भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप है श्रीमद्भागवत : राघवाचार्य

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लखनऊ। निरालानगर स्थित माधव सभागार में मानसरोवर परिवार द्वारा आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद् भागवत का शुरुआत कलश यात्रा हुई यात्रा में बैंडबाजों संग मंगल कलश यात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं पीले वस्त्र धारण कर मंगल कलश लेकर चलीं। इसके साथ ही 51 ब्राह्मण शामिल हुए।

शोभयात्रा में सबसे भगवान श्री गणेश का रथ और दो युवक धर्म ध्वज लेकर चल रहे थे। उनके पीछे मानसरोवर परिवार के सदस्य और यजमान श्रीमद्भागवत शिरोधार्य कर चल रहे थे। इनके पीछे से महिलाएं मंगल कलश लेकर चल रहीं थीं। सबसे पीछे कथावाचक जगतगुरु स्वामी राघवाचार्य महाराज रथ में सवार थे।

पहले दिन कथा करते हुए स्वामी राघवाचार्य ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा कोई साधारण पुस्तक नहीं है। स्वयं भगवान श्री कृष्ण श्रीमद्भागवत का स्वरूप हैं। आज के युग में श्रीमद्भागवत कथा और भगवान श्री कृष्ण में तनिक भी अंतर नहीं है। जब भगवान श्री कृष्ण अपना मानव जीवन पूरा करके जा रहे थे, तो उस समय वह श्रीमद्भागवत गीता में ही समा गए थे।

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उन्होंने अपनी ज्योति को श्रीमद्भागवत गीता में समाहित कर दिया था। प्रवक्ता अनुराग साहू ने बताया कि द्वितीय दिन श्रीमद् भागवत में जगतगुरु श्री राघवाचार्य महाराज राजा परीक्षित के द्वारा मरणमय पुरुष का धर्म, सृष्टि क्रम, ध्रुव चरित्र, सती चरित्र एवं पुरुष वचन उपाख्यान की कथा अपराहन 3बजे से साय 7तक चलेगी।

मुख्य यजमान महेश गुप्ता, लक्ष्मी गुप्ता, राजू, तनु, आशुष, सपना, तृप्ति गुप्ता, विनीता गुप्ता, सर्वेश गुप्ता, मनोज सिंह, प्रशांत तिवारी अनुराग साहू भक्तगण उपस्थित रहे।

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