लखनऊ: विश्व प्रयोगशाला जन्तु दिवस मनाने के लिए, सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ ने लेबोरेटरी एनिमल साइंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एलएएसएआई) के सहयोग से ”प्रीक्लिनिकल एनिमल एंड अवेलेबल अल्टरनेटिव्स” पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
निदेशक सीएसआईआर-सीडीआरआई, डॉ. राधा रंगराजन ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और इस संगोष्ठी के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
प्रयोगशाला जन्तु मानवता के लिए देते हैं अपने प्राणों की आहुति
संगोष्ठी के सम्मानित अतिथि, डॉ सुजीत कुमार दत्ता (संयुक्त आयुक्त, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय और सचिव, सीसीएसईए और एडब्ल्यूबीआई) ने विभिन्न दवाओं के निर्माण और विभिन्न प्रयोगों को करने में प्रयोगशाला जन्तुओं की भूमिका पर उद्घाटन सम्बोधन दिया।
अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा, प्रयोगशाला जन्तु मानवता के लिए अपने जीवन का बलिदान करते हैं इसलिए हमें उनका सम्मान करना चाहिए और उनका नैतिक और बुद्धिमानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए।
सीएसआईआर-सीडीआरआई में “पूर्व नैदानिक जन्तु मॉडल एवं उपलब्ध विकल्प” पर संगोष्ठी
उन्होंने कहा, हमें जितना हो सके, विभिन्न शोधों हेतु जंतुओं के उपयोग को कम करना चाहिए। प्रयोगशालाओं में जन्तु मॉडल के प्रतिस्थापन की तत्काल आवश्यकता है।
मानव एवं जन्तु जीव विज्ञान के आधार पर समरूप हो सकते हैं : डॉ. सुरेश पूसाला
संगोष्ठी में, डॉ. सुरेश पूसाला, संस्थापक, ओंकोसीक बायो प्रा. लि. (Oncoseek Bio Pvt Ltd) एवं अकस्टा हेल्थकेयर प्रा. लि. (Acasta Healthcare Pvt, Ltd.) ने औषधि अनुसंधान में वैकल्पिक जन्तु मॉडल पर एक व्याख्यान दिया।
उन्होंने कहा कि दवाओं की सुरक्षा और प्रभावशीलता स्थापित करने के लिए नए दृष्टिकोण के तरीकों का उपयोग, जिसे नई वैकल्पिक विधियों के नाम से जाना जाता है को जन्तु परीक्षण के स्थान पर अपनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमें सही प्रयोगशाला जन्तु को सही मात्रा में चुनना चाहिए और यदि संभव हो तो वैकल्पिक विधि का उपयोग करना चाहिए।
उन्होंने 3आर (3R) ऑफ एनिमल यूज अल्टरनेटिव्स पर जोर दिया, जो अनुसंधान और परीक्षण में जन्तु के प्रतिस्थापन, कमी और शोधन को संदर्भित करता है (रीप्लेस्मेंट : उन दृष्टिकोणों को संदर्भित करता है जो सीधे पशु को प्रतिस्थापित करते हैं या उससे बचते हैं,
रिड़क्सन : जानवरों की कम संख्या का उपयोग शामिल है, और वही परीक्षण दोबारा ना करने के बारे मे है., रिफाइनमेंट: परीक्षण प्रक्रिया में संशोधन द्वारा पशु दर्द और तनाव को खत्म करें) संगोष्ठी के पहले भाग में शोध छात्रों द्वारा वैकल्पिक एवं नवीन जन्तु मॉडल पर पोस्टर प्रस्तुत किए गए।
संगोष्ठी के दूसरे भाग में, पहला सत्र वैकल्पिक जन्तु मॉडल पर केंद्रित था और इसकी अध्यक्षता डॉ नैबेद्य चट्टोपाध्याय और डॉ सुरेश पूसाला ने की थी। पहले सत्र का व्याख्यान डॉ. पार्थसारथी रामकृष्णन (सीएसआईआर-आईआईटीआर) द्वारा जन्तु परीक्षण की जगह कम्प्यूटेशनल टॉक्सिकोलॉजी प्लेटफॉर्म पर दिया।
डॉ. चेतना सचिदानंदन (सीएसआईआर-आईजीआईबी, नई दिल्ली) ने ज़ेबराफिश को मानव रोग के लिए एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया। डॉ. आमिर नाजिर, सीएसआईआर-सीडीआरआई लखनऊ ने रोग अनुसंधान के लिए जन्तु मॉडल के विकल्प के रूप में सी-एलिगेंस को प्रस्तुत किया।
सिलिंक बायोप्रिंटिंग, बेंगलुरु की विजेता जायसवाल ने जन्तु परीक्षण के विकल्प के रूप में 3डी बायो प्रिंटिंग की एक नई अवधारणा प्रस्तुत की। दूसरा सत्र जन्तु अनुसंधान में नियामक दिशानिर्देशों पर आधारित था और इसकी अध्यक्षता डॉ. सुजीत कुमार दत्ता और डॉ. शरद शर्मा ने की थी।
डॉ. विवेक त्यागी, वरिष्ठ सलाहकार, सीसीएसईए, नई दिल्ली ने सीसीएसईए पर- नामांकन हेतु प्रतिष्ठानों के लिए सीसीएसईए के उद्देश्य नियम, कार्य और हालिया अधिसूचनाएं के बारे में जानकारी दी।
डॉ. यूडी गुप्ता, पूर्व निदेशक प्रभारी, आईसीएमआर-एनजेआईएलओएमडी आगरा ने संक्रामक रोगों के संदर्भ में जैव सुरक्षा विधियों/प्रथाओं की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
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डॉ. सतीश पांचाल, सन फार्मा एडवांस्ड रिसर्च कंपनी लिमिटेड (एसपीएआरसी) ने गैर-नैदानिक अनुसंधान में श्वान (डॉग मोडल) के उपयोग की नियामक आवश्यकता के बारे में चर्चा की।
डॉ. नीरज खत्री, सीएसआईआर-इमटेक, चंडीगढ़ ने सीसीएसईए के दिशानिर्देशों के अनुसार भारत में जन्तु सुविधाओं के अनुमोदन एवं निरीक्षण संबंधी दिशानिर्देशों के बारे में चर्चा की।
आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. एस.के. रथ की टिप्पणियों एवं आयोजन समिति के सचिव डॉ. राजदीप गुहा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ सत्र का समापन किया।