लखनऊ। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की 142 देशों मे फैली हुई कई हजार शाखाओं द्वारा आज सारे विश्व में 86वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती का भव्य आयोजन भव्य आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में लखनऊ गणेशगंज खुर्शेद बाग फाटक स्थित संस्था की स्थानीय शाखा विश्व कल्याणी भवन मे शिवरात्रि महोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया गया।
विकारों का त्याग कर पवित्र जीवन जीने तथा समाज सेवा का लिया संकल्प
कार्यक्रम में सबसे पहले सेवा केंद्र की प्रबंधिका ब्रह्मा कुमारी इंद्रा बहन ने शिव परमपिता परमात्मा का ध्वज फहराया और सभी श्रद्धालुओं से शिव ध्वजा के नीचे खड़े होकर विकारों का त्याग कर पवित्र जीवन जीने तथा समाज सेवा का संकल्प दिलाया।
श्रद्धालुओं को शिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए संस्था के वरिष्ठ भाई बद्री विशाल तिवारी ने बताया की शिव का अर्थ होता है कल्याणकारी और लिंग का अर्थ होता है पहचान। विभिन्न मंदिरों में स्थापित शिवलिंग, कल्याणकारी परमात्मा की निशानी है। यह कोई पुल्लिंग नहीं है यह ज्योतिर्लिंग है। जब भक्ति मार्ग की शुरुआत हुई तो 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना हुई। यह अंडाकार प्रतिमा ज्योति स्वरूप परमात्मा की पहचान है, जो मंदिरों में पूजा के लिए रखी गई है। सभी कहते हैं गॉड इज वन लेकिन उसे जानते नहीं हैं।
परमात्मा को मुसलमान धर्म के अनुयाई नूर ए इलाही और हिंदू ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं ईसाई धर्म वाले कहते हैं गॉड इज लाइट गुरु नानक देव भी कहते हैं एक ओंकार निरंकार। राम ने भी रामेश्वर में शिव की प्रतिमा स्थापित कर पूजा किया इसलिए वह देवों के देव महादेव हैं।
शिव सर्व आत्माओं के परमपिता है और यह शिवरात्रि परमात्मा शिव का अवतरण उत्सव है। रात्रि का मतलब होता है अज्ञानता जब धर्म की ग्लानि हो जाती है, पूरे विश्व में अज्ञानता का साम्राज्य हो जाता है, तो परमात्मा इस धरती पर आते हैं। इस धरा पर अवतरित होकर के मनुष्य आत्माओं को ज्ञान प्रकाश देकर, उनकी दुख और अशांति को दूर करते हैं।
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वह सारे विश्व के मालिक हैं इसलिए उन्हें विश्वनाथ कहते हैं। वह मनुष्य आत्माओं के पाप को काटते हैं इसलिए पाप कटेश्वर कहलाते हैं। मुक्ति को प्रदान करते हैं इसलिए मुक्तेश्वर कहलाते हैं। शिव परमात्मा के सभी नाम गुणवाचक है। आज हम शिवरात्रि तो मनाते हैं लेकिन उसके आध्यात्मिक स्वरूप को नहीं जानते।
इसलिए शिवरात्रि मनाने का वास्तविक लाभ हमें नहीं मिलता। हम भांग धतूरा तो चढ़ाते हैं लेकिन हमारे मन में जो कांटों से भरे जहरीले विकार हैं, वह हम परमात्मा पर नहीं चढ़ाते। हम बेर तो चढ़ाते हैं लेकिन मन के अंदर बैर भाव छुपा कर रखते हैं। सच्ची शिवरात्रि तो यह है कि हम अपने मनोविकार को परमात्मा पर अर्पित कर दें।
तो हमारा जीवन दूध जैसा निर्मल और जल जैसा शीतल हो जाएगा। कार्यक्रम मे सभी श्रद्धालुओं को आज के दिन परमात्मा पर बुराई अर्पण करने का संकल्प दिलाया गया और ओम की ध्वनि के साथ कार्यक्रम का आरंभ करते हुए प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम को संपन्न किया गया।