कार्डियक अरेस्ट होने पर अब ट्रैफिक पुलिसकर्मी बचाएंगे जान

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लखनऊ। अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल लखनऊ ने ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों, कर्मचारियों और परिजनों के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।

इस कार्यक्रम में अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के चिकित्सा निदेशक डॉ. अजय कुमार ने ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को जीवनरक्षक तकनीक सीपीआर(कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) के बारे में प्रशिक्षित किया।

लखनऊ ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए विशेष सीपीआर ट्रेनिंग सत्र 

इस दौरान पुलिस उपायुक्त यातायात कमिश्नरेट लखनऊ सलमानताज पाटिल (आईपीएस), अपर पुलिस उपायुक्त कृपा शंकर, सहायक पुलिस आयुक्त इंद्रपाल सिंह, शिवाजी सिंह, जयेन्द्र नाथ अस्थाना, सुबोध जायसवाल के साथ 120 से अधिक पुरुष व महिला ट्रैफिक पुलिसकर्मी मौजूद रहे।

डॉ. अजय कुमार ने बताया कि यह इमरजेंसी मेडिकल तकनीक है। इसके जरिए सांस या दिल की धड़कन रुकने पर व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है, तो उसे कार्डियक अरेस्ट होता है।

कार्डियक अरेस्ट के दौरान दिल की धड़कन मंद हो जाती है। दिमाग और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में दिल(हार्ट) खून पंप नहीं कर सकता है। समय पर इलाज न मिले तो चंद मिनट में मौत हो सकती है।

“संजीवनी” नामक इस कार्यक्रम में लगभग 150 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने लिया भाग

सीपीआर में मरीज की छाती पर दबाव बनाते हैं। इससे ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में सहायता मिल सकती है। इससे मरीज को आसानी से बचाया जा सकता है। यह तकनीक कोई भी व्यक्ति सीख सकता है इसे सीखने के लिए किसी प्रकार की मेडिकल जानकारी की ज़रूरत नहीं होती है।

सीपीआर से बच सकती है मरीज की जान : डॉ. अजय कुमार ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट के पहले कुछ मिनटों में यदि मरीज को सीपीआर दिया जाए, तो मरीज के जीवित रहने की संभावना कई गुना बढ़ सकती है।

डॉ. अजय कुमार व उनकी टीम ने सीपीआर देने का डेमो देकर प्रशिक्षित किया। उन्होंने बताया कि सड़क हादसे में घायल होने पर भी सीपीआर दिया जाता है। सड़क हादसे में यातायात पुलिस ही सबसे पहले मौके पर पहुंचती है। इस वजह से पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षित होना आवश्यक है। जिसके बाद अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए फिजियोथेरेपी पर एक सत्र आयोजित किया गया।

इस विशेष अवसर पर बात करते हुए श्री सलमानताज पाटिल (पुलिस उपायुक्त यातायात कमिश्नरेट लखनऊ) ने बताया, यह कार्यक्रम अपोलो हॉस्पिटल की एक बहुत अच्छी पहल है। मैं सराहना करता हूँ डॉ अजय कुमार की जिस तरह उन्होंने इतनी सरलता से इस तकनीक के बारे में हम लोगों को बताया।

मैं अपोलो हॉस्पिटल का धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने इस पहल की शुरुआत की और यह आशा करता हूँ की हमारे सभी ट्रैफिक पुलिस कर्मी इस तकनीक द्वारा एमर्जेन्सी की स्थिति में और बेहतर तरीके से लोगों के जीवन की रक्षा कर पाएंगे।

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डॉ मयंक सोमानी (MD व CEO – अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल लखनऊ) ने बताया, सीपीआर एक जीवन रक्षक तकनीक है जिससे किसी का जीवन बचाया जा सकता है। सड़क दुर्घटना सम्बंधित मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में रोगी अस्पताल बाद में पहुँचता है और ट्रैफिक पुलिस कर्मी सबसे पहले मौके पर पहुँचते हैं।

कई बार अस्पताल पहुँचने में देरी होने के मरीज़ की स्थिति अत्यंत गंभीर हो जाती है। इस तकनीक द्वारा यदि हम मिलकर किसी व्यक्ति की जान बचा पाएं तो यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात होगी।

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