लखनऊ। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में गत 14 से 30 सितंबर तक आयोजित हिंदी पखवाड़े के क्रम में शुक्रवार को संस्थान के प्रेक्षागृह में ‘‘हिंदी का वैश्विक परिदृश्य’’ विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि वक्ता पद्मश्री डॉ.विद्या बिंदु सिंह (पूर्व संयुक्त निदेशक, हिंदी संस्थान, लखनऊ) थीं।
विश्व परिदृश्य में हिंदी की भूमिका पर परिचर्चा करते हुए डॉ.विद्या बिंदु सिंह ने भारत की आजादी में हिंदी के अतुलनीय योगदान को दोहराया। उन्होंने कहा कि आज विश्व में हिंदी का सूरज कभी अस्त नहीं होता है। क्योंकि हिंदी विश्व के सभी देशों में पहुँच चुका है।
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में ‘‘हिन्दी का वैश्विक परिदृश्य’’ पर परिचर्चा का आयोजन
उन्होंने देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता की भूरि-भूरि प्रशंसा की, साथ ही बताया कि हिंदी शब्दावली विश्व की सबसे समृद्ध शब्दावली है। इसमें विश्व के अनेक भाषाओं के शब्द को ग्राह्य किया गया है। डॉ. सिंह ने बताया कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को विश्व के अनेक देशों में पहुँचाने में हिंदी ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
डॉ. बिन्दू ने बताया कि इस महामारी के विकट समय में भारतीय आयुर्वेद, योग तथा पारंपरिक चिकित्सा विधि से दुनियाँ को रूबरू कराने में हिंदी ने सशक्त भूमिका निभाई। उन्होंने हिंदी को और समृद्ध करने के लिए सांस्कृतिक शब्दावली कोष तथा तकनीकी शब्दावली कोष बनाने की आवश्यक्ता पर जोर दिया।
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इस परिचर्चा में संस्थान के फसल सुधार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जे. सिंह ने अपने विचार रखते हुए बताया कि आप अपनी सोच, विचार एवं भाव को हिंदी में ही प्रेषित करें। तो उसका मूल स्वरूप बिगड़ता नहीं है। अन्यथा अंग्रेजी में अनुवादित कर प्रेषित करने से भाव की मूल अभिव्यक्ति खो जाती है।
कार्यक्रम का संचालन राजभाषा अधिकारी अभिषेक कुमार सिंह ने किया। इससे पहले परिचर्चा की शुरूआत में राजभाषा प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ.अजय कुमार साह ने स्वागत किया। परिचर्चा की शुरुआत में डॉ.अजय कुमार साह ने पखवाड़ा के अन्तर्गत होने वाले सतरंगी कार्यक्रमों के बारे में बताया।
उन्होंने राजभाषा के क्षेत्र में संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यों तथा उपलब्धियों के बारे में बताया। डॉ.साह ने बताया कि आज हिंदी तीव्रता एवं पूरी ताकत के साथ विश्व में प्रसारित हो रहा है। तथा विश्व का प्रत्येक देश हिंदी को अपनाने में गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
विश्व भर में 125 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलते और समझते हैं तथा अपने दिनचर्या में किसी न किसी रूप में शामिल करते हैं। विश्व भर में फैले हुए डेढ़ करोड़ भारतीय हिंदी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने आर्थिक सुदृढ़ता के लिए हिंदी को अपनाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाना चाह रहा है।
सी-डैक, पुणे द्वारा विकसित आधुनिक सूचना तकनीक टूल के प्रयोग से हिंदी में काम करना सरल हो गया है। इस परिचर्चा में संस्थान के 200 कार्मिकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अन्त में राजभाषा प्रभारी डॉ. ए.के. साह ने बताया कि 24 सितंबर को एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।