लखनऊ। एक्यूट एऑर्टिक डिसेक्शन या महाधमनी विच्छेदन एक ऐसी बीमारी है जिसके रोगियों की मृत्यु दर असाधारण रूप से अधिक यानि 95 फीसदी है यानि ठीक होने वालों का प्रतिशत मात्र पांच फीसदी है। इस पर ज्यादा उम्र का होना भी हालात को खासा चुनौतीपूर्णा बना देता है।
एक्यूट एऑर्टिक डिसेक्शन नामक इस बीमारी में 95 फीसदी होती है मृत्यु दर
हालांकि लखनऊ के अपोलोमेडिक्स अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित 81 साल के बुजुर्ग की सर्जरी कर उसे नया जीवन दिया गया। यह सर्जरी डॉ. विजयंत देवेनराज और उनकी टीम ने की। दरअसल वाराणसी के रहने वाले 81 वर्षीय पुरुष ओम प्रकाश कई वर्षों से उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित थे।
उनकी तबीयत तब अचानक खराब होने लगी और उन्होंने सीने में तेज दर्द की शिकायत की। फिर वाराणसी के एक अस्पताल में इलाज के दौरान पता चला कि उन्हें टाइप ए एऑर्टिक डिसेक्शन
(यह एक गंभीर स्थिति जिसमें मुख्य धमनी (आर्टरी) प्रभावित होती है) के साथ-साथ गंभीर एऑर्टिक रिगरजिटेशन का सामना करना पड़ा था। इस हालत में मरीज के पास ज्यादा समय नहीं होता है।
वाराणसी के ओम प्रकाश को गंभीर एऑर्टिक रिगरजिटेशन के साथ थी अन्य कई दिक्कतें
इसे देखते हुए उन्हें अपोलोमेडिक्स अस्पताल में आपातकालीन इलाज के लिए लखनऊ स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया। फिर अपोलोमेडिक्स पहुंचने पर ओम प्रकाश की एओर्टोग्राम और कोरोनरी एंजियोग्राफी की गई।
इसमें उनकी स्थिति और सीमा और उनके मस्तिष्क, नसों, बाएं हाथ और पैरों सहित उनके शरीर के विभिन्न हिस्सों पर इसके प्रभाव का आकलन करना शामिल था। इसके बाद चिंता तब बढ़ी जब पता चला कि एऑर्टिक डिसेक्शन का असर उनकी किडनी पर भी पड़ा है।
इसी बीच आईसीयू में उनकी कंडीशन स्टैबल होने के बावजूद बिगड़ने लगी और हार्ट फेल्योर के लक्षण दिखे। फिर डॉ. विजयंत के नेतृत्व में सीटीवीएस टीम ने उनका इमरजेंसी ऑपरेशन करने का फैसला लिया।
रात 9 बजे से सुबह 3 बजे तक चले इस ऑपरेशन में डॉ विजयंत ने जटिल बेंटॉल प्रक्रिया यानि एक सर्जिकल तकनीक जिसमें महाधमनी वाल्व, आरोही महाधमनी, महाधमनी जड़ और दोनों कोरोनरी धमनियों को बदला जाता है, का सहारा लिया।
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यह प्रक्रिया अधिक जटिल थी क्योंकि मुख्य आर्टरी दो लुमेन में विच्छेदित हो चुकी थी, जिसमें नाजुक सूजन वाले ऊतक थे और बहुत अधिक रक्तस्राव हुआ था। यह जटिल सर्जरी छह कठिन घंटों तक चली।
वहीं ऑपरेशन के बाद, मरीज ने दो दिन वेंटिलेटर पर बिताए, कार्डियक एनेस्थीसिया और आईसीयू टीम द्वारा बारीकी से निगरानी की गई। फिर वह अतिरिक्त दस दिनों तक अस्पताल में रहे, धीरे-धीरे उनकी शारीरिक शक्तिऔर स्वास्थ्य में सुधार हो गया।
अंततः, उसकी हालत स्थिर समझे जाने पर, मरीज को छुट्टी दे दी गई और उसकी रिकवरी जारी रखने के लिए घर भेज दिया गया। अपोलोमेडिक्स अस्पताल में कार्डियो थोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. विजयंत देवेनराज ने कहा, “इलाज शुरू होने से लेकर सर्जरी होने तक मरीज की जिंदगी खतरे और अनिश्चितता से भरी थी।
उन्होंने कहा कि ओम प्रकाश ने आंकड़ों को गलत साबित करते हुए विपरीत परिस्थितियों में आशा जगाई। उनकी महाधमनी की स्थिति और उनके मस्तिष्क, नसों, बाएं हाथ और पैरों सहित उनके शरीर के विभिन्न हिस्सों पर इसका प्रभाव पड़ चुका था।
उन्होंने कहा कि इस बीमारी का एक बहुत बड़ा कारण हाइपरटेंशन के साथ लाइफ स्टाइल, बढ़ा कोलेस्ट्राल, मोटापा, स्मोकिंग और जिम में अत्यधिक वर्कआउट भी काफी हद तक जिम्मेदार होता है।
इस उपलब्धि पर हॉस्पिटल के सीईओ डॉ मयंक सोमानी ने कहा कि पिछले वर्षों में, अपोलोमेडिक्स न केवल लखनऊ, बल्कि राज्य के अन्य हिस्सों के मरीजों के लिए भी जीवन रक्षा का केंद्र बन गया है। रोगों का सटीकता से पता लगाने में तत्परता और एकदम सही उपचार हमारे डॉक्टरों की विशेषज्ञता है।