मां सरस्वती की पूजा का दिन शनिवार को था और उसी मां शारदा ने अपनी प्रतिरूप को अपनी विदाई के दिन ही खुद में समाहित कर लिया। इससे सिद्ध होता है कि भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर “सरस्वती अवतार” ही थीं।
आज लता मंगेशकर भले ही इस दुनिया से रुखसत हो गयी हैं लेकिन वह और उनके खूबसूरत गाने हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे, क्योंकि लता मंगेशकर ने अपनी आवाज के जादू से लोगों के दिलों में एक ऐसी खास जगह बनायी है जो कभी मिट नहीं सकती।
5 वर्ष की आयु से ही वे अपने पिता के साथ नाटक खेलने और गाने लगी थीं
मराठी रंगमंच के प्रसिद्ध गायक एवं अभिनेता मास्टर दीनानाथ के घर इन्दौर में 28 सितंबर 1929 में जन्मी लता को संगीत और गायन कला विरासत में मिली। 5 वर्ष की आयु से ही वे अपने पिता के साथ नाटक खेलने और गाने लगी थीं 14 वर्ष की आयु में सार्वजनिक रूप से सोलापुर के नूतन संगीत थिएटर के माध्यम से स्टेज पर आयीं।
और अपनी अलग पहचान गायकी के क्षेत्र में बनायी। एक वर्ष पूर्व जब वह मात्र 13 वर्ष की थीं, पिताश्री का स्वर्गवास हो गया। पिता का साया सर से उठा तो अपने छोटे से चार बहनों- उषा, आशा, मीना और भाई हृदयनाथ नाथ मंगेशकर की जिम्मेदारी अपने सर पर ले ली।
1947 में बसंत जोगलेकर ने फिल्म “आपकी सेवा में” लता से गीत गवाया
कम ही लोग जानते हैं कि सुरों की मलिका लता मंगेशकर ने जब फिल्म इंडस्ट्री में एक प्लेबैक सिंगर के तौर पर एंट्री के तौर पर नकार दिया गया था, क्योंकि उस समय उनकी आवाज काफी पतली समझी गयी थी। 1947 में बसंत जोगलेकर ने फिल्म “आपकी सेवा में” लता से गीत गवाया।
इस फिल्म के संगीतकार दत्ता दाऊजी थे और इस फिल्म से लता ने अपनी पहचान बना ली। आपकी सेवा के बाद “मजबूर” के गानों- “अंग्रेजी छोरा चला गया हाय तेरे प्यार ने दिल मेरा तोड़ा” ने लता को उस समय की जमी जमायी पार्श्व गायिकाओं की बराबरी पर ला खड़ा किया।
हालांकि उस वर्ष उनकी फिल्मों में गायकी की शुरुआत हो तो गयी थी लेकिन “आपकी सेवा” के बाद फिल्में न मिलने से उनको अपनी गायकी पर शक होने लगा था जिसे अनिल विश्वास ने दूर कराया।
“अनोखा प्यार” में नलिनी जयवंत के लिए लता की आवाज़ में चार गीत
उन्होंने 1948 की फिल्म “अनोखा प्यार” में नलिनी जयवंत के लिए लता की आवाज़ में चार गीत– “मेरी फूलों सी खिली है जवानी…, घड़ी-घड़ी पूछो ना जी.., जीवन सपना टूट गया…, भोला-भाला री…।” ये चारों गीत हिट हुए और लता जी के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी भी हो गयी।
लगभग 30 से ज्यादा भाषाओं में गाए फिल्मी और गैर फिल्मी गाने
लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं उनका छह दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। लता जी ने लगभग 30 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाए लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में वरिष्ठ गायक के रूप में ही रही है।
अपनी बहन आशा भोसले के साथ लता जी का फिल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में छा चुकी है। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि वर्ष 1974 में लता मंगेशकर ने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में पहला भारतीय कार्यक्रम दिया था।
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उन्होंने उस समय 5 भाषाओं में गीत गाए और जब अपने कार्यक्रम का समापन “ऐ मेरे वतन के लोगों” से किया तो हॉल में उपस्थित अधिकतर भारतीय संगीत प्रेमियों की आंखें भर आयी थीं– यही था स्वर कोकिला लता मंगेशकर के स्वर-साम्राज्य का असर!
लता मंगेशकर को 2001 में भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया था
इन्हीं उपलब्धियों के चलते लता मंगेशकर को 2001 में भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया था। एक विशेष बात यह भी कि लता मंगेशकर ने हजारों गाने गाए हैं लेकिन उनका गाया पहला गाना कभी रिलीज ही नहीं हुआ। इस गाने का बोल था “नाचूया गड़े छैलू सारी मनी हाउस”।
इस गाने को सदाशिवराव नेवरेकर ने मराठी फिल्म “30 साल” के लिए 1942 में कंपोज किया था। गाना रिकॉर्ड हुआ लता की आवाज में लेकिन फिल्म के फाइनल कट में उसे हटा दिया गया, इसलिए वह गाना कभी रिलीज ही नहीं हो सका। इसका जिक्र लता जी ने भी कई बार किया है।
इसके बाद उनका जो गाना रिलीज हुआ वह था “नताली चैता राखी नवलाई”। यह गाना 1942 में आयी मराठी फिल्म “पहली मंगलागौर” में लिया गया था। इस फिल्म में लता जी ने बतौर एक्टर छोटा सा रोल भी किया था-
आज उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए इतने ऐसे-ऐसे प्रसंग सामने आ रहे है कि उनके जिक्र के लिए शब्द ही कम पड़ जाएंगे।