सनातन के नियमों का पालन ही सनातन आस्था : ई.अशोक गुप्ता

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लखनऊ। ब्रह्मांड की उत्पत्ति से लेकर आज तक जो भी निर्माण प्रकृति के द्वारा हुए हैं वह सभी सनातन है और जिस तरह से करोड़ों अरबों सालों से ग्रह नक्षत्र कार्य कर रहे हैं। यह एक विज्ञान से पहले का महाविज्ञान है जिस की जानकारी आज का विज्ञान हमें प्रदान करता है।

सनातन आस्था के वैज्ञानिक प्रमाण पर व्याख्यानमाला का आयोजन

यह जानकारी जनविकास महासभा द्वारा प्रेस क्लब में सनातन आस्था के वैज्ञानिक प्रमाण के अंतर्गत शुरू हुए व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता आईआईटी इंजीनियर अशोक कुमार गुप्ता ने दी। उन्होंने कहा कि करोड़ों अरबों सालों से ग्रह नक्षत्र इस पृथ्वी के जीवन पर प्रभाव डालते जा रहे हैं।

विज्ञान से पहले का महाविज्ञान है सनातन

इन सब के बीच जीवन को सुचारू रूप से चलाते हुए इस सृष्टि को सहेज कर रखने की जिन जिम्मेदारियों का पालन हम करते हैं। वही सनातन आस्था के स्वरूप में हम सबके बीच में हैं, उनमें से कुछ प्रमुख जिनमें से मकर संक्रांति, कुंभ, अर्ध कुंभ, महाकुंभ महा कार्यों का मनाया जाना और पितामह भीष्म द्वारा सूर्य के दक्षिणायन में होने पर प्राण ना त्यागने का वचन इत्यादि इसका एक उदाहरण मात्र है।

इंजीनियर अशोक गुप्ता द्वारा सनातन आस्था के वैज्ञानिक प्रमाण के तहत प्रकाश डालते हुए मकर संक्रांति कुंभ अर्ध कुंभ महाकुंभ और पितामह भीष्म द्वारा दक्षिण में प्राण ना त्याग ने की प्रतिज्ञा के बारे में बताते हुए कहा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे सौरमंडल में पृथ्वी सहित अन्य ग्रह सूर्य के चक्कर लगाते हैं।

इस दौरान पृथ्वी कई बार सूर्य के पास और दूर जाती है इसी के साथ साथ अन्य ग्रहों की भी दूरी घटती बढ़ती रहती है जिस कारण उन ग्रहों की उर्जा और शरीर की ऊर्जा आपस में टकराकर कई बार उर्जा में गति प्रदान करती है अथवा ऊर्जा को कमजोर कर देती है।

इसको हम एक उदाहरण से भी समझ सकते हैं कि जब पूर्णमासी होती है तब आत्महत्या करने वालों की संख्या कुछ बढ़ जाती है यह भी इसी स्थिति में होता है कि कई लोगों की आंतरिक एनर्जी ऊर्जा या आत्मा चंद्रमा की एनर्जी के कारण प्रभावित हो जाती है।

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अतः ऐसी स्थिति में हमें अपनी सृष्टि और जीवन की एनर्जी को मजबूत बनाए रखने के लिए इन ग्रहों और सूर्य से मिलने वाली एनर्जी में सामंजस्य बैठाना होता है और इसी सामंजस्य बैठाने की प्रक्रिया स्वरूप ही हम कई कार्य समय-समय पर करते हैं जिन्हें हमने अपनी आस्था के अनुरूप पर्वों एवं त्योहारों के नाम दे रखे हैं।

ग्रहों की इन्हीं एनर्जी से सामंजस्य बनाने के कुछ विशेष अवसरों पर जैसे कि मकर संक्रांति पर नदियों में स्नान करना कुंभ अर्ध कुंभ महाकुंभ का व्यापक तौर पर मनाया जाना और इसी क्रम में पितामह भीष्म का दक्षिणायन में प्राण त्यागने का वचन अपनी आत्मा अथवा एनर्जी की मजबूती को बनाए रखने के लिए किया गया था।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जनविकास महासभा सनातन प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी डॉ आशीष गुप्ता ने कहा कि आज के समय में सनातन आस्था का पालन हम सभी करते आ रहे हैं परंतु यह बहुत कम लोग जानते हैं कि यह वास्तव में एक वैज्ञानिक प्रक्रिया के अंतर्गत ही होता है।

इसकी जागरूकता के लिए जनविकास महासभा के सनातन प्रकोष्ठ द्वारा यह कार्यक्रम आज शुरू किया जा रहा है और समाज के हर वर्ग तक पहुंचकर उनको सनातन के इस महा विज्ञान के बारे में जागरूक किया जाएगा।

अंत में जनविकास महासभा के अध्यक्ष पंकज कुमार तिवारी ने आईआईटियन इंजीनियर अशोक गुप्ता का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जब बुद्धिजीवी वर्ग इस बात को तथ्यों के साथ में समाज के सामने रखेंगे तो हम अपने गौरवशाली सनातन संस्कृति के महाविज्ञान को समझ पाएंगे।

बैठक में महासंभा के संरक्षक रमेश प्रसाद अवस्थी, शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी डॉ अगम दयाल, प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी प्रभात वर्मा, संरक्षक अरविंद नाथ मिश्रा, विकास पांडे, विकास मिश्रा, प्रदेश मंत्री अजय यादव, प्रदेश संगठन मंत्री दिव्या शुक्ला, प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज गुप्ता, पर्यावरण प्रदेश प्रभारी मिश्रा, अजय श्रीवास्तव विशेष आमंत्रित के तौर पर, उन्नति फाउंडेशन के अध्यक्ष रोहित सिंह, महामंत्री शैलजा पांडे, हिंदू महासभा श्रमिक सभा के प्रदेश अध्यक्ष गोपी किशन, हिंदू महासभा के पूर्व उपाध्यक्ष डॉक्टर एमके अग्रवाल, हिंदू महासभा किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष अंकेश सिंह चौहान, हिंदू महासभा के व्यापार सभा के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल, हिंदू महासभा युवा सभा के प्रदेश अध्यक्ष गौरव शुक्ला सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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