लखनऊ। शास्त्रीय संगीत के कलाकारों ने अपनी बेजोड प्रस्तुतियों से पूरा सभागार संगीतमय कर दिया। कभी फ्यूजन, तो कभी वादन से खूब प्रभावित किया। कलाकारों ने कजरी गायकी से पूरा माहौल सावनमय, तो कभी शबद-कीर्तन कर भक्तिमय रंगों से सराबोर कर दिया। भारतीय संगीत महाविद्यालय ने मंगलवार को गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया गया।
भारतीय संगीत महाविद्यालय का एसएनए में गुरु पूर्णिमा उत्सव
समारोह उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी गोमती नगर के वाल्मीकि सभागार में हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय सांस्कृतिक परिषद लखनऊ के निदेशक अरविंद कुमार, बतौर विशिष्ट अतिथियों वरिष्ठ तबला वादक पं शीतल प्रसाद मिश्र, पं रविनाथ मिश्र, पं अरुण भट्ट और डॉ मनोज कुमार मिश्र ने दीप प्रज्जवलन कर उद्घाटन किया।
संस्थान के मुखिया और तबला वादक शेख इब्राहिम ने संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। शेख इब्राहिम ने सभी अतिथियों को फूल, प्रशस्ति पत्र भेंट की और शॉल ओढाकर अभिनंदन किया। शेख इब्राहिम ने तबले की शुरुआती तालीम उस्ताद अल्ला रखा से, उसके बाद उस्ताद जाकिर हुसैन और उस्ताद मोहम्मद पुत्तन से ली।
वह आकाशवाणी के ग्रेड-ए श्रेणी के तबला कलाकार हैं। आईसीसीआर के सूचीबद्ध कलाकार, उनकी पारंगता विशेष रूप से फ्यूजन म्यूजिक खासकर हिंदुस्तानी शास्त्रीय व लोक वाद्यों पर है।
शेख इब्राहिम तबला के अलावा विभिन्न प्रांतों के विशेषकर उत्तर प्रदेश के विलुप्त हो चुके दुर्लभ वाद्य यंत्रों के संग्रह के साथ उनके प्रचार-प्रसार व वादन के लिए जाने जाते हैं। शेख इब्राहिम ने बताया कि भारतीय संगीत महाविद्यालय की स्थापना मोहम्मद पुत्तन ने वर्ष 1976 में की थी। जिसका उद्देश्य हिंदुस्तानी संगीत के प्रचार-प्रसार करना है।
संस्था पिछले तीन दशकों से नवोदित प्रतिभाओं को खोजकर उन्हें प्रशिक्षित कर रही है। उन्हें मंच देकर प्रोत्साहन के लिए निरंतर सक्रिय है।
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समारोह की शुरुआत महाविद्यालय के कलाकारों ने गुरु वंदना ‘गुनियन का गुणगान करिए…’ से की। इसके बाद कमल गुप्ता, सिराज अहमद व दिव्यांशी ने अपने सामूहिक तबला वादन से संगीत प्रेमियों को आनंदित कर दिया। इसके बाद राग मियां मल्हार में क्षितिज चौधरी ने शास्त्रीय गायकी से खूब प्रशंसा बटोरी।
एक के बाद एक शानदार प्रस्तुतियों में अंशिका और अनुष्का सिंह चंदेल ने कजरी ‘बरसन लागी सावन बुंदिया…’ सुनाई तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा।
समारोह में क्षितिज चौधरी ने सिंथेसाइजर और तबला के फ्यूजन म्युजिक से हर किसी को प्रभावित किया। आखिर में गगन और गुरूप्रीत कौर ने ‘रहम तेरी सुख पाया…’ गाकर पूरा सभागार भक्तिमय रंगों से सराबोर कर दिया।