आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल (एएचआरआर), नई दिल्ली के अस्पताल प्रशासन विभाग ने पहली बार सशस्त्र सेना राष्ट्रीय सम्मेलन, शेप 2025: सतत अस्पताल वास्तुकला, योजना, अवसंरचना और उपकरण, का सफलतापूर्वक आयोजन किया।
अस्पताल प्रशासकों, डॉक्टरों, नर्सों, इंजीनियरों और वास्तुकारों सहित सशस्त्र बलों और नागरिक क्षेत्रों के 275 से अधिक विशेषज्ञ भारत में टिकाऊ, लचीले और रोगी-अनुकूल अस्पताल अवसंरचना के निर्माण की चुनौतियों और भविष्य की रूपरेखा पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ आए।
इस अग्रणी सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम का उद्घाटन सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा महानिदेशक (डीजीएएफएमएस) सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन और एम्स (नई दिल्ली) के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने किया।
यह सम्मेलन ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर आयोजित हो रहा है जब राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी के लिए दूरदर्शी “विकसित भारत@2047” एजेंडे के तहत तैयारी कर रहा है। SHAPE 2025 ने भविष्य के लिए तैयार स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण तैयार करने हेतु सैन्य, नागरिक और निजी क्षेत्रों के हितधारकों को एक साथ लाया।
चर्चाओं का मुख्य विषय पारंपरिक ब्लूप्रिंट-आधारित अस्पताल नियोजन से आगे बढ़कर पर्यावरण के प्रति जागरूक, तकनीकी रूप से सक्षम और प्रासंगिक रूप से संरेखित स्वास्थ्य अवसंरचना की ओर बढ़ना था।
स्वास्थ्य सेवा में स्थिरता को न केवल पर्यावरणीय प्रभाव के लिए, बल्कि राष्ट्रीय तैयारी, स्वास्थ्य समानता और रोगी सुरक्षा के लिए भी एक रणनीतिक आवश्यकता के रूप में स्वीकार किया गया।
शेप 2025 ने सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन, आपदा-रोधी डिज़ाइन और शून्य-उत्सर्जन अवसंरचना जैसी हरित प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने हेतु एक रूपरेखा प्रस्तुत की।
गृह रेटिंग, सीएफईईएस प्रमाणन प्राप्त करने और श्रम-दक्षता-अनुकूल, स्वास्थ्यवर्धक वास्तुकला अपनाने पर भी ज़ोर दिया गया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा दिया और सतत अस्पताल अवसंरचना, वास्तुकला, योजना और उपकरण प्रबंधन पर एक व्यापक सिद्धांत की नींव रखी।
शेप 2025 के साथ, सशस्त्र बलों ने स्वास्थ्य सेवा परिवर्तन में एक मानक स्थापित किया है। अस्पताल प्रशासन विभाग, एएचआरआर की यह पहल, अस्पतालों को न केवल इमारतों के रूप में,
बल्कि जलवायु-सचेत, जन-केंद्रित पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में पुनर्कल्पित करने में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और यह विज़न 2047 की राष्ट्रीय आकांक्षाओं के अनुरूप एक लचीले और स्वास्थ्य-सुरक्षित भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ये भी पढ़ें : एक बार सैनिक, हमेशा सैनिक: सेना की रैली ने निभाया फर्ज़