वरिष्ठ पंजाबी कवि सुरजीत पातर की थी जनमानस तक व्यापक पहुंच

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी की ओर से ‘‘सुरजीत पातर का व्यक्तित्व एवं कृतित्व‘‘ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन, शुक्रवार को अशोक मार्ग स्थित इंदिरा भवन के चतुर्थ तल पर, अकादमी कार्यालय परिसर में किया गया।

इस संगोष्ठी के माध्यम से संदेश दिया गया कि वरिष्ठ पंजाबी कवि सुरजीत पातर की जनमानस तक व्यापक पहुंच थी। उनकी रचनाओं में सामाजिक चेतना और कलात्मक सौंदर्य का अद्भुत समन्वय दिखता है। इस अवसर पर अकादमी के निदेशक ओम प्रकाश सिंह ने संगोष्ठी में उपस्थित विद्वानों को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया।

संगोष्ठी में आमंत्रित पंजाबी विद्वान और आजाद लेखक कवि सभा के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह मोंगा ने बताया कि सुरजीत पातर नारियल की तरह थे। दरअसल सुरजीत पातर, बाहर से सख्त और अंदर से गरी की तरह मुलायम थे।

वह ऐसे कवियों में शामिल थे, जो केवल साहित्यकार के रूप में ही लोकप्रिय नहीं थे, बल्कि पंजाब के जनमानस तक भी उनकी बहुत बड़ी पहुंच थी।

उन्होंने ऐसी काव्य रचना की, जो पंजाब की आत्मा के गहरे जख्मों को प्रकाश में लायी। सादगी, धैर्य, सहजता, उनके व्यक्तित्व के प्राकृतिक गुण थे।

 

नरेन्द्र सिंह मोंगा ने इस क्रम में बताया कि सुरजीत पातर ने एक कविता लिखी थी जिसका हिंदी अनुवाद कुछ यूं है कि “आखिर मिट के है हमको खाद होना। कभी थे फूल, ये किस को है याद होना। किसी को दिखना, किसी को है गुम होना। किसी को गुंबद, किसी को बुनियाद होना”।

युवा पंजाबी विदुषी रवनीत कौर ने सुरजीत पातर के संदर्भ में कहा कि शरीर मरते हैं शख्सियत कहां मरा करती हैं। वह तो कहीं विचार कहीं आचार और कहीं सभ्याचार बनकर निरंतर बहते रहते हैं।

पंजाबी विदुषी शरनजीत कौर ने कहा कि आधुनिक पंजाबी, कवि पंजाब कला परिषद के प्रधान और पद्मश्री सुरजीत पातर अपने अंतिम समय तक निरन्तर काव्य सृजन में लीन रहे। उन्होंने “हवा विच लिखे हर्फ़”, “बिरख अरज करे”, “हनेरे विच सुलगदी वरणमाला” जैसी कई लोकप्रिय पुस्तकों का सृजन किया था।

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वरिष्ठ पंजाबी कवि, अजीत सिंह ने कहा कि सुरजीत पातर के अक्षर सूफियाना होते थे वहीं उनकी रचनाएं घावों पर मरहम लगाती थीं।

उच्च शिक्षा, उत्तर प्रदेश शासन की सेवानिवृत्त विशेष सचिव मधु जोशी के अनुसार सुरजीत पातर का व्यक्तित्व गहराई और संवेदना से युक्त है। उनका कृतित्व, पंजाबी साहित्य में सामाजिक चेतना और कलात्मक सौंदर्य का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत करता है।

उनको पंजाबी साहित्य में योगदान के लिए कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था, जिसमें साहित्य अकादमी पुरस्कार और सरस्वती सम्मान शामिल हैं। संगोष्ठी में अरविन्द नारायण मिश्र, मीना सिंह, अंजू सिंह सहित पंजाबी समाज के गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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