शार्दूल के हौसले के आगे कम पड़ गई सैकड़ो किलोमीटर की दूरी

0
207

नई दिल्ली। हौसले बुलंद हो तो सैकडो किलोमीटर की दूरी भी छोटी पड़ जाती है। ऐसा ही कुछ शार्दूल विहान के साथ भी हुआ। मेरठ के रहने वाले 20 वर्षीय शार्दूल विहान ने वर्ष 2018 में एशियन गेम्स के डबल ट्रैप शूटिंग इवेंट में सिल्वर जीत मेडल जीत कर देश और उत्तर प्रदेश का नाम दुनिया मे रोशन कर दिया।

लेकिन इस पदक को हासिल करने के लिए शार्दुल विहान को हर दिन साल दर साल सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी।

मेरठ से दिल्ली आकर करता था प्रैक्टिस

जी हां! मेरठ के रहने वाले शार्दूल को पूर्वाभ्यास के लिए हर दिन मेरठ से दिल्ली तक कि सौ किलोमीटर से भी ज्यादा की दूरी तय कर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस के लिए आना पड़ता था। इसके लिए हर दिन सुबह चार बजे उन्हें जगना पड़ता था और दिल्ली आ कर प्रैक्टिस करते थे।

15 साल की उम्र में एशियन गेम्स में सिल्वर किया देश का नाम रोशन

इसका परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2018 में इंडोनेशिया में चल रहे 18वें एशियन गेम्स में डबल ट्रैप शूटिंग इवेंट में सभी को आश्चर्यचकित करते हुए शार्दूल विहान ने सिल्वर मेडल झटक लिया। उस समय शार्दूल की उम्र महज 15 साल थी।

उस समय शार्दूल को महज कुछ एक गिने चुने लोग ही जानते थे लेकिन सिल्वर मेडल मिलते ही शार्दूल दुनिया की नजरों में आ गए।

शार्दुल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए क्वालीफाइंग राउंड में 141 अंकों के साथ नंबर एक पर रहे। फ़ाइनल राउंड में उन्होंने 34 वर्षीय कोरियाई खिलाड़ी के ह्यून वू शिन के साथ कड़े मुकाबले में सिल्वर पर निशाना लगाया। उस समय मेडल मिलने के बाद प्रधानमंत्री से लेकर खेलमंत्री तक ट्वीट कर उन्हें बधाई दी।

लक्ष्य ओलम्पिक में गोल्ड हासिल करना

शार्दूल विहान खेलो इंडिया में शोभित यूनिवर्सिटी को रिप्रजेंट कर रहे है। उन्होंने बताया कि इस मुकाम तक पहुंचने में उनके परिवार खासकर उनके पिता जी का कितना बड़ा योगदान रहा है।

शुरू में वह बैडमिंटन खेलते थे लेकिन उसमें उनका दिल नही लगा तो राइफल उठा ली। पर यहां मुश्किल यह आई कि मेरठ में कही कोई शूटिंग रेंज नही थी, जिससे कि वह प्रैक्टिस कर सके।

इससे उन्हें भारी निराशा हुई लेकिन उनके पिता जी ने उनकी इच्छाओं और हौसले को देखते हुए दिल्ली स्थित कर्णी सिंह स्टेडियम में ट्रेनिग के लिए दाखिला दिला दिया और छोटा सा बच्चा शार्दूल हर दिन सुबह चार बजे उठ कर मेरठ से दिल्ली आता और प्रैक्टिस कर के वापस घर जाता और अपनी पढ़ाई भी करता।

ये भी पढ़ें : वाराणसी के वॉलीबॉल खिलाड़ी श्रेयांश सिंह पूरा करना चाहते हैं किसान पिता के अधूरे सपने

आज उसने जो मुकाम हासिल किया है उस पर देश को तो नाज है ही उसे भी नाज है कि उसने अपने परिवार वालो के भरोसे को बरकरार रखा। शार्दूल ओलम्पिक में गोल्ड मेडल लाकर देश का और अपने माता पिता का नाम रोशन करना चाहते है।

खेलो इंडिया गेम्स में शामिल हुए शार्दूल विहान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खिलाड़ियों के लिए किये गए इंतजाम से काफी खुश हैं। खासकर रहने से लेकर खाने पीने तक और स्टेडियम में जिस तरह से हर एक एक खिलाड़ी को तवज्जो दी जा रही है उससे यह काफी खुश हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here