सपनों को आकार दे रही है त्रिपुरा के साइकिल मैकेनिक की जुडोका बेटी

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लखनऊ: दक्षिण त्रिपुरा के जिला मुख्यालय बेलोनिया में साइकिल रिपेयर की दुकान चलाने वाले एक शख्स की होनहार जुडोका बेटी घर से हजारों किलोमीटर दूर रहकर अपने सपनों को आकार देना चाहती है। अस्मिता डे नाम की इस टॉप्स डेवलपमेंट एथलीट का सपना देश के लिए ओलंपिक में मेडल जीतना है।

20 साल की अस्मिता इन दिनों भोपाल स्थित साई रिजनल सेंटर में अभ्यास कर रही हैं। अस्मिता 25 मई से उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोजित होने वाले खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (केआईयूजी)- 2022 के लिए कमर कस चुकी हैं और बेंगलोर में आयोजित इन खेलों के दूसरे संस्करण की सफलता को दोहराना चाहती हैं।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2022 

बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने जा रहीं अस्मिता ने कहा, -मेरे पास खेलो इंडिया गेम्स का अनुभव है। दिल्ली में पहली बार आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में मैंने हिस्सा लिया था। उस साल 40 किग्रा कैटेगरी में मैंने सिल्वर जीता था।

उसके बाद मैं गुवाहाटी में खेली और एक बार फिर सिल्वर जीता। इस बार मैं 48 किग्रा कैटेगरी में पदक जीता था। अस्मिता ने बताया कि वह बेंगलुरु में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में हिस्सा ले चुकी हैं। वहां उन्होंने 48 किग्रा कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता था।

अस्मिता ने कहा,- बेंगलोर के बाद अब मैं लखनऊ में भी गोल्ड जीतना चाहती हूं। मेरी तैयारी अच्छी है। मेरा सपना देश के लिए ओलंपिक में मेडल जीतना है और इसके लिए मैं पूरी लगन से मेहनत कर रही हूं।

यह पूछे जाने पर कि इस खेल में कैसे आना हुआ। इस पर अस्मिता ने कहा- मेरे पिता ने बड़ी मुश्किल से हम तीन भाई-बहनों की परवरिश की है। वह साइकिल रिपेयर करने की दुकान चलाते हैँ। मेरा इस खेल में आना एक इत्तेफाक ही है। पहले मैं एथलेटिक्स में थी। 800 मीटर मेरा फेवरेट इवेंट था।

डिस्ट्रिक्ट ट्रायल्स में मेरा सेलेक्शन भी हुआ था लेकिन उसके बाद मेरे कोच ने मुझे जूडो में डाल दिया। तब से मेरा जूडो में ही मन लग गया। अस्मिता ने कहा कि खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स एक बेहतरीन प्लेटफार्म है क्योंकि यहां हर एथलीट को विश्वस्तरीय सुविधाओं के बीच अपनी प्रतिभा दिखाने का भरपूर मौका मिलता है।

अस्मिता ने कहा, -ये एक शानदार प्लेटफार्म है। मैंने जब से इन आयोजनों में हिस्सा लेना शुरू किया है, तब से मेरा परफॉर्मेंस बेहतर हुआ है। यह एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां विश्वस्तरीय सुविधाओं के बीच खिलाड़ियों को अच्छा एक्सपोजर मिलता है।

अस्मिता ने आगे कहा कि खेलो इंडिया गेम्स के कारण ही उन्हें साई सेंटर में रहने का मौका मिला। बकौल अस्मिता,-यहां भोपाल साई सेंटर की फैसिलिटी शानदार है। खाना-पीना बढ़िया है और खिलाड़ियों का ध्यान रखा जाता है। आमतौर पर दिन में दो से तीन शिफ्ट में प्रैक्टिस करती हूं। मेरे कोच यशपाल सोलंकी मेरा पूरा ध्यान रखते हैं।

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अस्मिता भारत के दिग्गज जुडोका अवतार सिंह को अपना प्रेरणा स्रोत मानती हैं। अस्मिता ने कहा,- भारतीय स्टार्स की बात करें तो अवतार सिंह सर मेरे आइडल हैं। इसके अलावा मैं जापानी जूडो स्टार एवे उता की भी फैन हूं और उनके गेम को बहुत क्लोजली फालो करती हूं।

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