लखनऊ : सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप), लखनऊ एवं उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश के सहयोग से प्रदेश के किसानों को औषधीय एवं सगंध पौधों के उत्पादन, प्राथमिक प्रसंस्करण व विपणन विषय प्रशिक्षित कर जागरूक करने के लिए एक परियोजना चलाई जा रही थी।
इस परियोजना के अंतर्गत अब तक 11 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं जिसमें प्रदेश के लगभग 800 किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को मिलेगा प्रशिक्षण
इसी कड़ी मे उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अधिकारियों को औषधीय एवं सगंध पौधों के उत्पादन, प्राथमिक प्रसंस्करण व विपणन विषय पर प्रशिक्षित करने के लिए सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान मे आज दिनांक 11.04.2023 शुभारंभ किया गया।
इस कार्यक्रम में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगभग 78 अधिकारियों ने भाग ले रहे हैं। दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उदघाटन सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने किया।
निदेशक, सीएसआईआर-सीमैप ने अपने सम्बोधन मे कहा कि सीएसआईआर-सीमैप पिछले 60 वर्षों से औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती मे किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है, तथा नई-नई कृषि तकनीकी, पौध सामग्री एवं उन्नतशील प्रजातियां किसानों को उपलब्ध करा रहा है।
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इसके फलस्वरूप लाखों किसानों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचा है। किसानों द्वारा संस्थान की विकसित उन्नत प्रजातियों एवं तकनीकों को अपनाकर देश को मेंथा तथा नीबूघास के तेल के उत्पादन मे विश्व मे प्रथम स्थान बनाया है।
हमे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप लोग यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने-अपने जिलों के किसानों को औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती प्रति जागरूक करेंगे। इस तरह सभी लोग मिल कर कार्य करेंगे तो दूसरे सगंधीय तेलों जैसे खस, पामारोजा व अन्य सगंधीय तेलों मे आत्मनिर्भरता के साथ निर्यात भी कर सकेंगे ।
उन्होने आगे कहा कि औषधीय एवं सगंध पौधों कि खेती में यदि कोई कठिनाई आती है तो प्रतिभागी सीएसआईआर-सीमैप से बात कर समाधान पा सकते हैं। डॉ. विजय बहादुर द्विवेदी, संयुक्त निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश ने विभाग द्वारा चलाई जा रही परियोजनाओं व गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
डॉ. संजय कुमार, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक व संयोजक, प्रशिक्षण कार्यक्रम ने प्रतिभागियों को संस्थान द्वारा प्रदत्त सेवाओं एवं गतिविधियों से अवगत कराया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के तकनीकी सत्र मे डॉ. संजय कुमार ने नीबूघास व रोशाघास के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकियों को प्रतिभागियों से साझा की।
डॉ. राजेश कुमार वर्मा ने जिरेनियम की के उत्पादन की उन्नत कृषि क्रियाओं को प्रतिभागियों से साझा की। डॉ. आर. के. श्रीवास्तव ने गुलाब एवं जावाघास की वैज्ञानिक खेती के बारें में प्रतिभागियों को जानकारी दी। डॉ. राम सुरेश शर्मा ने तुलसी की उन्नत कृषि तकनीकी को प्रतिभागियों से साझा की।
डॉ. सौदान सिंह ने मिंट की उन्नत कृषि तकनीकी को किसानों से साझा की। डॉ. ए. के. गुप्ता ने सर्पगंधा के उत्पादन की उन्नत कृषि क्रियाओं को प्रतिभागियों के साझा की। इसके उपरांत डॉ. वी. आर. सिंह ने सतावर व डॉ. तृप्ता झंग ने अश्वगंधा के उत्पादन की उन्नत तकनीकियों को प्रतिभागियों से साझा की।
इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के विभिन्न वैज्ञानिक, तकनीकी अधिकारी व शोधार्थी आदि उपस्थित रहे। डॉ. आर. के. श्रीवास्तव ने प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन किया तथा डॉ. राम शुरेश शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।