लखनऊ। तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण जल निकासी की समस्या गंभीर होती जा रही है। इसी समस्या से निपटने के लिए नगर विकास विभाग के नगरीय निकाय निदेशालय में ‘नगरीय जल निकासी कार्यक्रम’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न विभागों, विशेषज्ञों और निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए अमृत अभिजात, प्रमुख सचिव, नगरीय विकास विभाग ने कहा कि ‘अनियोजित विकास और जल निकासी मार्गों के अतिक्रमण से शहरों में बाढ़ जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं, जिससे नागरिकों का जीवन प्रभावित होता है।
यूपी के शहरी क्षेत्रों में जल निकासी की समस्या के प्रभावी समाधान पर कार्यशाला आयोजित
इस कार्यक्रम का उद्देश्य शहरों में जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करना और बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करना है।’ कार्यशाला में एसपी पटेल, विशेष सचिव, नगरीय विकास विभाग ने जल निकासी की वर्तमान स्थिति और चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि कैसे खराब जल निकासी यातायात जाम, संपत्ति को नुकसान और जनजीवन अस्त-व्यस्त करती है।
प्रोफेसर नदीम खलील, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा की।
उन्होंने केस स्टडी के माध्यम से बताया कि कैसे अन्य शहरों ने जल निकासी प्रणाली में सुधार कर बाढ़ की समस्या को कम किया है। जीएस नवीन कुमार, राहत आयुक्त ने नगरीय जल निकासी प्रणाली के लिए शमन अपनाने की योजना पर प्रस्तुतीकरण दिया।
उन्होंने बताया कि नई तकनीकों और समुदाय की भागीदारी से जल निकासी व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है।
विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे जलवायु परिवर्तन के कारण अचानक होने वाली अत्यधिक वर्षा, शहरों में अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था, तेजी से बढ़ते शहरीकरण और पर्यावरणीय कारकों की अनदेखी बाढ़ का खतरा बढ़ा रही है।
उदाहरण के लिए, सड़कें और इमारतें जैसे पक्के सतहों में वृद्धि के कारण तेजी से और अधिक तीव्र अपवाह होता है, जो पारंपरिक जल निकासी प्रणालियों की क्षमता से अधिक हो जाता है। साथ ही, प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियों का अवरुद्ध होना और पारिस्थितिकी का क्षरण भी बाढ़ का खतरा बढ़ाते हैं।
कार्यशाला में नितिन बंसल, निर्देशक नगरीय निकाय, विशेष सचिव, डॉ. राजेंद्र पेंशिया और एलएमसी आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने भी जल निकासी पर अपने विचार साझा किए। केंद्र जल आयोग की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में पिछले 5 वर्षों में अकेले बाढ़ से लगभग 3100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
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यही कारण है कि राज्य सरकार इस समस्या से गंभीरता से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। कार्यशाला में सिंचाई विभाग, स्वच्छ भारत मिशन, सीएंडडीएस, इंडियन ह्यूम पाइप, आईएमडी लखनऊ, सीडब्ल्यूसी, बीबीएयू, एलएंडटी कंस्ट्रक्शन, एनसीसी लिमिटेड, जल निगम, एनसीपीई हैदराबाद,
डीआरए कंसल्टेंट, जियोकनो प्राइवेट लिमिटेड, पीएफएडी, पीडब्लूडी, योजना विभाग और एलडीए के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। उन्होंने जल निकासी प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव दिए।
इस कार्यशाला का आयोजन उत्तर प्रदेश में नगरीय जल निकासी व्यवस्था को मजबूत बनाने और बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। गोरखपुर और अयोध्या जैसे तेजी से विकसित हो रहे शहरों में इस कार्यक्रम की सफलता पूरे राज्य के लिए एक मिसाल पेश करेगी।