मजबूत और आत्मनिर्भर सैन्य शक्ति एक संप्रभु राष्ट्र की रीढ़ : राजनाथ सिंह

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“वैश्विक स्तर पर सैन्य शक्ति बनने के लिए भारत को उत्कृष्ट प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता आवश्यक” “उत्तर प्रदेश रक्षा गलियारे में 95 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण; 16000 करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश के साथ 109 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए”

श्री राजनाथ सिंह ने दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी विकसित करने की अपील की जिससे रक्षा और नागरिक दोनों सेक्टर को लाभ प्राप्त हो आत्मनिर्भरता एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है, क्योंकि भारत तेजी से बदलते विश्व में उभर रही युद्धकला के नए आयामों के साथ-साथ अपनी सीमाओं पर दोहरे खतरे का सामना कर रहा है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पूर्व सैनिकों की पहल स्ट्राइव थिंक-टैंक और एक मीडिया संगठन द्वारा आयोजित ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर एक रक्षा संवाद के दौरान यह बात कही। रक्षा मंत्री ने एक मजबूत और आत्मनिर्भर सेना को एक संप्रभु राष्ट्र की रीढ़ बताया।

जो सीमाओं की रक्षा के अतिरिक्त देश की सभ्यता और संस्कृति की सुरक्षा करती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सशस्त्र बल विदेशी हथियारों और उपकरणों पर निर्भर न हों और उन्होंने इस बात पर बल दिया कि असली शक्ति ‘आत्मनिर्भर’ होने में निहित है।

विशेष रूप से जब कोई आपात स्थिति उत्पन्न होती है। श्री राजनाथ सिंह ने युद्धकला की प्रकृति में प्रौद्योगिकी द्वारा लाए गए आमूलचूल परिवर्तन पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।

उन्होंने स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों और प्लेटफार्मों को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया जो नई और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए सशस्त्र बलों को सुसज्जित और तैयार करते हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा, “आज अधिकांश हथियार इलेक्ट्रॉनिक-आधारित प्रणालियां हैं, जो शत्रुओं के समक्ष संवेदनशील जानकारी प्रकट कर सकते हैं। चूंकि आयातित उपकरणों की कुछ सीमाएँ हैं, हमें इसके दायरे से आगे जाने और उत्कृष्ट प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता अर्जित करने की आवश्यकता है।

नवीनतम हथियार/उपकरण हमारे सैनिकों की बहादुरी के समान ही महत्वपूर्ण हैं। यदि भारत वैश्विक स्तर पर एक सैन्य शक्ति बनना चाहता है, तो रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर होने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं है।”

‘आत्मनिर्भर’ होने के लाभों को गिनाते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इससे न केवल आयात पर व्यय कम होगा, बल्कि सिविल सेक्टर को बहुआयामी लाभ भी प्राप्त होगा। उन्होंने दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी विकसित करने की अपील की, जो रक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के अतिरिक्त लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाए।

रक्षा मंत्री ने एक मजबूत रक्षा इकोसिस्टम बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया, जो न केवल घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि मित्र देशों की सुरक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति भी करता है।

इनमें उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारे (डीआईसी) की स्थापना; वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू उद्योग के लिए रक्षा पूंजी खरीद बजट का रिकॉर्ड 75 प्रतिशत (लगभग एक लाख करोड़ रुपये) निर्धारित करना; निजी उद्योग के लिए 25 प्रतिशत आरएंडडी बजट और स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने के लिए रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवोन्मेषण (आईडीईएक्स) पहल और प्रौद्योगिकी विकास कोष शामिल है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश डीआईसी पर मिशन मोड में काम चल रहा है और अब तक लगभग 1,700 हेक्टेयर भूमि के 95 प्रतिशत का अधिग्रहण किया जा चुका है। इनमें से 36 उद्योगों और संस्थानों को करीब 600 हेक्टेयर जमीन आवंटित की जा चुकी है।

16,000 करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश मूल्य के साथ 109 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यूपीडीआईसी में विभिन्न संस्थाओं द्वारा अब तक लगभग 2,500 करोड़ रुपये का कुल निवेश किया जा चुका है।

यह गलियारा न केवल स्पेयर पार्ट्स का उत्पादन करेगा, बल्कि ड्रोन/ मानव रहित हवाई वाहन, इलेक्ट्रॉनिक युद्धकला, विमान और ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण और असेम्बल भी करेगा।

रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप वित्तीय वर्ष 2022-23 में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का रक्षा उत्पादन और लगभग 16,000 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है। उन्होंने विश्वास जताया कि रक्षा निर्यात शीघ्र ही 20,000 करोड़ रुपये के स्तर को पार कर लेगा।

उन्होंने कहा, “हम 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने के लिए एक अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहे हैं। इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से शक्तिशाली और पूरी तरह से आत्मनिर्भर भारत बनाना है, जो एक शुद्ध रक्षा निर्यातक भी हो।”

इस अवसर पर यूपीडीआईसी के मुख्य नोडल अधिकारी एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (सेवानिवृत्त), सशस्त्र बलों और डीआरडीओ के अधिकारी तथा उद्योग एव शिक्षा जगत के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

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