बिहार की राजनीति में शनिवार को अचानक हलचल मच गई, जब राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने और परिवार से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया।
एक्स पोस्ट में रोहिणी ने कहा कि संजय यादव और रमीज ने उनसे यही कदम उठाने को कहा था और उन्होंने सारे दोष अपने ऊपर लेने की बात कही। रोहिणी के इस फैसले ने केवल आरजेडी ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार राजनीतिक परिदृश्य में सवाल खड़े कर दिए हैं।
खासकर तब, जब यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के दूसरे दिन आया है। इस चुनाव में आरजेडी नेतृत्व वाले महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा।
तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद केवल 25 सीटों तक सिमट गई, जबकि कांग्रेस को महज 6 सीटें ही मिलीं। दूसरी ओर, भाजपा इस बार बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और भाजपा-जदयू गठबंधन (एनडीए) को बंपर बहुमत मिला, जिसमें भाजपा ने 89 सीटें जीतीं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रोहिणी का यह अचानक फैसला महागठबंधन की हार और पार्टी में बढ़ते आंतरिक मतभेदों की ओर भी इशारा करता है। आरजेडी की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, और अब सबकी नजरें लालू यादव, तेजस्वी यादव और पार्टी नेतृत्व की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।
इस घटनाक्रम से यह साफ होता है कि बिहार की राजनीति सिर्फ चुनाव परिणाम से ही नहीं, बल्कि पार्टी के आंतरिक गतिरोध और व्यक्तिगत फैसलों से भी काफी प्रभावित होती है।













