मंत्री एके शर्मा ने सदन को ऊर्जा विभाग के कार्यों और विद्युत् व्यवस्था की दी जानकारी

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को ऊर्जा विभाग के परिव्ययों को चुकाने के लिए आवश्यक धनराशि की पूर्ति हेतु आवंटित 53,363 करोड़, 09 लाख 18 हजार रुपए से अधिक की धनराशि को सदन में चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने विधानसभा में सोमवार को ऊर्जा विभाग का वर्ष 2025-26 के लिए आवंटित बजट प्रस्तुत किया था।

इस दौरान उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में ऊर्जा के बिना कुछ भी करना संभव नहीं। ऊर्जा आज अर्थव्यवस्था और प्रगति की चाबी बन चुकी है। प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिए प्रति व्यक्ति बिजली की खपत को भी बढ़ाना पड़ेगा। अभी प्रदेश की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत देश की आधी है।

परिव्यय चुकाने के लिए आवंटित 53,363 करोड़, 09 लाख 18 हजार रुपए की धनराशि पारित

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने तथा भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रदेश की बिजली की व्यवस्था को बेहतर बनाना होगा। लघु उद्योग, कुटीर उद्योग, घरेलू उद्योगों को चलाने के लिए बिजली की व्यवस्था करनी होगी, तभी लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी।

लोगों की खुशहाली के लिए बिजली की बेहतर व्यवस्था बहुत आवश्यक है। इसी के दृष्टिगत प्रदेश सरकार विद्युत आपूर्ति की गुणवत्तापूर्ण उत्पादन पर जोर दे रही है।

प्रदेशवासियों को 24 घंटे बिजली देने के लिए 50 वर्ष पुरानी जर्जर व्यवस्था को सुधारने का कार्य किया जा रहा। नए विद्युत संयंत्र लगाए जा रहे हैं। बजट में 4200 करोड रुपए किसानों को मुफ्त बिजली देने के लिए प्रावधानित है।

वहीं गरीब उपभोक्ताओं (लाइन लाइफ कंस्यूमर) को 53 प्रतिशत कम दर पर बिजली मिलती रहे, इसके लिए 2000 करोड रुपए का प्रावधान है।

ग्रामीण व सुदूर क्षेत्रों में रहने वालों को सस्ती बिजली देने के लिए 4000 करोड रुपए की व्यवस्था है। आरडीएसएस योजना के तहत कार्यों के लिए 11547 करोड रुपए की व्यवस्था है, इससे बिजली के जर्जर तार पोल को बदला जा रहा बांस बल्ली की लाइन को हटाकर पोल लगाए जा रहे।

बिजनेस प्लान में भी 4000 करोड रुपए की व्यवस्था की गई है। विद्यालयों स्कूलों के ऊपर से हाई टेंशन लाइन को हटाने के लिए भी 100 करोड रुपए की व्यवस्था है। गर्मी में अनवरत बिजली देने के लिए 3000 करोड रुपए की व्यवस्था की गई है। ट्रांसमिशन लाइनों के लिए 2634 करोड रुपए की व्यवस्था बजट में की गई है।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार पर्यावरण और ग्लोबल वार्मिंग के दृष्टि से ग्रीन एनर्जी, सौर ऊर्जा तथा बायो एनर्जी, हाइड्रोजन एनर्जी पर जोर दे रही। प्रदेश में सोलर सिटी का विकास हो रहा।

अयोध्या मॉडल सोलर सिटी के रूप में विकसित हो चुकी है। अयोध्या के अलावा 16 अन्य नगर निगमों को भी सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। पीएम सूर्य घर योजना से लोग अपने घरों में मुफ्त बिजली पैदा कर सकते हैं। किसानों के पंपों को सोलराइज किया जा रहा।

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उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2017 में 10.65 लाख किसानों के पास ट्यूबवेल कनेक्शन थे जो कि आज डेढ़ गुना होकर 15.44 लाख हो गए हैं।

इसी प्रकार प्रदेश का ट्रांसमिशन नेटवर्क 2017 में 33172 सर्किट किमी था, जो कि अब 58453 सर्किट किमी हो गया है। विद्युतीकृत मजरे में 2017 में 128 थे जो कि आज 249 हो गए हैं। 2017 में 1.08 करोड़ मीटर लगे उपभोक्तता थे जबकि आज 3.54 करोड़ हो चुके हैं।

लाइन हानियां 2017 में 33 प्रतिशत थी जो कि आज घटकर 16.5 प्रतिशत ही रह गई है। 2017 में 33/11 के सब स्टेशन 3817 थे जो कि अब 20 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 747 और नए बन गए हैं। 2017 में 765 केवी के चार सब स्टेशन थे जो कि अब तीन और नए बनकर 07 हो गए है।

