विशाखापत्तनम : तेलुगु टाइटंस प्रो कबड्डी लीग सीज़न 12 के लिए नई उम्मीदों और संतुलित टीम के साथ तैयार हो रही है, कोच कृष्णन कुमार हूडा की अगुवाई में।
सीज़न 11 में सिर्फ 7वें स्थान पर रहते हुए 22 मैचों से 66 अंक के साथ प्लेऑफ में जगह बनाने से चूकने के बाद, हैदराबाद-आधारित यह फ्रेंचाइज़ी अब अपनी किस्मत बदलने को बेताब है।
इस बार रोमांच और भी बढ़ा है क्योंकि सीज़न 12 की शुरुआत टाइटंस के दूसरे होम ग्राउंड विशाखापत्तनम से हो रही है, जहां उन्हें सबसे जुनूनी और ऊर्जावान फैंस का समर्थन मिलता है।
यह घरेलू माहौल शुरुआत में टीम को जरूरी मोमेंटम दे सकता है। पीकेएल सीज़न 12 की नीलामी में टाइटंस ने रणनीतिक समझदारी दिखाई, टीम के कोर ग्रुप को बरकरार रखा और ₹4.531 करोड़ खर्च कर कई नए चेहरों को जोड़ा। इससे साफ़ होता है कि वे इस बार अपना पहला खिताब जीतने के इरादे से मैदान में उतर रहे हैं।
ताकत: रेड और डिफेंस में गहराई
मुख्य खिलाड़ियों को रिटेन करना
टीम की सबसे बड़ी ताकत है रेडिंग और डिफेंस दोनों में गहराई और विविधता। अनुभवी खिलाड़ियों और युवाओं का बेहतरीन मिश्रण मौजूद है।
सबसे स्मार्ट मूव था विजय मलिक को फाइनल बिड मैच (FBM) कार्ड से ₹51.50 लाख में रिटेन करना। पिछले सीज़न में 172 रेड पॉइंट्स और 11 टैकल पॉइंट्स के साथ वे निर्णायक मौकों पर टीम की अगुवाई करते दिखे।
रेडिंग यूनिट में मजबूती
₹81 लाख में भारत हूडा को जोड़ना टीम की रेडिंग में अनुभवी ताकत लेकर आया है। हालांकि उनकी हालिया फॉर्म थोड़ी गिर गई है, फिर भी उनके करियर के 599 रेड पॉइंट्स उन्हें एक मूल्यवान खिलाड़ी बनाते हैं।
भारत और विजय के साथ-साथ युवा रेडर जय भगवान रेडिंग में विविधता और अप्रत्याशितता लाते हैं। आशीष नरवाल (₹15.17 लाख) और मंजीत (₹13 लाख) को भी FBM के ज़रिए रिटेन किया गया है, जिससे बेंच स्ट्रेंथ मजबूत बनी है और रेडिंग में विविध विकल्प मिलते हैं।
डिफेंस में मज़बूती
टीम ने डिफेंस को भी मज़बूती दी है। ₹80 लाख में दाएं कॉर्नर के टॉप डिफेंडर शुभम शिंदे की खरीद बड़ी उपलब्धि है। 106 मैचों में 207 टैकल पॉइंट्स के साथ वह अनुभव, आक्रामकता और लीडरशिप लाते हैं।
उनका साथ देने के लिए अमन अंतिल, राहुल डागर के साथ-साथ युवा खिलाड़ियों – अमीर्होसेन एजलाली, शंकर गड़ई, अंकित, सागर रावल, अजीत पवार, अवि दुहन और बंटू मलिक को टीम में जोड़ा गया है। यह युवा और अनुभवी का अच्छा मिश्रण है।
कमज़ोरियाँ: अहम खिलाड़ियों की कमी
पवन सहरावत की अनुपस्थिति
सबसे बड़ी कमी है पूर्व कप्तान पवन कुमार सहरावत का जाना। वह पिछले दो सीज़नों में टीम के टॉप रेडर रहे और अकेले दम पर मैच का रुख बदल सकते थे। सीज़न 10 और 11 में उन्होंने क्रमशः 202 और 129 रेड पॉइंट्स बनाए। उनकी गैरमौजूदगी में टीम को लीडरशिप की कमी खलेगी।
कवर डिफेंस में अनुभव की कमी
राइट कवर में सागर रावल अभी सीख ही रहे हैं, जबकि अवि दुहन ने अब तक एक भी पीकेएल मैच नहीं खेला है। लेफ्ट कवर में सिर्फ अजीत पवार (42 मैचों का अनुभव) अनुभवी हैं। बंटू मलिक प्रतिभाशाली हैं लेकिन अभी डेब्यू नहीं किया है। यह गैप सीज़न के दौरान बड़ी चुनौती बन सकता है।
अवसर: उभरते सितारे और कोचिंग का अनुभव
‘हूडा फैक्टर’
कोच कृष्णन कुमार हूडा को बरकरार रखना एक मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित हूडा ने दबंग दिल्ली को पीकेएल सीज़न 8 में खिताब दिलाया था। उनके पास युवा खिलाड़ियों को तराशने का जबरदस्त अनुभव है।
NYP खिलाड़ियों की मौजूदगी
चेतन साहू, रोहित राठी, नितिन और सागर रावल जैसे युवा खिलाड़ी NYP (न्यू यंग प्लेयर) श्रेणी के तहत रिटेन किए गए हैं। इनका सही उपयोग टीम में नई ऊर्जा और अप्रत्याशितता जोड़ सकता है।
खतरे: अधिक निर्भरता और अस्थिर प्रदर्शन
टीम की सफलता काफी हद तक भारत हूडा के प्रदर्शन पर टिकी है, जिनका हालिया फॉर्म बहुत प्रभावशाली नहीं रहा। पिछले दो सीज़नों में उन्होंने कुल 205 रेड पॉइंट्स ही बनाए। यदि भारत शुरुआत में विफल रहते हैं तो सारा दबाव विजय मलिक पर आ सकता है।
स्टार रेडर की कमी
पवन सहरावत जैसे मैच विनर की गैरहाजिरी में रेडिंग यूनिट थोड़ी कमजोर लग सकती है। भारत और विजय अच्छे खिलाड़ी हैं, लेकिन पवन, नवीन कुमार या अर्जुन देशवाल की तरह मैच पलटने वाले नहीं हैं।
डिफेंस में अनुभव की कमी
कवर डिफेंडरों की अनुभवहीनता टीम को खासकर करीबी मुकाबलों में नुकसान पहुंचा सकती है। टॉप रेडिंग यूनिट्स इन कमजोरियों का फायदा उठा सकती हैं।
जीत के सारे हिस्से मौजूद हैं, पर सही अमल ज़रूरी
तेलुगु टाइटंस पीकेएल सीज़न 12 में नई सोच, संतुलित टीम और अनुभवी कोच के साथ उतर रही है। टीम में युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का अच्छा संतुलन है और अगर रणनीति का सही तरह से अमल हुआ, तो ये टीम खिताब की प्रबल दावेदार बन सकती है।
हालांकि, भारत हूडा की फॉर्म, पवन सहरावत की अनुपस्थिति में लीडरशिप की कमी, और डिफेंडरों का प्रदर्शन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो उनकी किस्मत तय करेंगे। अगर इन चुनौतियों को पार कर लिया गया, तो टाइटंस इस सीज़न के डार्क हॉर्स साबित हो सकते हैं।
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