महाकुंभ 2025 में अतुलनीय योगदान, नगर विकास विभाग के कार्मिक सम्मानित

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर महाकुम्भ 2025 के व्यवस्थापन एवं सफ़ाई कार्यों में अतुलनीय योगदान देने वाली नगर विकास विभाग की 25 महिला कार्मिकों एवं महिला सफाई कर्मियों को साल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला कार्मिकों को नवदेवी सम्मान से सम्मानित किया 

इस अवसर पर उन्होंने महाकुंभ मेला क्षेत्र और प्रयागराज शहर की सफ़ाई स्वच्छता, सुंदरीकरण और व्यवस्थापन में अहम योगदान देने वाले नगर विकास विभाग, जलकल विभाग, नगर निगम प्रयागराज, मे

ला प्राधिकरण, शासन प्रशासन, निदेशालय तथा अन्य निकायों के अधिशासी अधिकारियों एवं सफ़ाई कार्मिकों सहित कुल 200 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को शाल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने कुंभ में योगदान देने वाले सभी कार्मिकों को धन्यवाद दिया और ताली बजवाकर सभी को सम्मान दिलाया।

नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने शनिवार को नगरीय निकाय निदेशालय में महाकुंभ 2025 के दृष्टिगत आयोजित अविस्मरणीय आयोजन के अद्भुत अनुभव साझा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग़ कर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महाकुंभ 2025 में देश-विदेश से 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रतिभाग किया, इतनी बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने से जरूरी व्यवस्थाओं, सफाई, सुरक्षा एवं स्वच्छता को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती थी।

फिर भी नगर विकास विभाग नोडल विभाग होने की अपनी जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा, ईमानदारी, मेहनत व लगन के साथ मैनपॉवर, मटेरियल और मशीन का बेहतर प्रयोग करके महाकुंभ को सकुशल सम्पन्न कराने में अपना योगदान दिया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ को स्वच्छ, सुंदर व प्लास्टिक एवं कचरा मुक्त मनाकर हम सभी त्योहारों को आगे से इसी प्रकार से मनाने के लिए महारत हासिल कर ली है। उन्होंने कहा कि आज से सभी त्योहारों को इसी प्रकार से मनाने का संकल्प लें।

सभी निकाय अपने आसपास की निकायों की सफाई, स्वच्छता को बनाए रखने में मदद करें। निकायों को सेक्टरवार, वार्डवार बांटकर सफ़ाई व्यवस्था को व्यवस्थित करें। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भी महाकुम्भ में इसी प्रकार की व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस बार कुंभ मेला क्षेत्र में की गई व्यवस्थाओ का डाक्यूमेंटेशन भी कराए। जहां कहीं पर भी कमियां रह गई हो उसमें सुधार के लिए और क्या किया जाना चाहिए इस पर कार्य किया जाए।

नगर विकास मंत्री ने कहा कि पूरे देश दुनिया के लोगों ने महाकुंभ की सफाई, स्वच्छता, व्यवस्थापन व सुरक्षा की प्रशंसा की है। इस बार के महाकुंभ के सुशासन, समरसता की तुलना रामराज्य से की जानी चाहिए। महाकुंभ का मेला 60 दिनों तक चला कहीं पर भी विवाद की कोई घटना घटित नहीं हुई।

माहौल इतना सुंदर था कि जिस घाट में अडानी अंबानी परिवार ने स्नान किया, उसी घाट पर हमारे समाज के सबसे नीचे पायदान के लोगों ने भी स्नान किया। कहीं पर भी कोई भेदभाव नहीं था। सभी लोगों में आपसी सौहार्द, समरसता का पूर्ण माहौल था।

देश प्रदेश के सामान्य लोगों ने लोगों को दातून बेचकर, महिलाओं के पैरों में महावर लगाकर, माथे पर चंदन लगाकर, फूल माला बेचकर व अन्य छोटी-छोटी जरूरी चीजें बेचकर और नाव वाले नाव चलाकर लाखों करोड़ों रुपए कमाए हैं। इससे देश एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था की जीडीपी में 03 से 3:50 लाख करोड रुपए की वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि प्रयागराज में नया तीर्थ क्षेत्र शिवालय पार्क बनाया गया है, श्रृंगवेरपुर में भी नया तीर्थ बनाया गया है। उन्होंने कहा कि ’जिंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर, अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमी पर’ प्रयागराज महाकुंभ में सचमुच में सभी के प्रयासों से स्वर्ग उतार लाया गया था।