इसी प्रकार 400 केवी के 19 उपकेंद्र थे जो कि अब 21 और नए बनकर 40 हो गए है। 220 केवी के 98 उपकेंद्र थे जो कि अब 71 और नए बनकर कुल 169 हो गए है। 132 केवी के पहले 382 उपकेंद्र थे जो कि अब 95 नए बनकर कुल 477 हो गए है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सपा सरकार ने दिसंबर 2016 में ओबरा और जवाहरपुर विद्युत संयंत्र का शिलान्यास किया था जिसे वर्तमान सरकार ने पूरा किया। जून 2012 में घाटमपुर प्लांट का भी मात्र शिलान्यास किया गया था जो कि अब पूरा हो गया।

पनकी, मेजा की 800 गुना 3, कोबरा की 800 गुना 2, अनपरा की 800 गुना 2 क्षमता के विद्युत प्लांट बनाने की प्रक्रिया चल रही है। निजी क्षेत्र में भी कुछ प्लांट स्थापित करने की कार्रवाई की जा रही है। वर्ष 2017 में राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता 6308 मेगावाट थी जो कि अब बढ़कर 9644 मेगावाट हो गई है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में बढ़ते औद्योगीकरण की मांग के दृष्टिगत विद्युत व्यवस्था की तैयारी की जा रही है। वर्तमान में राज्य की कुल विद्युत क्षमता 47634 मेगावाट है। 33 हज़ार विद्युत क्षमता पीपीए के तहत कमीशंड है। वर्तमान में लगभग 30 हज़ार मेगावाट की डिमांड है।

इसी प्रकार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है। ग्रीन कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र में सोलर प्लांट लगाने की प्रक्रिया तेज गति से चल रही है। 3000 मेगावाट के सोलर प्लांट साइन हो चुके हैं। राज सेक्टर के तहत् 4000 मेगावाट के प्लांट स्थापना की प्रक्रिया चल रही है। प्रदेश में 2000 मेगावाट के पंप स्टोरेज परियोजनाओं की स्थापना स्वीकृति मिल गई है।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए 2019 में मेजा में पहली यूनिट तथा 2021 में दूसरी यूनिट शुरू की गई। हरदुआगंज की दसवीं यूनिट 2022 में, ओबरा सी की फरवरी 2024 में, जवाहरपुर की एक यूनिट 2024 में, घाटमपुर की एक यूनिट 2024 में क्रियान्वित कर ली गई है।

जवाहरपुर की दूसरी यूनिट से मार्च 2025 में उत्पादन शुरू हो जाएगा तथा पनकी से मार्च 2025 में कमर्शियल प्रोडक्शन चालू हो जाएगा। ओबरा सी की दूसरी यूनिट मार्च में शुरू हो जाएगी।

प्रदेश में 1600 मेगावाट का नया थर्मल प्लांट लगाया जा रहा है। सोलर में भी 5000 मेगावाट, विंड में 1300 मेगावाट तथा हाइड्रो में 5400 मेगावाट और पंप स्टोरेज का 2500 मेगावाट तथा थर्मल का 10600 मेगावाट क्षमता की नई विद्युत इकाइयां स्थापित की जा रही है।

उन्होंने कहा कि विद्युत व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए 33 केवी लाइन और नए वे के निर्माण कार्य 800 मंजूर थे जिसमें से 469 का पूर्ण हो गए हैं। 33 केवी लाइन के सुदृढ़ीकरण के 1800 कार्य मंजूर थे जिसमें से 1096 कार्य पूरे हो गए। 33/11 केवी के 1693 उपकेद्रों की क्षमता वृद्धि की गई।

11 केवी फीडर पृथक्करण के 1547 कार्य पूरे हो चुके है। प्रदेश में 12328 नए वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए। एलटी लाइन एवं प्रोटेक्शन से संबंधित 17952 कार्य पूरे किए गए। जर्जर कंडक्टर को एवी केबल में बदलने के लिए 134807 किमी एवी केबल बिछाई गई। 1657 कृषि फ़ीडरों का पृथक्करण किया गया।

11 केवी के जर्जर कंडक्टर 45629 किमी के कार्य पूरे हुए। प्रदेश में बांस बल्ली से लाइन को हटाने तथा जर्जर पोल को हटाने के लिए 26,38,933 पोल में लगाए गए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऊर्जा विभाग प्रदेश में निर्बाध एवं गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति के लिए पूरे प्रयास कर रहा है।

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