बुरे मार्ग से सही मार्ग पर आने की प्रेरणा देता है महर्षि वाल्मीकि का जीवन 

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लखनऊ। हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में संस्कृत भाषा के आदिकवि और महाकाव्य ‘रामायण’ के रचयिता “महर्षि वाल्मीकि” की जयन्ती के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इंदिरा नगर, सेक्टर-25 स्थित कार्यालय में “श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि” कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ.रूपल अग्रवाल, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य विनय त्रिपाठी, सिलाई कौशल प्रशिक्षण प्राप्त कर रही प्रशिक्षणार्थियों तथा हेल्प यू ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने महर्षि वाल्मीकि जी की के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण कर उन्हें श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि दी।

इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि महर्षि वाल्मीकि, जिनके जीवन की शुरुआत पाप के साथ हुई, आज सर्वजगत में अपनी अखंड कर्तव्यनिष्ठा के लिए पूजे जाते हैं। हम सभी हिंदू धर्म के पवित्र महाकाव्य रामायण को सुनते हैं, इस महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि जी द्वारा ही की गई है।

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महर्षि वाल्मीकि संस्कृत भाषा के रूप में आदि काव्य ‘रामायण’ के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध है। भारत और हिन्दू धर्म में “रामायण” का खासा महत्व है। आज के दिन, अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को हर वर्ष महर्षि वाल्मीकि जयंती के रूप में वाल्मीकि जी को स्मरण किया जाता है।

वनवास के समय भगवान श्री राम ने स्वयं इन्हें दर्शन देकर कृतार्थ किया। सीता जी ने अपने वनवास का अन्तिम काल इनके आश्रम पर व्यतीत किया। वहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ। वाल्मीकि जी ने उन्हें रामायण का गान सिखाया। इस प्रकार नाम-जप और सत्संग के प्रभाव से वाल्मीकि डाकू से ब्रह्मर्षि हो गये।

वास्तव में महर्षि वाल्मीकि का जीवन हमें बुरे मार्ग से सही मार्ग पर आने की प्रेरणा देता है। यदि हम अपने जीवन को बदलने की ठान लें तो फिर हमें अपने जीवन को सफल बनाने से कोई बुराई नहीं रोक सकती। हर वर्ष महर्षि वाल्मीकि जी
की जयंती को उत्साह से मनाकर हम एक नई ऊर्जा तथा प्रेरणा धारण करते रहेंगे।

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