प्रयागराज में की गई बिजली व्यवस्था लाइटिंग की प्रशंसा अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री ने अपने स्पेस स्टेशन से की थी, जिसमें उसने ट्वीट कर कहा था कि अगर इस समय पृथ्वी पर सबसे ज्यादा प्रकाशवान क्षेत्र कोई क्षेत्र दिख रहा है, तो वह प्रयागराज कुम्भ तीर्थ क्षेत्र है।

कहा कि हम चाहे तो अपने घर नगर आसपास सभी क्षेत्र को स्वर्ग बना सकते हैं। स्वर्ग, नरक और सुशासन सब यही है। उन्होंने रामचरितमानस की चौपाई का उल्लेख करते हुए कहा कि ’रामराज बैठे त्रिलोका, हर्षित भयउ गयउ सब शोका, राम प्रताप न विषमता कोई, ’दैहिक दैविक भौतिक तापा, रामराज नहीं काहू व्यापा’ सब नर करहि परस्पर प्रीति, चलहि स्वधर्म’ ये यह सभी चौपाइयां कुंभ तीर्थ क्षेत्र में प्रमाणित साबित हुई है।

महापौर प्रयागराज गणेश केसरवानी ने कहा कि महाकुंभ 2025 के संदर्भ में, स्वच्छता के महत्व को बढ़ावा देने और एक सुरक्षित, स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल आयोजन सुनिश्चित करने के लिए जनभागीदारी और जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया गया।

नगर निगम द्वारा “विश्व की सबसे बड़ी रंगोली” – 55,000 वर्ग फुट की बनाई गयी, जिसमें सफाई मित्रों और नागरिकों ने भाग लिया, इसे वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मान्यता मिली। स्वच्छ सारथी स्कूलों के माध्यम से 1.47 लाख पोस्टकार्ड घर-घर वितरित किए गए। विश्व शौचालय दिवस से विशेष अभियान की शुरुआत करते हुए सभी सार्वजनिक शौचालयों पर व्यापक सफाई अभियान चलाया गया।

“बाल दिवस पर सार्वजनिक शौचालयों पर रचनात्मक कला और नारों के साथ सजावट और जागरूकता अभियान चलाया गया। पोस्टकार्ड और कुंभ जिंगल लॉन्च कर घरेलू स्वच्छता को प्रोत्साहित किया गया। दुकानों और घरों पर जाकर एकल-उपयोग प्लास्टिक को कम करने और कचरा पृथक्करण को प्रोत्साहित किया गया। स्वच्छता दौड़ में अधिकारियों, नेताओं और नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए स्वच्छता को बढ़ावा दिया गया।

ट्रांसजेंडर के नेतृत्व में रैलियां निकली गयी और वाणिज्यिक क्षेत्रों में प्लास्टिक मुक्त अभियान चलकर जागरूक किया गया। दुकानदारों को प्लास्टिक मुक्त और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। घाटों पर प्लॉगिंग रन और रेत कला के माध्यम से फिटनेस और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया गया। पवित्र घाटों पर स्वच्छता बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयास किए गए।

आध्यात्मिकता और स्थिरता को जोड़ते हुए वैश्विक स्वच्छता को बढ़ावा देने वाले प्रेरक चित्र बनाए गए। उन्होने कहा कि नगर निगम और मेला प्राधिकरण के प्रयास केवल सुनियोजित योजनाएं नहीं हैं, वे लाखों तीर्थयात्रियों की भलाई और महाकुंभ की पवित्रता के प्रति एक हार्दिक समर्पण का प्रतीक हैं।

ये पहल स्वच्छ भारत के मूल्यों और सेवा की भावना से प्रेरित सामूहिक कार्रवाई की शक्ति को दर्शाती हैं। 2025 का स्वच्छ और हरा-भरा महाकुंभ पीढ़ियों को प्रेरित करेगा, हमें याद दिलाएगा कि स्वच्छता केवल एक कर्तव्य नहीं है बल्कि हमारे पर्यावरण और साझा मानवता का सम्मान करने का एक तरीका है।

प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने कहा कि 161 संवेदनशील बिंदुओं की पहचान कर उन्हें हटाया गया, जिससे सामुदायिक उपयोग के लिए स्थान प्राप्त हुए। शहर भर में 5,000 अतिरिक्त डस्टबिन रणनीतिक रूप से लगाए गए हैं, जिससे कचरा निपटान सुविधाजनक हो गया है।

प्लास्टिक मुक्त महाकुंभ के प्रति प्रतिबद्धता मजबूत करते हुए प्लास्टिक जब्तिकरण के साथ ही जुर्माना भी लगाया गया। 160 मार्गों से 2,700 मीट्रिक टन कचरा हटाया गया, जिससे शहरी परिदृश्य स्वच्छ हुआ। 1,700 अवैध बोर्ड और होर्डिंग्स हटाए गए, जिससे शहर की सुंदरता बहाल हुई।

