…तो इस वजह से नरिंदर बत्रा को छोड़नी पड़ी आईओए अध्यक्ष की कुर्सी

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फाइल फोटो : साभार सोशल मीडिया

लखनऊ। पिछले कुछ समय से विवादों में चल रहे भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने आज अचानक ये ऐलान कर दिया कि वह आईओए अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे।

हालांकि इससे पहले बुधवार को ही  दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय खेल संहिता के उल्लंघन के मामले में दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए हॉकी इंडिया को भंग कर दिया। इसके साथ कोर्ट द्वारा गठित तीन  सदस्यीय कमेटी  हॉकी इंडिया के संविधान में बदलाव के बाद चुनाव कराएगी।

इसके बाद आईओए ने घोषणा की कि बत्रा को आईओए अध्यक्ष पद से हटाया जाता है क्योंकि उन्होंने 2017 में आईओए अध्यक्ष् पद का चुनाव हॉकी इंडिया के आजीवन सदस्य के तौर पर लड़ा था। उनकी जगह वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल खन्ना को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय खेल संहिता के उल्लंघन के मामले में हॉकी इंडिया को किया भंग 

इस फैसले के बाद देर शाम बत्रा के आईओए के अध्यक्ष पद का चुनाव न लड़ने की खबर आयी। हालांकि  जानकारी के अनुसार हाल ही में पिछले माह  हॉकी इंडिया से जुड़े एक मामले में सीबीआई की प्राथमिक जांच शुरू होने के बाद उनके ऊपर इस्तीफे का दबाव लगातार  बढ़ता जा रहा था। दूसरी ओर आईओए के सदस्यों  की ओर से भी उनके खिलाफ अध्यक्ष पद छोड़ने की मांग की गई थी।

नरिंदर बत्रा ने ये बताई  चुनाव न लड़ने की वजह

हालांकि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नरिंदर बत्रा ने अपने फैसले के बारे में जारी बयान में कहा कि इस समय विश्व हॉकी एक डेवलपमेंट के दौर से गुजर रही है। इस साल एक नई प्रतियोगिता एफआईएच हॉकी नेशंस कप के अलावा प्रशंसकों को आकर्षित करने वाले दूसरे गतिविधियों की शुरुआत होने जा रही है।

ऐसे में अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ के अध्यक्ष होने नाते इन सभी गतिविधियों के लिए और समय चाहिए। नतीजतन मैंने भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष का पद का चुनाव न लड़ने का फैसला किया है।

सीबीआई जांच के बाद बत्रा के ऊपर था दबाव

दूसरी ओर  सीबीआई के अनुसार  बत्रा के खिलाफ एक शिकायत मिलने के बाद उसने  प्रारंभिक जांच शुरू की जो पहली नजर में अपराध साबित करने की ओर शुरुआती कदम है। अधिकारियों ने बताया कि शिकायत में आरोप है कि हॉकी इंडिया के 35 लाख रुपये बत्रा के निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किए गए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसोसिएशन के शीर्ष पदाधिकारियों के प्रशासनिक गतिरोध है। नरिंदर बत्रा और महासचिव राजीव मेहता समेत कई लोग आमने-सामने हैं। हाल ही में नरिंदर बत्रा और हॉकी इंडिया में तनातनी की खबरें थीं।

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इस साल 29 मार्च को आईओए के कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडे ने नरिंदर बत्रा को एक पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने नरिंदर बत्रा पर अनियमितताओं का आरोप लगाया था। साथ ही उनके कार्यालय पर खर्च और हॉकी इंडिया के साथ उनके स्वामित्व वाली कंपनी के वित्तीय लेनदेन का जवाब मांगा था।

साल 2017 में भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष बने नरिंदर बत्रा फिलहाल अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ के अध्यक्ष भी हैं। पिछले साल बत्रा लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए एफआईएच अध्यक्ष चुने गए थे और वो 2024 तक इस पद पर रहेंग। बत्रा हॉकी इंडिया के भी अध्यक्ष रह चुके हैं।

हॉकी इंडिया के आजीवन सदस्य के तौर पर बत्रा द्वारा ली सुविधाओं पर खर्च पैसे वसूलने का आदेश 

जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय खेल संहिता के उल्लंघन के मामले में दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए हॉकी इंडिया को भंग कर दिया।

इस मामले में कोर्ट  में दायर याचिका में कहा गया था कि हॉकी इंडिया में आजीवन सदस्य, आजीवन अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पदों को सृजन खेल संहिता का उल्लंघन है क्योंकि नियमों के तहत इन पदों का सृजन नहीं हाे सकता है।

फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशानुसार गठित तीन सदस्यीय  कमेटी को  हॉकी इंडिया के संविधान में बदलाव के पश्चात चुनाव की जिम्मेदारी मिली है लेकिन चुनाव कराने में अभी लगभग पांच माह लग सकते है। इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अनिल दवे, पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी व हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी और पूर्व कप्तान जफर इकबाल है।

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इसके साथ ही कोर्ट ने आजीवन सदस्य के तौर पर नरिंदर ध्रुव बत्रा के द्वारा  ली गई सुविधाओं के बारे में खर्च  पैसे वसूलने का आदेश दिया है और इससे जुड़ी फाइल हॉकी इंडिया की नई कमेटी को देने को कहा है।

बताते चले कि कि एडवोकेट वंशदीप डालमिया के जरिये दायर की गई याचिका में नरिंदर ध्रुव बत्रा की आजीवन सदस्यता और इलेना नोर्मन की सीईओ के रूप में नियुक्ति रद्द करने की मांग हुई थी।

याचिका में कहा गया कि खेल संहिता और राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) के लिए आदर्श चुनाव दिशानिर्देशों के तहत किसी खास अवधि के लिए सात पदाधिकारी और पांच अतिरिक्त सदस्य ही चुने जा सकते है और हॉकी इंडिया द्वारा सृजित तीन पद इसके अनुरूप नहीं हैं।

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