लखनऊ। वैसे तो स्कूलों से निकले अनगिनत खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक खेल का सफर तय कर देश और प्रदेश का नाम रोशन भी किया है। दूसरी ओर लखनऊ सहित राज्य के माध्यमिक और बेसिक स्कूलों में खेल सुविधाएं बेहतर नहीं हैं।
अपर मुख्य सचिव खेल नवनीत सहगल ने माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग को लिखा पत्र
दूसरी ओर स्कूल व कालेजों में पर्याप्त खेल सुविधाएं न होना लेकिन खेल शुल्क की वसूली होने का मुद्दा काफी चर्चित हो रहा है। इस बारे में अपर मुख्य सचिव खेल, नवनीत सहगल ने बड़ी पहल करते हुए प्रमुख सचिव, माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग दीपक कुमार को पत्र लिख कर स्कूल व कालेजों में बेहतर खेल ढांचे के लिए अनुरोध किया है।
अपर मुख्य सचिव खेल की माने शिक्षण संस्थाएं स्टूडेंट्स से खेल की मद में स्टूडेेंट्स से फीस लेते है तो तो उसका प्रयोग खेल के हित में ही होना चाहिए। इस बारे मेंं कई प्रतिष्ठित स्कूल व कालेजों में खेल अध्यापक पद पर जिम्मेदारी संभाल रहे प्रशिक्षकों ने भी खिलाड़ियों के हित में आवाज उठायी थी।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि प्रदेश में खेल सुविधाओं के विस्तार के लिए खेल सुविधाओं से अधिक से अधिक युवाओं को जोडऩे के लिए खेल विभाग की ओर से रणनीति पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने प्रमुख सचिव दीपक कुमार को सुझाव देते शैक्षिक संस्थाओं में छात्र-छात्राओं के लिए खेल सुविधाएं बेहतर होने की बात की।
इसके साथ ही स्कूल व कालेजों में खेल सुविधाओं के नियमित उपयोग होने और खेल सुविधाओं का छात्र-छात्राओं की ओर से नियमित रूप से उपयोग बढ़ाने को भी कहा। अपर मुख्य सचिव खेल, नवनीत सहगल ने कहा कि सभी संस्थाएं छात्र व छात्राओं से खेलों के लिए फीस लेती है।
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उन्होंने कहा कि देखने में आया है कि शुल्क लेने के बाद भी किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं हैं जबकि लखनऊ के कई ऐसे कालेज हैं जहां से दर्जनों की संख्या में खिलाड़ी निकले हैं।
वहीं स्कूल कालेज जहां खेल के नाम पर फीस वसूली होती है मगर खिलाडिय़ों के लिए न तो मैदान बेहतर है और न ही खेल किट , खेल सामाग्री व प्रशिक्षक हैं। कहा जा सकता है कि स्कूल व कालेज खेल के नाम पर जो फीस लेते है उन्हें दूसरी मदों में उपयोग लेते है।