सीमैप में किसानों के लिए औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती का प्रशिक्षण 

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लखनऊ। सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, लखनऊ, उत्तर प्रदेश के वित्त पोषित परियोजना के अंतर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत बुधवार को की गई।

इस कार्यक्रम में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश के 18 जिलों से लगभग 80 चयनित किसानों ने भाग लिया। दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उदघाटन सीमैप के निदेशक डॉ.प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने किया।

सीमैप के निदेशक डॉ.प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने कहा कि लगभग 2 महीने पूर्व इस परियोजना को संस्तुति मिली जिसके द्वारा उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, लखनऊ, उत्तर प्रदेश द्वारा चयनित लगभग 1000 किसानों को औषधीय एवं सगंधीय पौधों की खेती, प्राथमिक प्रसंस्करण एवं विपणन विषय पर प्रशिक्षित किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा चयनित किसानों को प्रशिक्षण

उन्होंने आगे कहा कि सीएसआईआर-सीमैप ने लगभग 50 औषधीय एवं सगंध पौधों की लगभग 150 प्रजातियों का विकास किया है जिनकी खेती कर किसान लाभ प्राप्त कर सकते हैं । कभी-कभी किसान अप्रमाणित/जंगली प्रजातियों को लगा लेते हैं जिससे किसानों को नुकसान हो जाता है।

इस लिए हम किसानों से अपील करते हैं कि किसान हमेशा प्रमाणित पौध सामग्री का ही प्रयोग करें । निदेशक महोदय ने आगे कहा कि किसान और वैज्ञानिक को मिल कर कार्य करना होगा।

मिल कर कार्य करने का ही नतीजा है कि आज भारत लगभग 25 वर्षों से मेंथा के तेल को दूसरे देशों को निर्यात करता है तथा पिछले वर्ष लगभग 600 टन नीबू घास के तेल को भी दूसरे देशों को निर्यात किया है जिससे किसानों को भी लाभ हुआ है। हमे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि हम लोग मिल कर कार्य करेंगे।

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इससे दूसरे सगंधीय तेलों जैसे खस, पामारोजा व अन्य सगंधीय तेलों मे आत्मनिर्भरता के साथ निर्यात भी कर सकेंगे। उन्होने आगे कहा कि औषधीय एवं सगंध पौधों कि खेती में यदि कोई कठिनाई आती है तो प्रतिभागी सीएसआईआर-सीमैप से बात कर सकते हैं तथा कठिनाई का समाधान पा सकते हैं ।

श्रीमती प्रज्ञा उपाध्याय, उद्यान अधिकारी (आयुष) उद्यान विभाग, उत्तर प्रदेश ने बताया कि राज्य आयुष मिशन के अंतर्गत 10 औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती करने पर किसानों को लागत का 30-50% प्रति हेक्टेयर का अनुदान प्रदान किया जाता है । इसके साथ ही पौध रोपण, खाद, पोस्ट हार्वेस्ट व भंडारण आदि पर भी अनुदान प्रदान किया जाता है।

डॉ. संजय कुमार, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक व संयोजक, प्रशिक्षण कार्यक्रम ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान होने वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की, तथा बताया कि इस कड़ी मे यह पांचवा प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसमे लगभग 80 किसानों को प्रशिक्षित किया जाना प्रस्तावित है।

उत्तर प्रदेश उद्यान विभाग  के सहयोग से इस प्रकार के कुल 11 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम के तकनीकी सत्र मे डॉ.संजय कुमार ने नीबूघास व अश्वगंधा के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी प्रतिभागियों से साझा की।

दीपक कुमार वर्मा ने रोशाघास के उत्पादन की उन्नत कृषि क्रियाओं के बारें में प्रतिभागियों को विस्तार से बताया । श्री मनोज कुमार ने गुलाब की वैज्ञानिक खेती के बारें में प्रतिभागियों को जानकारी दी। डॉ.राम सुरेश शर्मा ने तुलसी की उन्नत कृषि तकनीकी को प्रतिभागियों से साझा की। डॉ. सौदान सिंह ने मिंट की उन्नत कृषि तकनीकी को किसानों से साझा की।

डॉ. ऋषिकेश एन. भिसे ने कालमेघ के उत्पादन की उन्नत कृषि की तकनीकी को प्रतिभागियों से साझा की। डॉ. सुदीप टंडन ने सुगंधित पौधों से तेल का आसवन, संशोधन एवं रख-रखाव से जुड़ी बारीकियों के बारे में प्रतिभागियों को बताया।
इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के विभिन्न वैज्ञानिक, तकनीकी अधिकारी व शोधार्थी आदि उपस्थित रहे।

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