तम्बाकू सेवन से कई तरह के कैंसर से पीड़ित होने का खतरा : प्रो.(डॉ.) राजेन्द्र प्रसाद

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लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान “तम्बाकू सेवन को ना कहकर हम स्वस्थ भारत की नीव रख सकते हैं” से प्रेरित होकर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने “विश्व तम्बाकू निषेध दिवस-2022” के अवसर पर ट्रस्ट के सेक्टर-25, इंदिरा नगर, कार्यालय के राम दरबार में ऑनलाइन विचारगोष्ठी का आयोजन किया।

इस ऑनलाइन विचारगोष्ठी में प्रमुख वक्तागण प्रो.(डॉ.) राजेन्द्र प्रसाद, वरिष्ठ पल्मोनरी चिकित्सक, महेन्द्र भीष्म, साहित्यकार, श्रीमती वंदना सिंह, शिक्षाशास्त्री ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये I विचारगोष्ठी का सीधा प्रसारण फेसबुक लिंक https://www.facebook.com/HelpUEducationalAndCharitableTrust पर किया गया।

प्रो.(डॉ.) राजेन्द्र प्रसाद (विभागाध्यक्ष, पल्मोनरी विभाग, एरा मेडिकल कालेज) ने ने तम्बाकू से स्वास्थ्य पर होने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में बताते हुए कहा कि  तम्बाकू से प्रति वर्ष 8 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है। इनमें से 7 लाख से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु तम्बाकू का सेवन करने से होती है।

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इसके साथ तकरीबन 1.2 लाख लोग तम्बाकू सेवन करने वाले लोगों के सम्पर्क में आकर मौत का शिकार हो जाते हैं। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS 2) के अनुसार औसतन 42.4 फीसदी पुरुष व 14.2 फीसदी महिलायें तम्बाकू का उपयोग करते हैं एवं करीब 38.7 फीसदी वयस्क घर में ही परोक्ष धूम्रपान (Second hand smoke) के शिकार हो जाते हैं।

तम्बाकू के सेवन से न सिर्फ श्वसन संबंधी रोग जैसे फेफड़ों का कैंसर, COPD, श्वसन नली में इन्फेक्शन होते हैं बल्कि हृदय सम्बन्धी रोग, मुख कैंसर, अन्नप्रणाली कैंसर व मोतियाबिंद जैसी बीमारियों भी हो जाती हैं। डा.प्रसाद ने आगे कहा कि धूम्रपान में, भारत में सबसे अधिक बीड़ी का उपयोग किया जाता है।

ये सिगरेट स्मोकिंग से भी ज्यादा हानिकारक है। इस वर्ष विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की थीम है:- Protect the environment अर्थात हमें अपने आस-पास के वातावरण को तम्बाकू से होने वाले दुष्प्रभावों से बचाना है क्योंकि तम्बाकू न सिर्फ हमारी पृथ्वी को दूषित करता है अपितु मानव जाति के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है।

फेंके हुऐ सिगरेट के टुकड़ों से प्लास्टिक प्रदूषण फैलता है। तम्बाकू की खेती करने में बहुत सारे रसायनों का प्रयोग किया जाता है जो पर्यावरण के लिये अत्यन्त हानिकारक है। तम्बाकू को उगाने के लिये अत्यधिक मात्रा में पानी का इस्तेमाल होता है, जिससे वातावरण में पानी की कमी हो जाती है।

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उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान जब लोगों को यह बात पता चली कि धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों पर कोविड़ -19 के दुष्प्रभाव अधिक होते हैं तो लोगों में धूम्रपान न करने की ललक दिखी परन्तु धूम्रपान एक ऐसी आदत है जो एक बार लग जाये तो उसे छुटाना बहुत मुश्किल होता है।

अध्ययनों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि धूम्रपान करने वालों पर कोरोना का अधिक प्रभाव दिखाई दिया है। दूसरी ओर महेन्द्र भीष्म ने कहा कि विश्व में प्रत्येक वर्ष लगभग 67 लाख व्यक्ति तंबाकू से मृत्यु को प्राप्त होते हैं। उन्होंने अपनी एक कहानी जो ‘स्टोरी’ शीर्षक से है, प्रस्तुत की।

इस कहानी में तंबाकू से होने वाले दुष्परिणाम का चित्रण तो है ही साथ ही किस तरह से यह दिवस एक खानापूर्ति बनकर रह गया है इस पर करारा व्यंग्य किया गया है। श्रीमती वंदना सिंह ने कहा कि सभी जानते हैं कि गुटका और सिगरेट स्वास्थ्य के लिए कितने नुकसानदेह है जो उसकी पैकेजिंग पर भी पिक्चर बना कर चेतावनी दी जाती है।

हालांकि  ये कोई कम्पनी नहीं बताती किं ये सिर्फ हमारा नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए, जलवायु के लिए कितना खतरनाक है। इसका कूड़ा जो गैर-अपघटनीय प्लास्टिक से बनता है 2.4 मिलियन है जो की फ़ूड के पैकेजिंग कूड़े से भी कहीं ज्यादा हैं जो कि 1.7 मिलियन है।

तम्बाकू को इस्तेमाल करने के बाद का कूड़ा हमारे ग्रह को कई तरीके से संकट में डालता है। कार्यक्रम की संयोजिका व हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ने कहा कि डब्लयूएचओ  के अनुसार तम्बाकू के सेवन से हर वर्ष दुनिया भर में 80 लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं l

तम्बाकू निषेध के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु सिनेमा घरों में किसी भी फिल्म के शुरू होने से पहले भी यही सन्देश दिखाया जाता है कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

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