नाटक, कविता और विचार विमर्श के संग ‘काकोरी के शहीदों’ को किया याद

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लखनऊ। काकोरी ट्रेन एक्शन के शताब्दी वर्ष के अवसर पर उत्तर प्रदेश क्रांतिकारी परिषद की ओर से काकोरी शहीदों की स्मृति में दो दिवसीय आयोजन का आरंभ हुआ।

गांधी भवन परिसर कैसरबाग के करण भाई सभागार में पहले दिन संगोष्ठी हुई। ‘संगोष्ठी: शहीदों की शहादत और परंपरा’ विषय पर हुई। समारोह में देर रात तक नाटक, पुस्तक विमोचन, संगोष्ठी का आयोजन हुआ। शहीदों को समर्पित उत्तर प्रदेश क्रांतिकारी परिषद की पुस्तक ‘अपनी माटी अपने लाल’ का विमोचन हुआ।

उत्तर प्रदेश क्रांतिकारी परिषद के दो दिवसीय समारोह की शुरुआत

समारोह अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार मेजर संजय कृष्ण, कारगिल युद्ध के योद्धा कर्नल कौशिक, पत्रकार राकेश राय, नाटककार सुशील कुमार सिंह, व्यंग्यकार अनूपमणि त्रिपाठी ने पुस्तक का विमोचन किया।

इस अवसर पर चित्रकार संजीव के चित्र का लोकार्पण हुआ। कारगिल युद्ध के योद्धा जीपीएस कौशिक ने कश्मीर के घाटी तैनात था। हमें दुश्मनों की घुसपैठ को पता करना था। बहुत दुर्गम है, खड़ी पहाड़ियां थीं। हेलीकॉप्टर से उड़ान भरते, दुश्मन चोटियों पर जमे

अनूपमणि ने कहा कि आजादी का हर किसी के लिए क्या मायने है, यह हमें देखना होगा। आप अगर विविधतापूर्ण देखना है तो। आजादी की त्रिज्या, परिधि रेखाएं क्या हैं समझना होगा।

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अभिव्यक्ति की आजादी के मायने देखने चाहिए़। राकेश राय ने कहा कि देश को चलाने वाली साम्राज्यवादी शक्तियां संविधान में हस्तक्षेप कर रहीं हैं। बाजारवादी ताकतों का ये खेल सभी देशों में चल रहा है। नाटककार सुशील कुमार सिंह ने क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां के फांसी के वक्त का किस्सा सुनाकर भावुक कर दिया।

समारोह आयोजक अनिल मिश्रा गुरुजी ने कहा कि आजादी की जंग में ऐतिहासिक काकोरी ट्रेन एकशन का अपना महत्वपूर्ण पक्ष रहा है।क्रांतिकारियों ने 9,अगस्त 1925,को काकोरी ट्रेन एकशन कर अंग्रेजों के खजाने की बांट लगा दी थी।

इस एकशन का असर यह हुआ कि अंग्रेजों की ज़मीन दरकने लगी।यह एकशन ऐतिहासिक रूप से मील का पत्थर साबित हुआ और 1947,को देश आजाद हुआ।

इस वर्ष काकोरी कांड का सौवा वर्ष है।पूरा देश अपने शहीदों को याद कर रहा है।उत्तर प्रदेश क्रांतिकारी परिषद भी शहीदों की स्मृति को नमन करता हुआ लखनऊ से चलकर गोंडा तक की अपनी यात्रा का आगाज कर रहा है।

अमुक आर्टिस्ट ग्रुप की ओर से 
नुक्कड़ नाट्य प्रस्तुति:-“देख तमाशा गुईयन का ‘ की प्रभावपूर्ण प्रस्तुति हुई। अनिल मिश्रा ‘गुरु जी’ लेखन एवं निर्देशन में कलाकारो गिरीराज,लता बाजपेई,राहुल प्रताप,हिमेश,अंशुमान दीक्षित,रीता,पूनम ने प्रभावपूर्ण अभिनय किया । जंगीतों की प्रस्तुति में ढ़ोलक पर संतोष शर्मा/प्रेम गौड़ ने संगत दी।

दूसरी ओर शायर अरविन्द असर के संचालन में चले रचनाकार सम्मेलन में राम प्रकाश बेखुद, संजय मिश्रा शौक, रहबर लखनवी, श्वेता शुक्ला, राजेश राज, अरविंद झा, प्रमोद द्विवेदी,

अरविंद असर, संजय हमनवा, नवीन शुक्ल, कमाल अदीब, बसारत लखनवी, आमिर मुख्तार, पं धीरज मिश्र शांडिल्य, कृष्णानंद राय, अनूप मणि त्रिपाठी ने अपने रचनापाठ से खूब प्रभावित किया।

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