतित्व और व्यक्तित्व के संस्मरण  की स्मृति के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानंद थे.

मुख्य वक्ता सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दत्तात्रेय होसबाले  ने अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि हमें इस बात का आभास नहीं था कि जैन साहब को इतनी जल्दी श्रद्धांजलि देनी पड़ेगी. आखिरी समय में हम लोग उन्हें बचा नहीं पाए.

वह  सच्चे स्वयं सेवक की तरह कार्य करते-करते चले गए,उनकी लाखों स्मृतियां वह हम सबके बीच उपस्थित है.
सरकार्यवाह ने स्वर्गीय जैन जी के साथ बीते हुए समय को याद करते हुए कहा -कि थोड़े ही समय में मेरे बहुत नजदीक आ गए थे.

उनसे मिलने के बाद लगा कि जैसे वह बहुत पहले से हमारे परिचित रहे हो,, उनका व्यक्तित्व ऐसा ही था. अपनी प्रथम मुलाकात में ही उन्होंने आत्मीयता की नींव हमारे संबंधों में डाल दी थी. स्वर्गीय  रामनिवास  समाज कार्य के पथ पर चलते चलते  समाज के अनथक पथिक बन गए.

उन्होंने नया पथ बनाया जिस पर सबको चलना चाहिए. हमारे बीच व्यक्तित्व के जो आयाम होते हैं, उनमें वह सब कुछ था. सुख -दुख चुनौती या आनंद की हर परिस्थिति के अनुरूप उन्होंने स्वयंसेवक की तरह कार्य किया. वह सब से आत्मीयता और स्नेह से मिलते थे.

संघ और समाज के लिए वह कार्य करते-करते अपने परिवार के लिए कब समय चुरा लेते थे यह हमें पता ही नहीं चलता था. वह एक सफल व्यवसायी थे. संघ के स्वयंसेवक के नाते समाज के लिए उन्होंने जो किया वह प्रेरणा है. संघ कार्यकर्ता के नाते हमारे साथ उनकी आत्मीयता बनी, उनके साथ चलने का अवसर मिला.

हमारे लिए यह गर्व की बात है. स्वर्गीय श्री निवास कभी भी अपने न्याय पथ से विचलित नहीं हुए,वह ऐसे स्वयंसेवक थे जो हर बार सेवा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते थे, जो सबके लिए अनुकरणीय है. वह सिर्फ लखनऊ और उत्तर प्रदेश के लिए नहीं सोचते थे बल्कि उनके विचार में समग्र देश होता था.

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“तेरा वैभव अमर रहे माँ हम दिन चार रहे ना रहे”  ऐसे वाक्यों को उन्होंने सार्थक किया . अपने जीवन को उन्होंने चन्दन की तरह घिस-घिस कर समाज में उसकी आहुति दी. संघ कार्यकर्ता के नाते उन्होंने अपने जीवन में जो अनुकरणीय पथ बनाया उससे सारे समाज को नया पथ मिल सकता है.

स्वामी मुक्तिनाथानन्द :

अनथक पथिक पुस्तक के विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा है त्याग और सेवा का दिया जलता रहे जिससे देश का गौरव हमेशा बढ़ता रहेगा. उन्होंने कहा कि स्वामी जी कहते थे जो दूसरों के लिए जीता है वह जीवन ही सार्थक होता है.

ऐसे ही थे स्वर्गीय रामनिवास जैन जी जिन्होंने समाज को अपना जीवन समर्पित कर दिया. सुभाष सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया.

यतीन्द्र- विद्या भारती के संगठन मंत्री, दिनेश – विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक, अनिल – क्षेत्र प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, रामकुमार -संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक उपस्थित रहे. इस पुस्तक का सम्पादन राज्य सूचना आयुक्त सुभाष  सिंह ने किया.

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