398 मार्गों पर बागवानी कचरा और सड़क झाड़ू कचरा हटाकर सफाई अभियान चलाया गया। 226 सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालय और मूत्रालय बनाए गए हैं, जिससे सार्वजनिक स्थलों पर खुले में शौच की प्रवृत्ति समाप्त हुई और स्वच्छता व सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिला। लगभग 1,740 अतिक्रमण हटाए गए और 500 विक्रेताओं को व्यवस्थित तरीके से पुनर्स्थापित किया गया। शहर की स्वच्छता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त 3,500 सफाईमित्रों की तैनाती की गई।

प्रमुख सचिव ने कहा की महाकुंभ के दौरान अपशिष्ट में होने वाली अनुमानित वृद्धि को संभालने के लिए एक मजबूत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली स्थापित की गई। सभी 100 वार्डों में एक व्यापक डोर-टू-डोर अपशिष्ट संग्रह सेवा की गयी। 14 स्थानों पर 27 ट्रांसफर स्टेशन काम कर रहे हैं, जबकि दो अतिरिक्त स्टेशन निर्माणाधीन हैं। 1,400 टन प्रतिदिन (TPD) अपशिष्ट का प्रबंधन किया गया। जिसमें शहर और मेला क्षेत्र दोनों का अपशिष्ट शामिल है। 600 टीपीडी के अपशिष्ट संयंत्र को 900 टीपीडी तक बढ़ाया गया।

पीपीपी मोड पर 75 टीपीडी क्षमता के तीन एमआरएफ सेंटर स्थापित किए गए। 200 टीपीडी क्षमता वाला एक बायो-सीएनजी संयंत्र को 300 टीपीडी तक बढ़ाया गया। 150 टीपीडी प्रसंस्करण करने वाला एक निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट संयंत्रको 200 टीपीडी तक उच्चिकृत किया गया। उन्होने कहा कि शहर की स्वच्छता की वास्तविक समय की निगरानी और रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी को सहजता से एकीकृत किया गया है। 387 पार्कों का निर्माण किया गया, जिससे शहर के लिए हरित क्षेत्र का निर्माण हुआ।

उन्होने कहा कि तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए प्रमुख स्थानों पर 5,000 डस्टबिन की स्थापित किए गए। 160 टिपर और कॉम्पैक्टर, साथ ही 25,000 डस्टबिन और अपशिष्ट संग्रह और निपटान के लिए 37 लाख से अधिक लाइनर बैग प्रयोग किए गए। 1,50,000 सार्वजनिक शौचालय, जिनमें FRP शौचालय, प्रीफ़ैब स्टील शौचालय और मोबाइल यूनिट शामिल हैं।

सेप्टिक टैंक और सोक पिट के साथ 29,000 एफआरपी शौचालय, सेप्टिक टैंक के साथ 20,000 मूत्रालय, 10,000 सरकारी सीमेंट शौचालय, सेप्टिक टैंक और सोक पिट के साथ 32,000 प्री-फैब स्टील शौचालय, सोक पिट के साथ 49,000 कनाथ शौचालय, सेप्टिक टैंक के साथ 3,500 मोबाइल शौचालय स्थापित किए गए। आठ मशीनें 70 किलोमीटर की प्रमुख सड़कों पर मलबा इकट्ठा करती रही।

आठ बड़ी 9,000 लीटर की मशीनें और 19 छोटी 1,000 लीटर की मशीनें धूल को दबाने और सड़क की सफाई सुनिश्चित की गयी। 1,500 अतिरिक्त अतिक्रमण हटाए गए, जिससे सार्वजनिक मार्ग साफ हो गए। गंदगी फैलाने और नियमों का पालन न करने वालों को हतोत्साहित करने के लिए 5,10,200 रुपये से अधिक चालान एकत्र किए गए।

मेला प्राधिकरण ने लाखों तीर्थयात्रियों की आमद को प्रबंधित करने के लिए एक अद्वितीय स्वच्छता योजना तैयार किया। स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए 15,000 समर्पित कर्मचारी तैनात किए गए। शौचालय संचालन और रखरखाव में नवाचार करते हुए शौचालयों को रणनीतिक रूप से सड़कों, घाटों और गतिविधि क्षेत्रों जैसे प्रमुख स्थानों पर रखा गया।

