एमएसएमई को प्रतिस्पर्धी ताकत देने के लिए आईपीआर को बढ़ावा देने की दरकार

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लखनऊ: पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने ऑफिस ऑफ डेवलपमेंट कमिश्नर (माइक्रो, स्माल, एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) एमएसएमई मंत्रालय (भारत सरकार) के सहयोग से 14 और 15 मार्च को लखनऊ के फेयरफील्ड बाय मैरिएट में राष्ट्रीय स्तर के बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकार कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।

उत्तर प्रदेश सरकार के एमएसएमई, खादी और ग्रामोद्योग, रेशम उत्पादन, हथकरघा मंत्री राकेश सचान ने सत्र का उद्घाटन करते हुए युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रोत्साहित किया ताकि वे नौकरी मांगने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बन सकें।

उन्होंने राज्य की उद्यमिता, एमएसएमई और स्टार्टअप को बढ़ावा देने पर केंद्रित यूपी सरकार की विभिन्न योजनाओं की भी जानकारी दी। उन्होंने सूक्ष्म उद्यमी दुर्घटना बीमा योजना के हालिया लॉन्च की भी जानकारी दी जिसके माध्यम से सूक्ष्म उद्यमियों को ₹5 लाख तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है।

उत्तर प्रदेश सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग के सचिव प्रांजल यादव ने कहा कि भारत औद्योगीकरण के मामले में वैश्विक बाजार बन गया है और निवेश के अवसरों और व्यापारिक सहयोग के लिए पूरी दुनिया की नजर भारत पर है।

राष्ट्रीय आईपी यात्रा कार्यक्रम में उद्योगों में बौद्धिक संपदा की अहमियत की दी गई जानकारी

उन्होंने ओडीओपी, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम जैसी विभिन्न योजनाओं पर जानकारी दी। इनके जरिए छोटे उद्यमों को उनकी क्षमता निर्माण और विकास के लिए सहयोग दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में लखनऊ टेक्सटाइल हब बनने जा रहा है।

दरअसल, यूपी ने क्रांतिकारी कदम के तहत पहले ही टेक्सटाइल पार्क की स्थापना के लिए लगभग 1000 एकड़ जमीन चिह्नित कर ली है। इससे औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार दर में वृद्धि होगी और साथ ही उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के कार्यकारी निदेशक डॉ. रणजीत मेहता ने सत्र के दौरान मौजूद सभी गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिभागियों और वक्ताओं का स्वागत किया। उन्होंने पीएचडी चैंबर की भूमिका के बारे में जानकारी दी जो उद्योगों, उद्यमियों और एमएसएमई को बढ़ावा देने में बढ़ावा देने के रूप में काम करता है।

वीके वर्मा, संयुक्त निदेशक और कार्यालय प्रमुख- एमएसएमई-डीएफओ कानपुर, एमएसएमई मंत्रालय (भारत सरकार) ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास को बढ़ावा देने और उत्तर प्रदेश के एमएसएमई को सभी जरूरी सहायता देने के लिए एमएसएमई-डीएफओ, एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार की भूमिका की जानकारी दी।

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उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार योजना, तकनीक अपग्रेडेशन, एमएसएमई चैंपियन योजना और एमएसएमई इनोवेटिव योजना पर प्रकाश डालते हुए मंत्रालय की अन्य विभिन्न योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी।

उन्होंने मंत्रालय की प्रतिपूर्ति योजना की गाइडलाइंस के बारे में भी बताया। इतना ही नहीं उन्होंने एमएसएमई से आगे आने और पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री आईपीएफसी केंद्रों से लाभ उठाने का आग्रह किया।

लखनऊ सिडबी के महाप्रबंधक मनीष सिन्हा ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की स्थापना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के प्रचार, वित्तपोषण और विकास के साथ-साथ समान गतिविधियों में लगे संस्थानों के कार्यों के समन्वय के लिए की गई थी।

उन्होंने कहा कि सिडबी का मुख्य उद्देश्य एमएसएमई के क्रेडिट फ्लो को सुविधाजनक बनाने के साथ मजबूत करना और एमएसएमई ईको-सिस्टम में वित्तीय और विकासात्मक अंतराल दोनों को देखना है।

राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. संजीव कुमार मजूमदार ने अपने संबोधन में उल्लेख किया कि एनआरडीसी एमएसएमई और स्टार्टअप को नई टेक्नोलॉजी तक पहुंच, बाजार तक पहुंच, इंक्यूबेशन तक पहुंच, फंड की पहुंच के साथ आईपीआर पर मार्गदर्शन की सुविधा देता है।

उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि देश में इनोवेशन ईकोसिस्टम तंत्र का लाभ उठाने के लिए, एनआरडीसी ने नई दिल्ली में अपने परिसर में एक इनक्यूबेशन सेंटर शुरू किया है। इसके जरिए आंत्रप्रेन्योर्स और नए स्टार्टअप्स को अपने आईडियाज पर काम करने, बिजनेस मॉडल को बेहतर बनाने और सफल उद्यम बनाने में मदद मिल रही है।

डीपी गोयल ने संबोधन में घरेलू और निर्यात बाजारों में एमएसएमई क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी ताकत देने के लिए आईपीआर को बढ़ावा देने की जरूरत के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि बौद्धिक संपदा किसी भी भौतिक संपत्ति की तुलना में सबसे मूल्यवान संपत्ति है।

आईपी का उपयोग संसाधन जुटाने और मौद्रिक और आर्थिक लाभ लेने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने सभी एमएसएमई को आईपी हेल्पडेस्क शिविर में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया। इसके जरिए अगले दिन फाइलिंग सहायता तो मिलेगी ही साथ ही किसी भी आईपी के मामले के संबंध में उनके प्रश्नों का समाधान किया जा सकेगा।

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उत्तर प्रदेश राज्य चैप्टर के सह-अध्यक्ष श्री राजेश निगम ने समापन टिप्पणी में कहा कि देश में आईपी ईकोसिस्टम को और अधिक मजबूत बनाने के लिए शिक्षाविदों और उद्योग सहयोग की जरूरत है।

उन्होंने सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों को अपना बहुमूल्य समय निकालकर इस अहम कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न राज्यों में आईपी को बढ़ावा देने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़े विभिन्न विषयों पर पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री आईपीएफसी सेंटर सेमिनार, वर्कशॉप्स और कॉन्फ्रेंस आयोजित करते हैं।

अतुल श्रीवास्तव, क्षेत्रीय निदेशक- पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने तकनीकी सत्र में धन्यवाद ज्ञापन दिया। वहीं  उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र हुए। इनमें युनाइटेड एंड युनाइटेड के हेड प्रोस्क्यूशन वसंत चंद्रा जैसे विशेषज्ञों ने आईपीआर पर विस्तार से चर्चा की और आईपी उल्लंघन के कारण उठाए गए कुछ हालिया मुद्दों पर प्रकाश डाला।

यूनाइटेड एंड यूनाइटेड के असोसिएट श्री अनमोल कक्कड़ ने आईपी रजिस्ट्रेशन और इसकी प्रक्रियाओं, पेटेंट सूचना विज्ञान, व्यावसायीकरण और तकनीकी हस्तांतरण और साथ ही आईपी से संबंधित विषयों के विस्तार पर विचार-विमर्श किया।

एनएलयू, लखनऊ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विकास भाटी ने भी तकनीकी सत्र को संबोधित किया और भारत में आईपी पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा और उद्योग सहयोग की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डाला।

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