सीएसआईआर-सीडीआरआई लखनऊ में 9वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जिसकी थीम “वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग” है, पर, सीएसआईआर-जिज्ञासा परियोजना के तहत एक स्टूडेंट-साइंटिस्ट कनेक्ट कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमे बीएन कॉलेज ऑफ फार्मेसी, बीकेटी, लखनऊ से 60 छात्रों एवं 2 प्रोफेसर के एक बैच को आमंत्रित किया गया।
इसका उद्देश्य औषधि अनुसंधान एवं विकास की जानकारी के साथ साथ स्वास्थ्य की सही देखभाल के लिए योग को बढ़ावा देना भी था।
छात्र-वैज्ञानिक कनेक्ट कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को वैज्ञानिकों के साथ जोड़कर अनुसंधान प्रयोगशाला आधारित शिक्षण (रिसर्च-लेबोरेट्री बेस्ड लर्निंग) के माध्यम से कक्षा शिक्षण (क्लासरूम लर्निंग) को विस्तार देना एवं प्रतिभाओं को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की ओर प्रेरित करना भी है।
औषधि अनुसंधान एवं विकास पर चर्चा करने से पूर्व अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. संजीव यादव, वरिष्ठ वैज्ञानिक सीडीआरआई लखनऊ ने स्वस्थ्य देखभाल हेतु योग की महत्ता के बारे में भी चर्चा की।
उन्होंने बताया कि योग केवल शारीरिक व्यायाम ही नहीं बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास भी है इसके माध्यम से बीमारियों से बचाव तो होता ही अनावश्यक औषधियों के सेवन पर निर्भरता भी कम होती है।
उन्होंने छात्रों से प्रतिदिन योग करने का आग्रह किया एवं योग के लाभ बताते हुए कहा कि योग करने से अनगिनत लाभ होते है जैसे कि तनाव, चिंता एवं अवसाद को कम करना, मांसपेशियों की ताकत का बढ़ना, शारीरिक लचीलापन बढ़ना, नींद में सुधार करना, समग्र कल्याण एवं जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करना इत्यादि।
तत्पश्चात, औषधि अनुसंधान एवं विकास में सीएसआईआर-सीडीआरआई की भूमिका के विषय में जानकारी देते हुए उन्होने बताया कि किस प्रकार यह संस्थान अपने स्थापना के समय से विभिन्न औषधियों के विकास के साथ साथ देश विदेश कि हेल्थकेयर सेक्टर एवं फार्मा इंडस्ट्री के विकास हेतु कुशल मानव संसाधन भी विकसित कर रहा है।
उन्होंने बताया, सीडीआरआई वर्तमान में कई गंभीर रोगो पर अनुसंधान कर रहा है, जिसके साथ जुड़कर छात्र अपने कैरियर को नया आयाम दे सकते हैं। इसके अलावा उन्होने छात्रो को विज्ञान के क्षेत्र में विभिन्न कैरियर अवसरों के बारे में बताया, जिन्हें छात्र अपने उज्ज्वल भविष्य हेतु चुन सकते हैं।
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फिर उन्होंने छात्रों को समझाया कि कैसे एक मोलिक्युल, मेडिसिन के रूप में विकसित हो जाता हैं और किस तरह से दवा की खोज एवं विकास के विभिन्न क्षेत्र इस प्रक्रिया में सम्मिलित होते हैं।
इसके बाद प्रतिभागियों ने विभिन्न प्रयोगशालाओं का दौरा किया और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की एवं अनुसंधान प्रयोगों के बारे में विस्तार से जाना।
फार्मास्यूटिक्स और फार्माकोकाइनेटिक्स में, वैज्ञानिक डॉ. पी.आर. मिश्रा, डॉ जे.आर. गाइन एवं डॉ रबी भट्टा तथा उनकी शोधकर्ताओं की टीम ने ड्रग फॉर्मूलेशन, शरीर में दवाओं के चयापचय एवं संबंधित अनुसंधान को समझाया।
फार्माकोलॉजी डिवीजन में दौरे के दौरान, डॉ. अनिल गायकवाड़ ने छात्रों के साथ बातचीत की और मधुमेह में हाल के शोध विकास के बारे में चर्चा की। छात्रों ने उनकी प्रयोगशाला में शोध में उपयोग की जाने वाली विभिन्न तकनीकों के बारे में जानकारी हासिल की।
प्रयोगशाला जन्तु सुविधा के अपने दौरे के दौरान, प्रतिभागियों को वैज्ञानिक डॉ. राजदीप गुहा एवं डॉ धनंजय हंसदा के साथ बातचीत करने का भी अवसर मिला।
तकनीकी अधिकारी चंद्रशेखर यादव द्वारा अनुसंधान के लिए आवश्यक विभिन्न जन्तु मॉडलों का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम के अंत में छात्रों एवं शिक्षकों ने इस कार्यक्रम के समग्र अनुभव पर अपनी प्रतिक्रिया दी।