दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत में महसूस हुए भूकंप के तेज झटके

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साभार : गूगल

शुक्रवार देर रात दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। झटके इतनी तेज थे कि लोग अपने घरों से बाहर निकलकर भागने लगे।

रिएक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 बताई जा रही है। भूकंप करीब रात 11 बजकर 35 पर आया। अब तक किसी प्रकार के जान-ओ-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि 6.4 तीव्रता का भूकंप आया जिसका केंद्र नेपाल था।

झटके राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में भी महसूस किए गए। उत्तर प्रदेश और बिहार की राजधानी पटना के साथ ही हरियाणा के कई हिस्सों में भी धरती हिली। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रक्टिर स्केल पर 6.4 मापी गयी।

बता दें कि पिछले दिनों नेपाल में एक के बाद कई बार भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इनका असर भारत के उत्तरी इलाकों पर भी दिखाई दिया। तीन अक्टूबर और 15 अक्टूबर को भी नेपाल में तेज भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। इससे दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी धरती हिली थी।

उस दिन भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 6.2 मापी गई थी। लोग अपने घरों से निकल कर सड़कों पर आए थे, राहत की बात ये थी कि भूकंप की वजह से कोई हताहत नहीं हुआ था या किसी तरह की क्षति नहीं हुई।

22 अक्टूबर को राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र ने बताया कि सुबह सात बजकर 39 मिनट पर आए भूकंप का केंद्र धाडिंग जिले में था। इस भूकंप में किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं मिली।

भूकंप के झटके नेपाल के बागमती और गंडकी प्रांतों में भी महसूस किए गए। काठमांडू से 90 किलोमीटर पश्चिम में स्थित धाडिंग जिले के ज्वालामुखी ग्रामीण नगर पालिका 5 कुमालटारी में 20 मकान नष्ट हो गए और 75 मकान क्षतिग्रस्त हो गए। भूकंप और इसके बाद लगातार आए झटकों से लोगों में दहशत फैल गई।

नेपाल में अकसर भूकंप आता रहता है। दरअसल नेपाल उस पर्वत श्रृंखला पर स्थित है जहां तिब्बती और भारतीय टेक्टोनिक प्लेट मिलती हैं और ये हर सदी एक-दूसरे के तकरीबन दो मीटर पास खिसकती हैं जिसके परिणाम स्वरूप दबाव उत्पन्न होता है और भूकंप आते हैं।

इससे पहले नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रांत में 16 अक्टूबर को 4.8 तीव्रता का भूकंप आया था। नेपाल में 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आए झटकों के कारण लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी।

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