बाराबंकी के बांधिया गंगवारा, देवा में सीएसआईआर -केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) और हालीऑन यू के ट्रेडिंग लिमिटेड के सहयोग से एक दिवसीय कौशल सह-तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मेंथोल मिंट की टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना है, जो न केवल किसानों के लिए लाभकारी होगा, बल्कि इससे पर्यावरणीय प्रभाव भी कम होगा।
इसमें 500 से अधिक किसान और उद्यमियों ने भागीदारी की। कार्यक्रम में विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों का स्वागत किसानों, महिला स्वयं सहायता समूह और उद्यमियों द्वारा किया गया तथा यह डॉ. राजेश के. वर्मा, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक द्वारा समन्वय किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. मनोज सेमवाल, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, ने कार्यक्रम के बारे में संक्षेप में जानकारी दी। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक, सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) ने अपने उद्घाटन भाषण में किसानों को उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण और प्राकृतिक खेती की दिशा में प्रोत्साहित किया तथा उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि टिकाऊ कृषि के माध्यम से कृषि क्षेत्र को मजबूती दी जा सकती है, जिससे न केवल उत्पादकता में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहेगा।
इस अवसर पर हालीऑन यू के ट्रेडिंग, जी.आई.ज़ेड जर्मनी, सिम-राइज, और सिनर्जी टेक्नोफिन संगठन के विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों द्वारा किसानों और उद्यमियों को संबोधित किया गया।
इन प्रतिनिधियों ने टिकाऊ खेती, जैविक कृषि उत्पादों और किसानों के लिए नई तकनीकों पर महत्वपूर्ण विचार भी साझा किए। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे इन सहयोगों से किसानों को नए बाजारों और व्यापारिक अवसरों का लाभ मिलेगा।
कार्यक्रम में वर्मी-कंपोस्ट यूनिट और मशरूम यूनिट का उद्घाटन भी किया गया। इसके साथ ही, हाइब्रिड सोलर डिस्टिलेशन यूनिट के बारे में डॉ.अश्विन दीपक नन्नावरे, प्रधान वैज्ञानिक ने विस्तृत जानकारी दी।
निदेशक सीमैप, प्रबोध कुमार त्रिवेदी और हालीऑन टीम द्वारा बनाई गयी वर्मी-पिट को पुनर्जीवित केंचुए डाल कर के डीकंपोजिशन की प्रक्रिया शुरू की गयी तथा सीमैप द्वारा चलाई जा रही विभिन्न संजीव गतिविधियों का प्रदर्शन भी किया गया जैसे ड्रोन, मशरुम उत्पाद एवं अन्य कृषि उत्पाद।
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