यूपीएसआईएफएस ने किया कविसम्मेलन से हिन्दी दिवस का स्वागत

0
29

लखनऊ : उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइन्स, लखनऊ में हिन्दी दिवस के पूर्व संध्या पर उ०प्रo भाषा संस्थान एवं लोकायतन के संयुक्त तत्वावधान में कवि सम्मलेन का आयोजन किया गयाl

हिन्दी दिवस के स्वागत में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्थान के संस्थापक निदेशक डॉ जीके गोस्वामी एवं विशिष्ठ अतिथि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ हरिओम थेl

साहित्य और कला से न जुड़ने वाला व्यक्ति अधुरा : डॉ जी.के. गोस्वामी,आईपीएस

कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि, संस्थान के निदेशक डॉ जीके गोस्वामी (आईपीएस), विशिष्ठ डॉ हरिओम, (आईएएस), लोकायतन अध्यक्षा डॉ मालविका हरिओम, उप निदेशक चिरंजीब मुखर्जी एवं प्रशासनिक अधिकारी  अतुल यादव द्वारा सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गयाl

“मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूँ ,सिकंदर हूँ मगर हारा हुआ हूँ: डॉ हरिओम, आईएएस

इस अवसर पर निदेशक डॉ गोस्वामी ने समस्त आमंत्रित कवि अतिथियों को संस्थान कि तरफ से अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर निदेशक डॉ गोस्वामी ने कहा कि साहित्य ही समाज का दर्पण है। साहित्य समाज को जोड़ता है। यदि कोई व्यक्ति साहित्य और कला से नही जुड़ा है तो वह अधूरा है।

उन्होंने एक रचना कोट करते हुए कहा कि “मुश्किलें तो रास्ते का हुस्न हैं, कैसे कोई राह चलना छोड़ दे”| जिंदगी में समस्याओ का आना जाना तो लगा ही रहेगा लेकिन इसी में हमें जीने के सलीको को भी ढूढना होगा तभी जीवन सफल होगा |

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ हरिओम ने हिंदी दिवस के अवसर पर अपनी ग़ज़ल “मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूँ ,सिकंदर हूँ मगर हारा हुआ हूँ ।“

को मधुर स्वर में प्रस्तुत किया| इस गजल ने श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर लिया, सभागार पूरे समय श्रोताओं के तालियों से गूँजता रहा। डॉ हरिओम ने सभागार में नई पीढ़ी को अपने प्रेरणामयी शब्दों से भी संबोधित किया |

लोकप्रिय कवियित्री एवं लोकायतन संस्था की अध्यक्षा डॉ मालविका हरिओम ने हिन्दी दिवस के पूर्व संध्या पर “हिन्दी का परचम हमको लहराना है दुनिया-भर में इसका अलख जगाना है, इसको जन-जन के मन तक पहुँचाना है, सब भाषाओं का सरताज बनाना है”।

सहित अपनी कई रचनाओं सुना कर हिन्दी भाषा कि बात कर श्रोताओं का दिल जीता | मशहूर हास्यकवि सर्वेश अस्थाना ने जलाले शर्म से हिम्मत-ए-परवाना बेहतर है, सुलघती ज़िंदगी से जल जाना बेहतर है।

तुम्हारी झील सी आँखों में मुन्नालाल दिखता है, तुम्हारा इश्क दो कौड़ी, तुम्हारा अफसाना बेहतर है। इज़हार-ए-इश्क के दौरान अगर आ जाएं पापा वहाँ पर रुके रहने से तुरंत टल जाना बेहतर है।“ सुना कर सभागार को ठहाकों से भर दिया |

बदायूं से पधारीं मशहूर कवीयत्री डॉ सोनरूपा ने हिन्दी दिवस के अवसर पर “जो मिला वो खोता क्या, कोई बंजर ज़मीं पे बोता क्या, प्यार है तो है ये जहां क़ायम, प्यार होता नहीं तो होता क्या ”। सुनकर सभागार तालियों से गूंज उठा।

बाराबंकी से पधारे मशहूर कवि श्री प्रियांशु गजेंद्र ने सुनाया “ फूलों के दिन शूलों के दिन गुड़हल और बबूलों के दिन सबके आते हैं, दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं”। ने अपनी खुबसूरत रचना सुनाकर सभागार में तालियाँ बटोरी |

इस अवसर पर संस्थान के जन संपर्क अधिकारी संतोष ‘कौशिल’ ने भी अपनी कुछ प्रिय रचनाएं सुनाईं- ये माना तुम्हें भी कमाने बहुत, शहर में तुम्हरे ठिकाने बहुत हैं। मगर मैं जियूँगा बुढ़ापे में कैसे चले आओ घर, घर में दाने बहुत हैं। इसे सुनकर सभागार में तालियों की बौछार हो उठी।

मशहूर हास्यकवि डॉ पंकज प्रसून ने व्यंग सुना कर महफ़िल को ठहाको से भर दिया उन्होंने सुनाया “जंग का आखिरी ऐलान न मानो उसको । अब तो लुगाई से कहीं बेहतर है एआई जाने क्या गुल खिलायेगी इक्कीसवीं सदी लाइक शेयर सब्सक्राइब जिनके मूलमंत्र हैं जेनज़ेड ही अब चलायेगी इक्कीसवीं सदी ।

शाहबाज तालिब जी ने  “सारे अल्फ़ाज़ ये तुम्हारे थे बिन तेरे ज़िंदगी नहीं होती दूर होके भी मुझसे ज़िंदा हो तुमको शर्मिंदगी नहीं होती”।  पढ़ कर सभागार में तालियां गूंज उठीl इस अवसर पर कुलदीप कलश ने अपनी रचना सुनायी “ सबकी चिंता सबकी जिम्मेदारी है , मन तो मेरा सपनो का व्यापारी है “ इस रचना पर सभागार में जोरदार तालिओं बजीं |

कार्यक्रम में युवा कवि अभिश्रेष्ठ तिवारी ने सुनाया “इतना करम हुआ कि तमाशा नहीं हुआ, वरना तुम्हारी सम्त से क्या-क्या नहीं हुआ, हमने कहा था धोके से मारेगी ज़िंदगी, देखा हमारी आँख से धोखा नहीं हुआ” । सुनाकर कर तालियाँ बटोरी  l

कार्यक्रम के अंत मे संस्थान के उप निदेशक चिरंजिब मुखर्जी  ने आभार ज्ञापन कर कार्यक्रम के औपचारिक समापन की घोषणा की । कार्यक्रम का सञ्चालन जनसंपर्क अधिकारी संतोष ‘कौशिल’ ने किया |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here