मछली मंडी में दिहाड़ी मजदूरी करता है रग्बी चैंपियन भारती विद्यापीठ का होनहार खिलाड़ी

0
73

लखनऊ। भरत फट्टू चव्हाण की कहानी उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोजित किए जा रहे खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 में हिस्सा लेने वाली बाकी सभी एथलीटों से जुदा है।

भरत ने केआईआईटी-भुवनेश्वर पर पुरुषों के रग्बी फाइनल में भारती विद्यापीठ-पुणे को मिली शानदार जीत में सबसे अधिक 10 अंक जुटाए। यही नहीं, वह पूरे टूर्नामेंट के सर्वोच्च स्कोरर रहे। भारती विद्यापीठ पुणे से बीए कोरोस्पांडेंस से बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन (बीपीई) का कोर्स कर रहे भरत मुंबई के कोलाबा में अकेले रहते हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वह शारीरिक रूप से अक्षम अपने माता-पिता और स्कूल में पढ़ रहे छोटे भाई के भरण पोषण के लिए दिहाड़ी मजदूरी भी करते हैं, पढ़ाई भी करते हैं और साथ ही साथ अपने खेल को भी जारी रखे हुए हैं।

भरत ने कहा,- मां और पिता जी गांव में रहते है। पिता किसान हैं। अब वह ठीक से खेती नहीं कर पाते। पैरालाइज्ड हैं 50 परसेंट। मैं को अधिक समस्या नहीं हैं पर पिताजी काफी पैरालाइज्ड हैं। मैं मुंबई में डेली बेसिस पर जाब भी करता हूं, पढ़ाई भी करता हूं औऱ रग्बी भी खेलता हूं।-

फाइनल में केआईआईटी के खिलाफ अपनी टीम को मिली 19-10 की जीत में 10 अंक जुटाने वाले भरत ने आगे कहा, -घर का खर्च मैं ही चलाता हूं। फिशिंग का आक्शन करता हूं। शिप में जो इम्पोर्ट का माल आता है, उसको ऑक्शन करता हूं। सुबह 3 बजे फिशिंग यार्ड जाता हूं।

चार बजे से ऑक्शन स्टार्ट होता है। सात बजे तक फ्री होकर जिम जाता हूं। और फिर घर आकर पढ़ाई करता हूं। शाम के वक्त अपनी लोकल टीम के साथ रग्बी खेलता हूं। भरत ने बताया कि वह दूसरी बार खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में हिस्सा ले रहे हैं।

भरत ने कहा,- भुवनेश्वर में मेरी टीम खेली थी और गोल्ड जीता था। खेले इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स काफी अच्छा प्लेटफार्म है। जो खिलाड़ी गरीब परिवेश से आते हैं, उन्हें खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में सबकुछ मिलता है।

ये भी पढ़ें : भाई से प्रेरित होकर निश्चल ने छठी क्लास से शुरू की निशानेबाजी

रहना, खाना, आना-जाना सब फ्री होता है। खिलाड़ियों को बस अपने परफार्मेंस पर ध्यान लगाना होता है। मैंने यहां खेलकर हमेशा प्राउड फील किया है। टीवी पर आकर अच्छा लगता है। पहली बार जब खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स हुए थे तब स्टार स्पोर्ट्स पर इसका लाइव प्रसारण हुआ था।

मेरे गांव के लोगों ने मुझे खेलते हुए देखा था। मेरे लिए वह बेहद खास पल था। भरत ने बताया कि अच्छा खेलने के कारण विश्वविद्यालय उनकी फीस 50 फीसदी तक कम कर देता है, जिससे उन्हें काफी मदद मिलती है।

बकौल भरत,- मैं भारती विद्यापीठ में स्पोर्ट्स टीचर का कोर्स कर रहा हूं लेकिन मेरा सपना देश के लिए खेलना है। मैं हमेशा इसके बारे में सोचता हूं। हाल ही में मुझे महाराष्ट्र का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार-छत्रपति पुरस्कार मिला है।

भरत ने बताया कि वह महाराष्ट्र के लिए पहली टीम के प्लेयर हैं और पांच साल से नेशनल गेम्स में खेल रहे हैं। भरत ने कहा,- गुजरात में आयोजित नेशनल गेम्स में महाराष्ट्र का सिल्वर मेडल था। 2015 में मैंने पहली बार नेशनल्स खेला था, जहां मेरी टीम को ब्रांज मिला था। तब से रुका नहीं हूं।

भरत मुंबई में मुंबई जिमखाना में प्रैक्टिस करते हैं और स्थानीय लीग्स में रहीमुद्दीन शेख की देखरेख में मैजिशियन फाउंडेशन इंडिया की टीम के लिए खेलते हैं। भरत ने बताया,- यह एक एनजीओ है। मैं बच्चों को सिखाता भी हूं और इस काम में मैजिशियन फाउंडेशन सपोर्ट भी करता है।

आपका सपना क्या है, इस पर भरत ने कहा,- खिलाड़ी के तौर पर मुझे इंडिया खेलना है। उसके लिए तैयारी कर रहा हूं। इसके बाद मैं किसी अच्छी नौकरी के लिए अप्लाई कर सकता हूं क्योंकि मैं जो काम अभी कर रहा हूं उसमें कभी काम होता है और कभी फांका रह जाता है।

मुझे अपने परिवार के देखना होता है और इस कारण मुझे एक अच्छी नौकरी की तलाश है, जो मुझे खेलों के माध्यम से ही मिल सकती है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here