एरोमा मिशन के तहत सीमैप में 14 राज्यों के किसानों का प्रशिक्षण सत्र प्रारंभ

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सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ समय-समय पर औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती के प्रति रुचि रखने वाले किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता रहता है।

इसी क्रम में सीएसआईआर-एरोमा मिशन के अंतर्गत तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक, डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में देश के 14 राज्यों से 64 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।

डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक, सीएसआईआर-सीमैप ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि सीएसआईआर-सीमैप द्वारा पिछले 6 दशकों के अंतर्गत औषधीय एवं सगंध पौधों मे अनुसंधान एवं विकास कार्य चल रहा है।

इसके फलस्वरूप संस्थान द्वारा लगभग 150 से भी ज्यादा अधिक पैदावार देने वाली नई-नई प्रजातियों का विकास किया गया है, तथा इन प्रजातियों को किसानों तक पहुंचाया जा रहा है जिससे किसान अधिक उपज प्राप्त कर रहे हैं, तथा उद्योगों को कच्चा माल मिल रहा है।

संस्थान द्वारा चलाये जा रहे “एरोमा मिशन” के अंतर्गत सगंधीय फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान क्लस्टर बना कर किसानों को खेती से जोड़ा जा रहा है,

मिशन के अंतर्गत लगभग 45000 हेक्टयर भूमि मे सगंधीय फसलों की खेती की जा रही है साथ ही लगभग 400 आसवन इकाइयां भी उपलब्ध कराई गई हैं जिससे किसान आसानी से तेल निकाल सकें।

इसके फलस्वरूप आज भारत नीबूघास व पामारोजा के तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बन निर्यात करने की ओर अग्रसर है। उन्होंने आगे कहा कि संस्थान द्वारा विकसित मेंथाल मिंट की उन्नत प्रजातियों के फलस्वरूप भारत पिछले 25 वर्षों से विश्व के 80% मेंथाल मिंट के उत्पादन के साथ अग्रणी बना हुआ है और विश्व को निर्यात कर रहा है।

उन्होने आगे कहा कि हमारे यहाँ स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए इंक्यूबेसन सुविधा उपलब्ध है, के साथ स्टार्टअप्स शुरू कर सकते हैं।

उन्होने आगे कहा कि अगले दो दिन चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीमैप के वैज्ञानिक आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती पर विस्तार से चर्चा करेंगे

तथा साथ ही प्रसंस्करण एवं भंडारण की तकनीकियों पर भी चर्चा करेंगे, जिससे किसानों के उत्पादन को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता को बनाया जा सके और उसका अधिक तथा उचित मूल्य किसानों को मिल सकें।

डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये कहा कि यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को औषधीय एवं सगंधीय फसलों की खेती के साथ-साथ प्रसंस्करण, प्रौद्योगिकी क्षेत्र का नया आयाम जानने मे उपयोगी होगा।

डॉ. संजय कुमार, नोडल प्रशिक्षण कार्यक्रम व वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं परियोजना अन्वेषक ने प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं कार्यक्रम के अंतर्गत होने वाली गतिविधियों तथा संस्थान द्वारा प्रदत्त सेवाओं के बारें में प्रतिभागियों को जानकारी दी।

आज के प्रशिक्षण कार्यक्रम के तकनीकी सत्र मे डॉ. संजय कुमार ने रोशाघास व नीबूघास के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी प्रतिभागियों से साझा की। डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव ने सगंध गुलाब तथा डॉ. राम सुरेश शर्मा ने तुलसी की वैज्ञानिक खेती के बारें में प्रतिभागियों को जानकारी दी।

डॉ. ऋषिकेश एन. भिसे ने कार्यक्रम का संचालन व डॉ. राम सुरेश शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के विभिन्न वैज्ञानिक, तकनीकी अधिकारी व शोधार्थी इत्यादि उपस्थित रहे।

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