लखनऊ : बनारस के रहने वाले 9 वर्षीय बच्चा शौर्य सिंह दो वर्ष पूर्व स्कूटी से एक खंभे से टकरा गए जिससे उनके जबड़े में चोट लग गयी। थोड़ी सी सूजन भी आ गयी थी पर वहीं पास के स्थानीय डॉक्टर ने देखने के बाद कुछ दवाइयां दे दी। जब मरीज के माता, पिता ने सुबह उठकर देखा कि उसका निचला जबड़ा बिल्कुल ढीला पड़ चुका था
तो बहुत परेशान हो गए और तुरंत सहारा हॉस्पिटल लाने का निश्चय किया। बालक के पिता ने तुरंत ही रविवार के दिन ही सहारा हॉस्पिटल के डेन्टल एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉक्टर तुलसी को फोन लगा करके उनको अपने बेटे का हाल बताया जिसमें उन्होंने तुरंत ही लाने को कहा।
डॉक्टर तुलसी ने पहली बार किया इस तकनीक का इस्तेमाल
बालक के पिता ने देर ना करते हुए डॉक्टर तुलसी के पास शाम को ही पहुंच कर दिखाया। डॉक्टर तुलसी ने बच्चे को पी.आई.सी.यू. में भर्ती कर लिया और लगभग 36 घंटे तक उसको भर्ती करके उसकी सूजन को कम करने की कोशिश की। बच्चे का सी.टी स्कैन 3डी और ब्रेन का सीटी भी करवाया गया।
डॉक्टर तुलसी ने बच्चे के पिता को बताया कि बच्चे को मैन्डिबल फ्रैक्चर है और साथ ही यह भी बताया कि यदि किसी एडल्ट में यही फ्रैक्चर होता है तो हड्डी को जोड़ने के लिए टाइटेनियम प्लेट लगाते हैं परंतु बच्चे के फ्रैक्चर में इस तरह की प्लेट को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है
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क्योंकि समय के साथ बच्चे की ग्रोथ होने पर दोबारा ऑपरेशन करना पड़ सकता है, क्योंकि बच्चे की उम्र कम है और उसकी ग्रोथ अभी नहीं हुई थी इसलिए इसके इलाज के लिए एक बायोरिसोर्सबल प्लेट लगाना ठीक रहेगा। यह प्लेट एक ऐसी नयी तरह की प्लेट होगी जो अपने आप समय के साथ डिजॉल्व हो जाती हैं
और जिस प्रकार से बच्चे की स्थिति है उसको देखते हुए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है। तब पिता ने इस प्लेट को लगाने की सहमति देकर इस प्रक्रिया द्वारा उसके बच्चे को इलाज देने के लिए कहा। डॉक्टर तुलसी ने इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी को करने का निश्चय किया और लगभग 4 से 6 घंटे यह प्रोसीजर चला
और कुछ दिन भर्ती रहने के बाद बच्चा पूरी तरह से ठीक हो गया। पिता उसका सफल इलाज पाकर के बेहद संतुष्ट हैं।उल्लेखनीय है कि सहारा हॉस्पिटल में बायोरिसोर्सबल प्लेट का इस्तेमाल पहली बार करके डॉक्टर तुलसी ने बहुत ही परेशान हालत में आए बच्चे की सर्जरी कर उसे सफल इलाज प्रदान किया।
यह तकनीक एक बहुत ही कारगर इलाज है जिसका इस्तेमाल करके कई मरीजों को लाभान्वित किया जा सकता है। डॉक्टर तुलसी ने बताया कि सहारा हॉस्पिटल के मैनेजमेंट व यहां की व्यवस्था और सुविधाओं और अत्याधुनिक उपकरणों की सहायता से ही यह प्रक्रिया संभव हो पायी।