खेल अवस्थापनाओं के निर्माण में सख्ती: समय सीमा और गुणवत्ता पर विशेष जोर

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लखनऊ। सभी निर्माण कार्य स्वीकृत लागत एवं अनुमोदित मानकों के अनुरूप समयसीमा के भीतर पूरे किए जाएं। यह निर्देश उत्तर प्रदेश के खेल विभाग द्वारा निर्माणाधीन खेल अवस्थापनाओं की प्रगति की समीक्षा हेतु केडी सिंह बाबू स्टेडियम में हुई बैठक में खेल व युवा कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गिरीश चंद्र यादव ने दिए।

उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी प्रोजेक्ट को बिना आवश्यक कारणों के पुनरीक्षित न किया जाए और अतिरिक्त कार्यों को यथासंभव रोका जाए।

उन्होंने जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में गठित गुणवत्ता जांच समिति से प्रत्येक माह रिपोर्ट प्राप्त कर निदेशालय को भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने दोहराया कि यदि कार्य अधोमानक पाया गया तो संबंधित अधिकारियों और निर्माण संस्था पर सीधी जवाबदेही तय की जाएगी।

मंत्री ने ये भी कहा कि यदि निर्माण निर्धारित तिथि तक कार्य पूर्ण नहीं होता है तो 1,000 रुपए प्रतिदिन का जुर्माना लगाया जाएगा। राज्य मंत्री ने निर्देश दिए कि निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात उसका थर्ड पार्टी ऑडिट अनिवार्य रूप से कराया जाए, जिससे गुणवत्ता की पुष्टि हो सके।

प्रमुख सचिव मनीष चौहान ने निर्देशित किया कि 5 करोड़ से कम लागत वाले प्रोजेक्ट्स की अधिकतम समय-सीमा 12 माह और अन्य कार्यों के लिए अधिकतम 18 माह सुनिश्चित की जाए। इसके अनुसार ही सभी कार्य अनुबंधित किए जाएं।

उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि सिन्थेटिक रनिंग ट्रैक और हॉकी मैदान जैसे विशेष प्रकृति के कार्यों का संचालन अनुभवी एजेंसियों से ही कराया जाए और कार्य पूर्ण होने के बाद एथलेटिक्स एवं हॉकी फेडरेशन से प्रमाणन अनिवार्य रूप से कराया जाए।

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इस बैठक में ये भी निर्देश दिया गया कि निर्माण स्थलों पर कार्य की जानकारी देने वाला सूचना बोर्ड, जिसमें कार्य प्रारंभ एवं पूर्ण होने की तिथि, लागत, मंत्री व अधिकारियों का नाम अंकित हो, उसे अनिवार्य रूप से लगाने का निर्देश भी दिया गया।

बैठक में प्रमुख सचिव खेल मनीष चौहान, सचिव खेल सुहास एलवाई, निदेशक खेल डॉ. आरपी सिंह, संयुक्त सचिव हृदय नारायण सिंह यादव सहित अन्य मौजूद रहे

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