भारतीय सेना के सामुदायिक जुड़ाव अभियान के अंतर्गत हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों के साथ 42 छात्रों (16 छात्राएँ एवं 26 छात्र) ने गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर के संरक्षण में आयोजित एक विशेष शैक्षिक एवं सांस्कृतिक भ्रमण कार्यक्रम 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक उत्साहपूर्वक सहभागिता की।
उत्तराखंड की पवित्र सीमांत ग्राम माणा में आयोजित “मैनेफेस्टिवल2025” के दौरान “रण भूमि दर्शन” नामक विशेष शैक्षिक यात्रा में भाग लिया। कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी तथा क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को और बढ़ाया।
भारतीय सेना के ‘रण भूमि दर्शन’ कार्यक्रम में गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्रों की भागीदारी
यह कार्यक्रम युवाओं में देशभक्ति, शिक्षा और सांस्कृतिक विरासत के प्रति चेतना जागृत करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। विद्यार्थियों ने इस यात्रा के दौरान माणा गाँव के सैनिकों और स्थानीय समुदायों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया तथा सीमांत जीवन की कठिनाइयों और सैनिकों की वीरता का साक्षात्कार किया।
इसके पश्चात दल ने मालारी सेक्टर और औली का भी भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने भारतीय सैनिकों की दृढ़ भावना, त्याग और समर्पण को निकट से अनुभव किया।
यह पहल भारतीय सेना के उस दृष्टिकोण को साकार करती है, जिसके माध्यम से युवाओं में राष्ट्रप्रेम की भावना प्रज्वलित हो, सीमाओं के प्रति जागरूकता बढ़े और भारतीय सशस्त्र बलों के साथ गहरा संबंध स्थापित हो।
“रण भूमि दर्शन” केवल सीमांत यात्रा नहीं, बल्कि यह आत्मबोध, गर्व और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है, जहाँ युवा भारत की संप्रभुता के प्रहरी सैनिकों के साहस को सजीव रूप में अनुभव करते हैं।
इसके पश्चात दल ने मालारी सेक्टर और औली का भी भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने भारतीय सैनिकों की दृढ़ भावना, त्याग और समर्पण को निकट से अनुभव किया।
यह पहल भारतीय सेना के उस दृष्टिकोण को साकार करती है, जिसके माध्यम से युवाओं में राष्ट्रप्रेम की भावना प्रज्वलित हो, सीमाओं के प्रति जागरूकता बढ़े और भारतीय सशस्त्र बलों के साथ गहरा संबंध स्थापित हो।
“रण भूमि दर्शन” केवल सीमांत यात्रा नहीं, बल्कि यह आत्मबोध, गर्व और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है, जहाँ युवा भारत की संप्रभुता के प्रहरी सैनिकों के साहस को सजीव रूप में अनुभव करते हैं।
इसके पश्चात दल ने मालारी सेक्टर और औली का भी भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने भारतीय सैनिकों की दृढ़ भावना, त्याग और समर्पण को निकट से अनुभव किया।
यह पहल भारतीय सेना के उस दृष्टिकोण को साकार करती है, जिसके माध्यम से युवाओं में राष्ट्रप्रेम की भावना प्रज्वलित हो, सीमाओं के प्रति जागरूकता बढ़े और भारतीय सशस्त्र बलों के साथ गहरा संबंध स्थापित हो।
“रण भूमि दर्शन” केवल सीमांत यात्रा नहीं, बल्कि यह आत्मबोध, गर्व और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है, जहाँ युवा भारत की संप्रभुता के प्रहरी सैनिकों के साहस को सजीव रूप में अनुभव करते हैं।
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