खेलने के साथ-साथ टेनिस को वापस देने का प्रयास कर रही हूं : श्रव्या शिवानी

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लखनऊ। साल 2019 में आयोजित दक्षिण एशियाई खेलों में एक स्वर्ण सहित दो पदक जीतने वाली भारत की अंतरराष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी श्रव्य शिवानी अपने दूसरे खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में हिस्सा ले रही हैं। भुवनेश्वर में श्रव्या ने गोल्ड मेडल जीता था।

श्रव्या एशिया/ओशिनिया का प्रतिनिधित्व करने वाली आईटीएफ के विश्व महिला टेनिस खिलाड़ी पैनल में चुनी गई छह खिलाड़ियों में से एक हैं। इसके माध्यम से वह एशिया की नई खिलाड़ियों के लिए खेल को और सुलभ बनाने का प्रयास कर रही हैं।

पहले खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में जैन यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व करने वाली 23 साल की श्रव्या ने अपनी इस महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में कहा,- मुझे खेल को और अधिक सुलभ बनाने का हमेशा से जुनून रहा है। एशिया में हमारे पास काफी टैलेंट है।

केवल भारतीय ही नहीं, बल्कि जापानी, चीनी और कोरियाई भी प्रतिभाशाली हैं। हम सभी इतने प्रतिभाशाली और मेहनती हैं, लेकिन हमें विश्व के दूसरी तरफ के खिलाड़ियों के समान अवसर नहीं मिलते हैं। मैं टेनिस तक सबकी पहुंच बनना चाहती हूं। मैं अभी न सिर्फ खेल रही हूं बल्कि इस खेल को कुछ वापस भी दे रही हूं।

मैं यह सुनिश्चित करना चाहती हूं कि आने वाली पीढ़ी को किसी भी चीज के लिए संघर्ष न करना पड़े और वह सिर्फ अपने खेल पर फोकस करे। श्रव्या के भाई तरुण अनिरुद्ध भी टेनिस खेलते हैं। उनके साथ वह टेनिस के लिए जाया करती थी और उसी दौरान इस खेल में उनका इंटरेस्ट जगा था।

श्रव्या ने कहा,- मैंने स्कूल स्तर पर टेनिस खेलना जारी रखा लेकिन पेशेवर स्तर पर मैंने 16 की उमर में कदम रखा क्योंकि मेरे माता पिता चाहते थे कि मैं पढ़ाई पर भी उतना ही ध्यान दूं। यही कारण है कि मैं जैन विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान में मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हूं।

श्रव्या को डबल्स खेलना पसंद है। इस इवेंट में वह दो इंटरनेशनल खिताब जीत चुकी हैं। उन्होंने आगे कहा, -मैंने 2014 में डबल्स नेशनल्स जीता और वहीं से मुझे लगा कि मेरे लिए टेनिस को पेशेवर तौर पर अपनाना अच्छा रहेगा। उसी समय मुझे लगा कि डबल्स मेरे लिए ठीक रहेगा।

मेरे अंदर इसके लिए जुनून था और फिर मैं सानिया मिर्जा और लिएंडर पेस की बड़ी फैन रही हूं। और फिर हमारे देश से कई बेहतरीन डबल्स खिलाड़ी आए हैं।

साल 2022 में नैरोबी में चेलिन सिमुन्यू के साथ आईटीएफ खिताब जीत चुकीं श्रव्या आगे बोलीं, -मैं हमेशा से डबल्स खिलाड़ी बनना चाहती थी लेकिन साथ ही साथ मैं सिंगल्स में भी हाथ आजमाती थी क्योंकि अगर आप डबल्स खेल रहे हैं तो आपको एक ही मैच खेलने का मौका मिलेगा।

लेकिन अगर आप सिंग्लस भी खेल रहे हों तो आपको अधिक से अधिक मैच प्रैक्टिस मिल सकता है। मैं सिंगल्स और डबल्स में अपनी रैंकिंग बनाए रखने का प्रयास करती हूं लेकिन डबल्स मेरा पहला प्यार है।

यहां बता दें कि श्रव्या का डब्ल्यूटीए एकल रैंकिंग 917 और करियर बेस्ट रैंकिंग 900 रहा है। डबल्स रैंकिंग की बात करें तो वह डब्ल्यूटीए में 718वीं रैंक की खिलाड़ी हैं। उनका करियर बेस्ट 715 रहा है। आईटीएफ रैंकिंग की बात करें तो श्रव्या 432वें नम्बर की खिलाड़ी हैं। उनका करियर बेस्ट 261 (मार्च 2023) रहा है।

7 साल की उमर में टेनिस शुरू करने वाली श्रव्या ने बताया कि उन्होंने दो साल रोहन बोपन्ना टेनिस अकादमी में बिताया है। उन्होंने कहा, – साल 2019 में मैं रोहन बोपन्ना टेनिस अकादमी में गई। वहां मैं दो साल तक रही। वहां मेरे टेनिस में काफी सुधार हुआ। अब मैं हैदराबाद में सुरेश कृष्णा की देखरेख में अभ्यास करती हूं।

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लक्ष्य क्या है। इस बारे में पूछने पर 2021 में मोनास्टीर में शर्मदा बालू के साथ आईटीएफ महिला विश्व टेनिस टूर खिताब जीतने वाली श्रव्या ने कहा, – मैं भारत के लिए खेल चुकी हूं।

मैंने राष्ट्रगान बजते सुना है। उससे अधिक सुखद अहसास कुछ औऱ नहीं हो सकता। मेरा असली सपना ओलंपिक, एशियाई औऱ कॉमनवेल्थ गेम्स में राष्ट्रगान बजते हुए सुनना है। साथ ही मैं विली जीन कप (पूर्व में फेड कप) में खेलना चाहती हूं। मेरे लिए यह बहुत जरूरी है।

श्रव्या मानती हैं कि खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स एक शानदार पहल है। उन्होंने कहा,- यह एक शानदार पहल है। यह खिलाड़ियों की बहुत मदद कर रहा है।

किसी भी आयोजन के लिए ट्रैवल और बोर्डिंग काफी महंगा होता है लेकिन यहां यह फ्री है। खेलो इंडिया नए खिलाड़ियों को बेहतरीन एक्सपोजर दे रहा है और उनको उच्चतम स्तर पर खेलने में मदद कर रहा है।

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