केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के प्रेक्षागृह में सीडीआरआई स्टाफ क्लब के तत्वावधान में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर नाट्य प्रस्तुति “आख़िरी बसंत” का मंचन दर्पण द्वारा किया गया।
खचाखच भरे प्रेक्षागृह में कलाकारों ने बुजुर्ग दम्पत्ति के एकाकीपन और उससे पार पाने के नए तरीकों को बेहद मार्मिक और सजीव ढंग से प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के दौरान तालियों की गड़गड़ाहट के साथ-साथ दर्शकों की आंखों में आंसू भी आए, जिससे मंचन की प्रभावशीलता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
इस कहानी यानि “आख़िरी बसंत” बुजुर्ग दम्पत्ति की अकेली जिंदगी, उनके मनोवैज्ञानिक संघर्ष और पारिवारिक समर्थन एवं सामंजस्य के माध्यम से जीवन में नई ऊर्जा पाने की कहानी है। कलाकारों ने भावनाओं की गहराई और संवेदनशीलता को जीवंत रूप में दर्शकों तक पहुँचाया।
इस दौरान सीमैप निदेशक डॉ. प्रबोध त्रिवेदी, सीडीआरआई निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ओर तमाम वैज्ञानिक और अधिकारी भी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम का संचालन प्रख्यात कवि पंकज प्रसून ने किया।
इस नाटक में इंस्पेक्टर मनजीत वंश श्रीवास्तव, कनेडियन बहू अलका विवेक, बेटा विकास श्रीवास्तव, डाकू राधू संजय देगलूरकर, पत्नी गीता चित्रा मोहन और पति की भूमिका में डॉ. अनिल रस्तोगी थे।
इस कार्यक्रम ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से गहराई तक प्रभावित किया और सीडीआरआई स्टाफ क्लब की कलात्मक दक्षता और नाट्य मंचन की गुणवत्ता को उजागर किया।
इसमे बैकस्टेज टीम में प्रकाश परिकल्पना एवं संचालन गोपाल सिन्हा, सहयोग मनीष सैनी, ध्वनि एवं संगीत संयोजन विवेक श्रीवास्तव, मंच निर्माण मधुसूदन, नंदकिशोर, रूप सज्जा मनोज वर्मा, प्रस्तुति संयोजक सुमित श्रीवास्तव, प्रस्तुतकर्ता विद्या सागर गुप्ता, अध्यक्ष दर्पण और लेखक एवं निर्देशक शुभदीप राहा (एनएसडी पास आउट) रहे।
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