लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी द्वारा बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध के जीवन एवं उपदेशों पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का आयोजन अकादमी परिसर, लाल बारादरी भवन, कैसरबाग, लखनऊ में किया गया। इसमें 40 कलाकृतियों की प्रदर्शनी आयोजित की गई जो भगवान बुद्ध के जीवन में उपदेशों पर आधारित हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी द्वारा बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर चित्र प्रदर्शनी आयोजित
प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के अध्यक्ष भदन्त शान्ति मित्र द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। मुख्य अतिथि ने अपने आर्शीवचन में कहा कि तथागत बुद्ध ने जीवन जीने की कला सिखाई और कहा कि तथागत ने बताया था कि मध्यम मार्ग हमारे जीवन में क्यों आवश्यक है और उसके विस्तार से अवगत कराया।
इस अवसर पर रणविजय बौद्धाचार्य, लखनऊ ने भगवान बुद्ध का राजपुत्र सिद्धार्थ से महात्मा बनने का विस्तार से वर्णन किया और प्रदर्शनी में प्रदर्शित कृतियों का व्याख्यात्मक परिचय उपस्थित जनसामान्य व मुख्य अतिथि के समक्ष प्रस्तुत किया। भगवान बुद्ध को जानने समझने का ज्ञान कलाकारों द्वारा दिया गया।
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इस अवसर पर अकादमी के अध्यक्ष सीताराम कश्यप, उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र, अकादमी के कोषाध्यक्ष गौरव पाठक एवं अन्य पदाधिकारी, गणमान्य कलाकार एवं भगवान बुद्ध के अनुयायी उपस्थित हुए तथा प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया।
अकादमी के सचिव आनन्द कुमार ने कहा कि यदि बुद्ध जी के दर्शन व उपदेशों को आत्मसात कर लिया जाए तो विश्व में किसी प्रकार के कष्ट व क्लेश का कोई स्थान ही नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी जनसामान्य के लिए 20 मई तक सुबह 11 से शाम 5 बजे तक खुली रहेगी।
प्रदर्शनी में 40 कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गयी हैं। सभी कलाकृतियां भगवान बुद्ध के उपदेश एवं जीवन पर आधारित हैं। इसमें ओम प्रकाश गुप्ता-देवरिया की कलाकृति पुष्पवर्ण, ओम प्रकाश-कुशीनगर की कलाकृति बुद्ध एवं शिष्य, प्रतिमा शर्मा-सोनभद्र की अभय मुद्रा, परशुराम यादव-देवरिया की भगवान बुद्ध व पंचशील, विनोद सिंह-सीतापुर की सार्वभौम बुद्ध, परमात्मा प्रसाद-लखनऊ की बुद्ध और अंगुलीमाल, सीता विश्वकर्मा-गोरखपुर की बुद्ध महानिर्वाण, ललित गोपाल पराशर-मथुरा की बुद्ध, हिमरजनी नागर-गाजियाबाद की भूत-भविष्य-वर्तमान, स्वप्निल श्रीवास्तव-लखनऊ की मोक्ष, राजेन्द्र कश्यप-आगरा की त्याग, शैलेश चौरसिया-आजमगढ़ की आस्था आदि कलाकृतियां भगवान बुद्ध से जनसामान्य को जोड़ने में सक्षम प्रतीत होती हैं।