मानवबाल के साथ ही मशीनों का भरपूर प्रयोग किया गया है। निरंतर सफाई के लिए 800 सफाई दल (प्रत्येक में 12 सफाईकर्मी) तैनात किए गए। श्रमिकों के लिए बुनियादी सुविधाओं के साथ समर्पित स्वच्छता कॉलोनियाँ स्थापित की गयी। प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण के माध्यम से पारदर्शी और समय पर मजदूरी भुगतान के साथ ही स्वच्छता और श्रमिक कल्याण को निधि देने के लिए स्वच्छ कुंभ कोष की स्थापना की गई।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नव देवियों का हुआ सम्मान

महिला दिवस के अवसर पर विभाग ने शहरी विकास में महिलाओं के अमूल्य योगदान का भी जश्न मनाया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विभाग ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए नौ असाधारण महिलाओं को प्रतिष्ठित नवदेवी सम्मान से सम्मानित किया।

मंत्री शर्मा, राज्य मंत्री राकेश राठौर और प्रमुख सचिव अमृत अभिजात  ने विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ठ कार्य कर रही महिलाओं को सम्मानित किया।

माँ शैलपुत्री पुरस्कार (भारतीय फैशन और वस्त्र): लखनऊ की शोभा चौधरी, जिन्हें संधारणीय प्रथाओं का उपयोग करके पारंपरिक भारतीय वस्त्रों को वैश्विक बनाने में उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया।

माँ ब्रह्मचारिणी पुरस्कार (कॉर्पोरेट उत्कृष्टता): मेरठ की  सना खान, एसजे ऑर्गेनिक्स की संस्थापक, को उनकी उद्यमशीलता की भावना और व्यवसाय क्षेत्र में स्वच्छता में योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

माँ चंद्रघंटा पुरस्कार (सामाजिक कार्य और एसएचजी सशक्तिकरण): लखनऊ की वर्षा वर्मा, जिन्हें स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने वाले ‘एक कोशिश ऐसी भी’ एनजीओ के साथ उनके काम के लिए सम्मानित किया गया।

माँ कुष्मांडा पुरस्कार (नवाचार): आगरा की नीलम सिरसा कुशवाह, जिन्हें स्वयं सहायता पहलों के माध्यम से कचरे को आभूषण और अन्य उत्पादों में बदलने के लिए सम्मानित किया गया।

माँ स्कंदमाता पुरस्कार (सामुदायिक खाद): आगरा की डॉ. मनिंदर कौर, जिन्हें रसोई के कचरे से जैविक खाद को बढ़ावा देने और सामुदायिक खाद परियोजनाएँ चलाने के लिए सम्मानित किया गया।

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माँ कात्यायनी पुरस्कार (सामुदायिक जागरूकता): कुशीनगर की शिवांगी को प्लास्टिक प्रदूषण और संधारणीयता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया।

माँ कालरात्रि पुरस्कार (स्वच्छता में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ): आगरा की  रेखा गुप्ता को अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में अभिनव कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया।

माँ महागौरी पुरस्कार (शैक्षणिक उत्कृष्टता): लखनऊ की डॉ. मंजुला उपाध्याय को युवाओं में शिक्षा और संधारणीयता के प्रति उनके समर्पण के लिए सम्मानित किया गया।

माँ सिद्धिदात्री पुरस्कार (सांस्कृतिक जुड़ाव): मेरठ की तनवीर फात्मा को सांस्कृतिक पहल और सामुदायिक जुड़ाव के माध्यम से स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए सराहा गया। सभा को संबोधित करते हुए, मंत्री ए.के. शर्मा ने जोर देकर कहा, “महिलाएँ हमारे शहरों के विकास की रीढ़ हैं।

उनके काम को मान्यता देना अधिक समावेशी विका

स प्रथाओं को प्रेरित करता है और एक प्रगतिशील समाज का मार्ग प्रशस्त करता है।” प्रधान सचिव अमृत अभिजात ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार नवदेवी सम्मान स्वच्छ भारत मिशन और शहरी सशक्तिकरण पहल के व्यापक लक्ष्यों के साथ संरेखित है, तथा भागीदारी और नेतृत्व की संस्कृति को बढ़ावा देता है।

कार्यक्रम में महापौर प्रयागराज गणेश केसरवानी, मेला प्राधिकरण से मेलाधिकारी विजय किरण आनन्द, अकांक्षा राणा (विशेष कार्याधिकारी), दयानन्द प्रसाद (अपर मेलाधिकारी), विवेक चतुर्वेदी (अपर मेलाधिकारी), विवेक शुक्ल (उप मेलाधिकारी), अभिनव पाठक (उप मेलाधिकारी), नगर आयुक्त प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर, अयोध्या, वाराणसी, लखनऊ, अधिशाषी अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

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