जनजाति लोकनायक बिरसा मुंडा की 148वीं जयंती पर जनजाति भागीदारी उत्सव कल से

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लखनऊ। जनजाति लोकनायक बिरसा मुंडा की 148वीं जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान लखनऊ, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश, जनजाति विकास विभाग, उत्तर प्रदेश, पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उत्तर प्रदेश लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में “जनजाति भागीदारी उत्सव” मनाया जा रहा है।

अकादमी में होगा उद्घाटन 

इसका उद्घाटन बुद्धवार 15 नवंबर 2023 को दोपहर दो बजे गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी ने बताया कि आयोजित “जनजाति भागीदारी उत्सव” के उद्घाटन समारोह में उत्तर प्रदेश के माननीय मंत्री, पर्यटन एवं संस्कृति जयवीर सिंह, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण असीम अरुण तथा राज्य मंत्री, समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण संजीव कुमार गोंड की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।

“जनजाति भागीदारी उत्सव” में सुबह 11 बजे से अकादमी परिसर में उत्तर प्रदेश का कर्मा नृत्य, सहरिया नृत्य, झूमरा नृत्य, कोल्हाई नृत्य, नागालैण्ड का नजान्ता नृत्य, छत्तीसगढ़ का गौर माड़िया नृत्य, उत्तराखण्ड का झीझी नृत्य, जम्मू और कश्मीर का गोजरी नृत्य, उड़ीसा का दलखाई नृत्य,

राजस्थान का गरासिया नृत्य, मध्य प्रदेश का गदली नृत्य, पश्चिम बंगाल कोरा नृत्य, बिहार का संथाल नृत्य, असम का राभा नृत्य, मध्य प्रदेश गुदम्ब बाजा नृत्य, राजस्थान कालबेलिया नृत्य और गुजरात का मेवासी देखने को मिलेगा।

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दूसरी ओर बहुरुपिया एवं नट, भपंग वादन, भोपा भोपी, बीन वादन भी सुनने को मिलेगा। इसके साथ ही जनजाति सांस्कृतिक यात्रा दोपहर 12 बजे से 1090 चौराहे से अकादमी परिसर तक जाएगी जबकि सांस्कृतिक कार्यक्रम शाम चार बजे से होंगे।

कार्यक्रम को विविधता प्रदान करते हुए संगोष्ठी एवं वार्ता तथा खेलकूद और नाट्य मंचन का भी कार्यक्रम होगा।शिल्प मेला में उत्तर प्रदेश का मूँज शिल्प, जलकुंभी से बने शिल्प उत्पाद, काशीदाकारी, बनारसी साडी, कोटा साडी, सहरिया जनजाति उत्पाद, गौरा पत्थर शिल्प, लकड़ी के खिलौने विक्रय के लिए प्रदर्शित किये जाएंगे।

इस क्रम में मध्य प्रदेश की माहेश्वरी साड़ी, चन्देरी साही, बाँस शिल्प, जनजातीय बीड ज्वैलरी, पश्चिम बंगाल की काथा साड़ी, ड्राई फ्लावर, धान ज्वेलरी, झारखण्ड की सिल्क साड़ी, हैण्डलूम टेक्सटाइल्स, तेलांगना की पोचमपल्ली, साड़ी और चादर, महाराष्ट्र की कोसा सिल्क साड़ी, राजस्थान का सांगानेरी ऍण्ड ब्लाक प्रिंट, छत्तीसगढ का लौह शिल्प, ढोकरा एवं बाँस शिल्प, असम का हैण्डलूम गारमेंट और सिक्किम का हैण्डलूम टेक्सटाइल्स भी शामिल किया गया है।

व्यंजन मेला में उत्तर प्रदेश का भुनी आलू चटनी, कुमायूँनी खाना, मक्खन मलाई, रबड़ी दूध, चाट का स्वाद चखने का अवसर मिलेगा वहीं राजस्थान के व्यंजन, मुंगौड़ी, जलेबी, तंदूरी चाय, जनजातीय व्यंजन, महाराष्ट्र के व्यंजन, मटका रोटी, बिहार के व्यंजन, खाजा, मनेर के लड्डू भी खाने को मिलेंगे।

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