काफी महत्वपूर्ण थी राष्ट्रीय चेतना आंदोलन में पंजाबी महिलाओं की भूमिका

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी की ओर से ‘‘राष्ट्रीय चेतना में पंजाबी महिलाओं की भूमिका” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन बुधवार को शशि भूषण बालिका विद्यालय डिग्री कॉलेज के समाजशास्त्र और इतिहास विभाग के सहयोग से विद्यालय के सभागार में किया गया।

इसमें वक्ताओं ने संदेश दिया कि पंजाबी महिलाओं ने न केवल परिवार बल्कि समाज के उत्थान में महती योगदान दिया। उन्होंने एक ओर जहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्रीय जनजागृति का कार्य किया वहीं स्वतंत्रता आन्दोलन में भी बढ़-चढ़ कर कार्य किया।

इस अवसर पर अकादमी, निदेशक के प्रतिनिधि और कार्यक्रम कॉर्डिनेटर, अरविन्द नारायण मिश्र ने संगोष्ठी में उपस्थित विद्वानों को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया।

संगोष्ठी में आमंत्रित वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. दीप्ति रंजन साहू ने कहा कि राष्ट्रीय चेतना आंदोलन में पंजाबी महिलाओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण थी।

पंजाबी महिलाओं ने अपने शहरों और गांवों में सामाजिक, राष्ट्रीय और सांस्कृतिक जागृति के लिए कई कदम उठाए। उन्हें न सिर्फ अपने घर की सीमाओं के अंदर अपनी पहचान बनाई, बल्कि राष्ट्र और राष्ट्रवाद के लिए भी अपना योगदान दिया।

संगोष्ठी में लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य, प्रो. सुकान्त चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान के रूप में पंजाबी महिलाओं ने, ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संचालित होने वाले राष्ट्रीय आंदोलन में अपना महती योगदान दिया है। विशेष रूप से महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में पंजाबी महिलाओं का उल्लेखनीय योगदान था। पंजाबी महिलाओं ने ‘‘चरखा” का उपयोग किया, स्वदेशी कपडे पहने और अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार किया था।

इस क्रम में एल्डा फाउन्डेशन की अध्यक्षा डॉ० पूजा शाहीन ने कहा कि पंजाबी महिलाओं ने स्वतंत्रता आन्दोलन में न केवल अपनी सुरक्षा की बल्कि आन्दोलन में भी बढ़चढ कर योगदान दिया।

संगोष्ठी में शशि भूषण बालिका विद्यालय डिग्री कॉलेज के शारीरिक शिक्षा विभाग की प्रो० ऋचा मिश्रा ने कहा कि पंजाबी महिलाओं ने सामाजिक सुधार की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उन्होंने महिला अधिकारों से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किया है।

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संगोष्ठी में करामत हुसैन मुस्लिम गर्ल्स पीजी कालेज, राजनीति शास्त्र विभाग की सहायक आचार्या, डॉ० रितु तिवारी ने कहा कि पंजाबी महिलाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भी राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया है। उनका संगीत नृत्य के माध्यम से न केवल परंपरा को आगे बढ़ाया बल्कि महिलाओं को संगठित भी किया।

इस क्रम में नर्वदेश्वर लॉ कॉलेज, इतिहास विभाग के सहायक आचार्य प्रेम कुमार ने कहा कि पंजाबी महिलाएं सामाजिक चेतना के साथ-साथ पारिवारिक रूप से भी समृद्ध रहीं। उन्होंने अपनी परिवारिक बेटियों को शिक्षा और दीक्षा दोनों में परिपक्व किया।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता शशि भूषण बालिका विद्यालय डिग्री कॉलेज के प्रबन्धक पंकज भट्टाचार्य ने और संयोजन प्राचार्या अंजुम इस्लाम ने किया। इस संगोष्ठी में पंजाबी समाज के गणमान्य जन और संगत उपस्थित रही।

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