लखनऊ। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस-2022 के अवसर पर सीएसआईआर-सीडीआरआई ने न्यूक्लिक एसिड स्टेनिंग डाई ग्रीनआर™ की तकनीक को उत्तर प्रदेश में पंजीकृत एक स्टार्ट-अप कंपनी, जीनटूप्रोटीन प्राइवेट लिमिटेड (जीपीपीएल) को हस्तांतरित कर दिया।
डाई ग्रीनआर™ को सीडीआरआई के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अतुल गोयल ने संस्थान के एक उद्योग भागीदार बायोटेक डेस्क प्राइवेट लिमिटेड (बीडीपीएल), हैदराबाद के संयुक्त सहयोग से विकसित किया है। डॉ गोयल ने बताया कि उत्पाद ग्रीनआर™ व्यावसायिक रूप से उपलब्ध डीएनए/आरएनए डाइज़ (रंजकों), जो वर्तमान में विदेशों से आयात किए जाते हैं, के लिए एक किफायती विकल्प है।
सीडीआरआई ने हस्तांरित की न्यूक्लिक एसिड स्टेनिंग डाई ग्रीनआर की प्रौद्योगिकी
यह जीनोमिक डीएनए, पीसीआर उत्पादों, प्लास्मिड और आरएनए सहित सभी न्यूक्लिक एसिड के साथ अच्छी तरह से बंधता है तथा नीली रोशनी या पराबैंगनी (अल्ट्रा वायलेट) रोशनी में एक्सपोजर पर फ्लोरोसिस (प्रतिदीप्ति) करता है। इस डाई के आणविक निदान (मोलिक्युलर डायग्नोस्टिक्स) और जीवन विज्ञान अनुसंधान में विविध अनुप्रयोग हैं।
ग्रीनआर™ के रासायनिक संश्लेषण को डॉ. गोयल की टीम द्वारा मानकीकृत किया गया था जिसमें शाज़िया परवीन और कुंदन सिंह रावत शामिल हैं। बीडीपीएल टीम ने रीयल टाइम पीसीआर और डीएनए बाइंडिंग में इसके जैविक अनुप्रयोगों का अध्ययन किया है।
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डॉ. श्रद्धा गोयनका, जीनटूप्रोटीन प्राइवेट लिमिटेड (जीपीपीएल) की निदेशक ने गो ग्रीनआर™ अभियान शुरू करने की योजना बनाई है। इसमें वह पूरे भारत के वैज्ञानिकों से उत्परिवर्तन कारक (म्यूटाजेनिक) एथिडियम ब्रोमाइड के उपयोग को ग्रीनआर™ डाई से बदलने का आग्रह करती है जो उपयोग में सुरक्षित और निपटान में आसान है।
कंपनी ने अकादमिक और उद्योग दोनों में शोधकर्ताओं के बीच इस उत्पाद का नमूना लेना शुरू कर दिया है। एसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक डॉ. श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में, सबसे लोकप्रिय डीएनए डाई, सायबर (एसवाईबीआर) ग्रीन ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी की है।
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स्वदेशी डाई ग्रीनआर™ के विकास से भारतीय शोधकर्ताओं को विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए महंगे आयातित रंजकों का विकल्प मिलेगा जो भारत को ‘आत्मनिर्भर भारत’ के और करीब ले जाएगा।